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मासिक शिवरात्रि

मासिक शिवरात्रि का महत्व

शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा रात्रि में की जाती है और पूरी रात जागरण कर भगवान शिव की उपासना की है। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में पैदा हो रही समस्याएं दूर हो जाती हैं और कन्याओं को योग्य वर प्राप्त होता है

 

एक रात में चार पहर होते हैं और चारों पहर में भगवान शिव का दूध, दही, शहद, घी से अभिषेक किया जाता है। पूजा के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप निरंतर किया जाता है। ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।

 

बता दें कि पहला पहर सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और इसी के साथ भगवान शिव की उपासना भी शुरू हो जाती है। दूसरा पहर रात 9 बजे से और तीसरा पहल मध्यरात्रि 12 बजे से शुरू होता है। चौथा और अंतिम पहर सुबह 3 बजे से शुरू होता है और ब्रह्म मुहूर्त तक पूजा का समापन हो जाता है।

 

मासिक शिवरात्रि व्रत विधान 

 

  • स्नान आदि करने के बाद पूजा स्‍थल की साफ-सफाई करें और व्रत व पूजा का संकल्प लें। यह पूजा हमेशा प्रदोषकाल में ही करें। 

 

  • पूजा में भगवान शिव का जलाभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा अर्पित करें। यह चीजें भोलेनाथ को अत्यधिक प्रिय है।

 

  • पूजा के समय भगवान शिव पर बेलपत्र से जल का चिड़ाव अवश्य करें। ऐसा करने से उनका क्रोध शांत रहता है और वह भक्तों की सभी मनोकामना सुनते हैं।

 

  • जलाभिषेक के बाद शिव जी को चंदन का टीका लगाएं और धतूरे, कनैल, भांग बेलपत्र इत्यादि अर्पित करें। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि भगवान शिव को नीले और सफेद रंग के फूल अतिप्रिय है।

 

  • पूजा के दौरान निरंतर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और 108 महामृत्युंजय मंत्र ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌।।’ मंत्र का जाप जरूर करें।