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अपरा एकादशी

अपरा एकादशी पूजन विधि

 

  • प्रातः स्नान कर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

 

  • भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें और पुष्प, तुलसी, फल, प्रसाद आदि समर्पित करें।

 

  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। और सच्चे मन से अपनी मनोकामना भगवान के सामने कहें। 

 

  • एकादशी के दिन व्रत रखना भी शुभ माना जाता है। दशमी के दिन से यह व्रत प्रारम्भ हो जाता है। 

 

  • सात्‍विक भोजन से व्रत का पारण करें और भगवान विष्‍णु के मंत्रों का जाप करें। 




अपरा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़े भाई के प्रति द्वेष की भावना रखता था। अवसरवादी वज्रध्वज ने एक दिन राजा की हत्या कर दी और उसके शव को जंगल में पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया। अकाल मृत्यु होने के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल पर रहने लगी। उस मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति को आत्मा परेशान करती थी। एक ऋषि इस रास्ते से गुजर रहे थे। तब उन्होंने प्रेत को देखा और अपने तपोबल से उसके प्रेत बनने का कारण जाना। ऋषि ने पीपल के पेड़ से राजा की प्रेतात्मा को नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया। राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा। द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर इसका पुण्य प्रेत को दे दिया। व्रत के प्रभाव से राजा की आत्मा प्रेतयोनि से मुक्त हो गई और वह स्वर्ग चला गया।