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मासिक शिवरात्रि

दिनांक

त्यौहार

शुक्रवार, 20 जनवरी

मासिक शिवरात्रि

शनिवार, 18 फरवरी

मासिक शिवरात्रि

सोमवार, 20 मार्च

मासिक शिवरात्रि

मंगलवार, 18 अप्रैल

मासिक शिवरात्रि

बुधवार, 17 मई

मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 16 जून

मासिक शिवरात्रि

शनिवार, 15 जुलाई

मासिक शिवरात्रि

सोमवार, 14 अगस्त

मासिक शिवरात्रि

बुधवार, 13 सितंबर

मासिक शिवरात्रि

गुरुवार, 12 अक्टूबर

मासिक शिवरात्रि

शनिवार, 11 नवंबर

मासिक शिवरात्रि

सोमवार, 11 दिसंबर

मासिक शिवरात्रि

हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महादेव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। लेकिन तब से हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का दिन शिव पूजा के लिए समर्पित हो गया। 

 

मासिक शिवरात्रि का महत्व

मान्यता के अनुसार इस दिन महादेव का व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। कठिन से कठिन काम भी बन जाते हैं। शिवरात्रि की रात में जागरण करने और शिव पूजन का विशेष महत्व है। कुंवारे लोग इस दिन का व्रत रखें तो उन्हें इच्छानुसार जीवनसाथी मिलता है और शादीशुदा लोगों के जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। उनके जीवन में सुख और शांति आती है। यदि आप इस व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं तो इसे महाशिवरात्रि के दिन से शुरू करना चाहिए।

 

मासिक शिवरात्रि व्रत विधान

 

  • इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। 
  • मंदिर में जा कर या घर पर ही भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें।
  • शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से अभिषेक करें।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल आदि अर्पित करें। 
  • शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें साथ ही ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें।
  • भगवान भोलेनाथ को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
  • भगवान की आरती करें और अगले दिन पूजा दान आदि पूरा होने पर व्रत का पारण करें। 



पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव महा शिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि के समय लिंगम के रूप में स्वयं प्रकट हुए थे। जिसके बाद से सबसे पहले भगवान् ब्रह्मा विष्णु ने उनकी पूजा की थी उस दिन से लेकर आज तक इस दिन को भगवान शिव जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।