मेष संक्रांति का महत्व
14 अप्रैल दिन गुरुवार को सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। हिंदू नव संवत्सर के बाद सूर्य पहली बार राशि परिवर्तन कर रहे हैं। सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि प्रवेश करते हैं तो उस तिथि को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य हर माह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं, इस तरह साल में 12 संक्रांति मनाई जाती है लेकिन सभी संक्रांति में मेष संक्रांति का विशेष महत्व है। पुराणों में बताया गया है कि मेष संक्रांति पर गंगा नदी में स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन अगर कुछ विशेष चीजें दान की जाएं तो जीवन के सभी दुख व कष्ट दूर हो जाते हैं और बेहद शुभ फल प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, वैशाख महीने में सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर जाते हैं। मेष राशि के स्वामी मंगल हैं, जो अग्नि तत्व की राशि है और सूर्य भी अग्नि पुंज है। ऐसे में तेज गर्मी पड़ना शुरू हो जाती हैं और गर्मी की वजह सभी जीव जंतु व्याकुल होने लग जाते हैं। ऐसे में शीतलता प्रदान करने वाली और सूर्य से संबंधित चीजों का दान करना बहुत ही उत्तम बताया गया है।