मासिक शिवरात्रि का महत्व
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा रात्रि में की जाती है और पूरी रात जागरण कर भगवान शिव की उपासना की है। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में पैदा हो रही समस्याएं दूर हो जाती हैं और कन्याओं को योग्य वर प्राप्त होता है
एक रात में चार पहर होते हैं और चारों पहर में भगवान शिव का दूध, दही, शहद, घी से अभिषेक किया जाता है। पूजा के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप निरंतर किया जाता है। ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।
बता दें कि पहला पहर सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और इसी के साथ भगवान शिव की उपासना भी शुरू हो जाती है। दूसरा पहर रात 9 बजे से और तीसरा पहल मध्यरात्रि 12 बजे से शुरू होता है। चौथा और अंतिम पहर सुबह 3 बजे से शुरू होता है और ब्रह्म मुहूर्त तक पूजा का समापन हो जाता है।
मासिक शिवरात्रि व्रत विधान