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वैशाख पूर्णिमा व्रत

वैशाख पूर्णिमा का महत्व

 

वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन एवं व्रत करने के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा करने का विधान है। भगवान विष्णु का पूजा करने के बाद भोग लगाएं और पंचामृत अर्पित करें। इस दिन सुबह स्नान तथा पूजा करने के बाद दान किया जाये तो पुण्य मिलता है। इस दिन के दान का विशेष महत्व है। वैशाख पूर्णिमा के दिन शक्कर और तिल का दान देने से अनजाने में हुए पापों का विनाश हो जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन एकाग्र मन से विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से आपको धन धान्य की प्राप्ति होगी। 

 

वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन मृत्यु के देवता धर्मराज के कारण भी व्रत रखने की परंपरा है। इस दिन जल से भरा हुआ कलश, छाता , जूते, पंखा, सत्तू, पकवान दान करना चाहिए। इस दिन किया गया दान फल देने वाला होता है और ऐसा करने से धर्मराज प्रसन्न होते हैं। साथ ही मनुष्य को अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता।

 

वैशाख पूर्णिमा पूजा विधि

 

  • सूर्योदय के पहले वैशाख पूर्णिमा व्रत धारण करें। 
  • किसी पवित्र नदी में निमग्‍न होकर स्नान करें। 
  • ऐसा संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें। 
  • इसके बाद भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप करते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। 
  • इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश और पकवान देने से गोदान के समान फल मिलता है।
  • 5 या 7 जरुरतमंद व्यक्तियों और ब्राह्मणों को शक्कर के साथ तिल देने से पापों का क्षय होता है।
  • इस दिन तिल के तेल के दीपक जलाएँ और तिलों का तर्पण विशेष रूप से करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत का संकल्प लें और शाम बीतने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।