Loading...

महाशिवरात्रि

शुभ मुहूर्त-

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – 17 फरवरी रात 08:02 बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त – 18 फरवरी शाम 04:18 बजे

निशीथ काल पूजा मुहूर्त – 18 फरवरी दोपहर 12:09 से 01:00 बजे तक

महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त – 19 फरवरी सुबह 06:57 से दोपहर 1:25 तक

 

पूजा विधि-

महाशिवरात्रि पर्व पर पूजा विधान की प्रातःकाल विधि हैं, स्नान-ध्यान करने के पश्चात शिवरात्रि का व्रत करने का संकल्प करना चाहिए। इसके बाद अपना नाम और गोत्र का नाम लेते हुए महीने, दिन का नाम, तिथि का नाम लेकर शिव का पूजन करना चाहिए। किसी भी पूजन में गणेश जी की पूजा पहले की जाती है। इसमे दूर्वा और लड्डू का भोग लगाकर पूजन करना चाहिए। इसके बाद भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करें। यज्ञोपवित धारण कर शरीर शुद्ध करें, इसके बाद अपने आसन की शुद्धि करें।

पूजन-सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें। यदि आप रूद्राभिषेक, लघुरूद्र, महारूद्र आदि विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं, तब नवग्रह, कलश, षोडश-मात्रका का भी पूजन करना चाहिए। संकल्प करते हुए भगवान गणेश व माता पार्वती का पूजन करें, फिर नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय (स्त्रियां कार्तिकेय का पूजन नहीं करें) एवं सर्प का संक्षिप्त पूजन करना चाहिए। इसके पश्चात हाथ में बिल्वपत्र एवं अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें।

भगवान शिव का ध्यान करने के बाद आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं, इसके बाद भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान एवं सुगंध-स्नान कराएं फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं। वस्त्र के बाद जनेऊ चढाएं। फिर सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढाएं। अब भगवान शिव को विविध प्रकार के फल चढ़ाएं। इसके पश्चात धूप-दीप जलाएं। हाथ धोकर भोलेनाथ को नैवेद्य लगाएं। नैवेद्य के बाद फल, पान-नारियल, दक्षिणा चढ़ाएं इसके बाद कर्पूर आरती करें, इसके बाद क्षमा-याचना करे और प्रसाद वितरण करें।

 

पूजन मंत्र-

  1. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।
    इस मंत्र का जाप सुख, समृद्धि आदि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह भगवान शिव का मूल मंत्र या शिव पंचाक्षरी मंत्र है एवं इस मंत्र के जाप से सभी मनोकामनाऐं पूरी होती है।
  1. ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
    शास्त्रों के अनुसार, महामृत्युंजय मंत्र काे मृत संजीवनी मंत्र भी कहते हैं। इस मंत्र का जाप करने से मरते हुए व्यक्ति को भी जीवन दान मिल सकता है।