विजया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी व्रत – 16 फरवरी 2023 दिन-गुरुवार
एकादशी तिथि प्रारंभ – 16 फरवरी 2023, गुरुवार सुबह 05:32 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – 17 फरवरी 2023, शुक्रवार को रात 2:49 बजे
विजया एकादशी व्रत पारण – 17 फरवरी सुबह 08:03 बजे से 09:13 तक
यानी (1 घण्टा 10 मिनट)
पूजा विधि-
1- एकादशी से एक दिन पूर्व एक वेदी बनाकर उस पर सप्त धान्य रखें।
2- सोने, चांदी, तांबे अथवा मिट्टी का कलश उस पर स्थापित करें।
3- एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
4- पंचपल्लव कलश में रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें।
5- धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से श्री हरि की पूजा करें।
6- उपवास के साथ-साथ भगवान कथा का पाठ व श्रवण करें।
7- रात्रि में श्री हरि के नाम का भजन कीर्तन करें।
8- द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन आदि करवायें और कलश का दान कर दें। इसके बाद व्रत का पारण करें।
विजया एकादशी व्रत कथा-
श्रीकृष्ण ने कहा कि एक बार नारद जी ने अपने पिता ब्रह्मा जी से फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के बारे में पूछा, तो ब्रह्मा जी ने कहा कि उन्होंने कभी भी इस व्रत के विधान को किसी से नहीं कहा है। विजया एकादशी व्रत सभी पापों का नाश करती है और मनुष्यों को विजय प्रदान करती है। यह सभी व्रतों में उत्तम व्रत है।
ब्रह्मा जी ने कहा कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम को 14 साल का वनवास हुआ और उसी समय सीता हरण हुआ। इससे राम और लक्ष्मण परेशान हो गए। हनुमान ने सीता जी का पता लगाया। तब श्रीराम वानर सेना के साथ समुद्र तट पर आए और विशाल समुद्र को पार करने की युक्ति सोचने लगे। तभी लक्ष्मण ने कहा कि- हे प्रभु! यहां से कुछ दूरी पर वकदालभ्य ऋषि रहते हैं, आप उनके पास जाकर समुद्र पार करने का उपाय पूछें। तब श्रीराम वकदालभ्य ऋषि के पास गए और उनको प्रणाम करके लंका विजय के लिए समुद्र पार करने का उपाय पूछा।
तब वकदालभ्य ऋषि ने कहा कि आपको विजया एकादशी का व्रत विधि विधान से करना चाहिए। इस व्रत को करने से आपको विजय प्राप्त होगी और आप वानर सेना के साथ समुद्र भी पार कर लेंगे। वकदालभ्य ऋषि ने श्रीराम को विजया एकादशी व्रत की पूरी विधि बताई। उन्होंने कहा कि आपको अपने सभी सेनापतियों के साथ इस व्रत को विधिपूर्वक करना चाहिए, विजय अवश्य प्राप्त होगी। वकदालभ्य ऋषि के बताए अनुसार, प्रभु श्रीराम ने अपने सेनापतियों के साथ विजया एकादशी व्रत विधिपूर्वक किया। उस व्रत के प्रभाव से वानर सेना समुद्र पार कर गई और श्रीराम को लंका पर विजय प्राप्त हुई।
तब श्रीकृष्ण ने कहा कि हे धर्मराज! जो व्यक्ति इस व्रत को करता है, उसे अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त होती है, शत्रु पर विजय मिलती है। जो भी व्यक्ति इस व्रत के महात्म्य को सुनता है, उसे भी वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।