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पौष पुत्रदा एकादशी


शुभ मुहुर्त 

  • पौष पुत्रदा एकादशी व्रत : 2 जनवरी 2022, गुरुवार
  • पौष शुक्ल एकादशी तिथि प्रारम्भ : 1 जनवरी 2023 को 07:11 पी एम बजे
  • पौष पुत्रदा एकादशी तिथि समाप्त : 2 जनवरी 2022 को 08: 23 पी एम बजे तक
  • पुत्रदा एकादशी व्रत के पारण का समय : 3 जनवरी को 07:14:25 से 09:18:52 तक
  • पुत्रदा एकादशी व्रत पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय : 3 जनवरी को 07:14:25 से 09:18:52 तक
  • पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पारण अवधि : 2 घंटे 4 मिनट


पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि-

  • यदि आप ये व्रत रखने जा रहे हैं तो दशमी के दिन सूर्यास्त से पहले भोजन कर लें.
  • एकादशी के व्रत के नियम दशमी तिथि से ही लागू हो जाते हैं और द्वादशी पर व्रत पारण तक चलते हैं.
  • ध्यान रखें भोजन में प्याज लहसुन वगैरह का सेवन न करें.
  • एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
  • पूजा स्थल पर बैठकर विधि पूर्वक व्रत का संकल्प लें.
  • भगवान को धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, रोली, फूल माला और नैवेद्य अर्पित करें
  • पूजा के दौरान भगवान श्री हरि विष्णु को पीला फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसी आदि समस्त पूजन सामग्री संबंधित मंत्रों के साथ अर्पित करें.
  • पूजा के बाद पुत्रदा एकादशी व्रत कथा पढ़ें.
  • इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें.
  • शाम को विधि-विधान से भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा और आरती करें.
  • पूरे दिन का उपवास रखें और ब्राह्मण को भोजन कराकर व्रत का पारण करें.


पौराणिक कथा-

किसी समय भद्रावती नगर में राजा सुकेतु का राज्य था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। संतान नहीं होने की वजह से दोनों पति-पत्नी दुःखी रहते थे। एक दिन राजा और रानी मंत्री को राजपाठ सौंपकर वन को चले गये। इस दौरान उनके मन में आत्महत्या करने का विचार आया लेकिन उसी समय राजा को यह बोध हुआ कि आत्महत्या से बढ़कर कोई पाप नहीं है। अचानक उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई दिये और वे उसी दिशा में बढ़ते चलें। साधुओं के पास पहुंचने पर उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी के महत्व का पता चला। इसके बाद दोनों पति-पत्नी ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और इसके प्रभाव से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। इसके बाद से ही पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व बढ़ने लगा। वे दंपती जो निःसंतान हैं उन्हें श्रद्धा पूर्वक पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।