शुभ मुहूर्त-
अमावस्या आरम्भ- 19 फरवरी 2023 शाम 04:21 बजे से
अमावस्या समाप्त- 20 फरवरी 2023 दोपहर 12:38 बजे तक
शुभ मुहूर्त- 20 फरवरी सुबह 09:55 बजे से सुबह 11:21 बजे तक
पूजा विधि-
फाल्गुन मास की अमावस्या की पूजा विधि –
फाल्गुनी अमावस्या की कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार दुर्वासा ऋषि ने क्रोध में आकर इंद्र और सभी देवताओं को श्राप दे दिया था। जिसके कारण सभी देवता कमजोर हो गए। इस मौके का फायदा उठाकर दैत्यों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और उन्हें परास्त कर दिया। जिसके बाद सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और भगवान विष्णु को इसके बारे में बताया, तब उन्होंने देवाताओं को सलाह दी की वह दैत्यों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करें।
जिसके बाद सभी देवताओं ने दैत्यों के साथ संधि कर ली और अमृत को प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने लगे। जब अमृत निकला तो इंद्र का पुत्र जयंत अमृत कलश को लेकर आकाश में उड़ गया। जिसके बाद दैत्यों ने जयंत का पीछा किया। जिसके बाद दैत्यों ने अमृत को प्राप्त कर लिया। इस कलह को बढ़ते देख भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप रखा और देवताओं को चतुराई से अमृत पिला दिया।अमृत को लेकर देवताओं और दानवों में बारह दिन तक युद्ध चला। जिसके कारण प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक पर कलश से अमृत की बूंदे गिरी थी। उस समय चंद्रमा, सूर्य, गुरु और शनि ने घट की रक्षा की थी। इसी कारण से अमावस्या के दिन इन जगहों पर स्नान करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है।