
october-prediction-2023
अक्टूबर राशिफल 2023 सौगातों या समस्या से भरा रहेगा अक्टूबर का ये महीना आपके लिये। अक्टूबर के महीने में शनि कुछ राशियों में वक्री हो रहे है, जिससे कुछ राशियों
भारतीय हिन्दू परम्परा के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसन्त पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। यह बसन्त ऋतु के आगमन का और शुभता का प्रतीक माना जाता है इसलिए इसे श्री पंचमी भी कहा जाता है। यह दिन माँ सरस्वती की आराधना और उपासना का होता है। धार्मिक और प्राकृतिक रूप से बसन्त पंचमी का बहुत बड़ा महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ था। माता सरस्वती को विद्या की देवी भी कहा जाता है, इसलिए आज भी इसी दिन से माता-पिता अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू करवाते हैं। सनातन संस्कृति के 16 संस्कारों में से एक विद्यारम्भ संस्कार इसी दिन आयोजित किया जाता है। शास्त्रों में बसन्त पंचमी को ऋषि पंचमी भी कहा गया है।
According to Indian Hindu tradition, the festival of Basant Panchami is celebrated every year on the fifth day of Shukla Paksha of Magh month. It is considered a symbol of auspiciousness and the arrival of spring, hence it is also called Shri Panchami. This day is dedicated to the worship and worship of Mother Saraswati. Basant Panchami has great significance both religiously and naturally. According to religious beliefs, Mother Saraswati was born on this day. Mother Saraswati is also called the Goddess of learning, so even today, parents start their children’s schooling from this day. Vidyarambh Sanskar, one of the 16 rituals of Sanatan culture, is organized on this day. In the scriptures, Basant Panchami has also been called Rishi Panchami.
एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन प्रेम के देवता कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ स्वयं पृथ्वी पर आकर विचरते हैं, इसलिए कई वैवाहिक दंपत्ति, कामदेव और देवी रति की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में कभी कोई परेशानी नही आती। पूरे वर्ष में इसी दिन सभी ऋतूएं सबसे ज़्यादा संतुलन में होती हैं। प्रकृति में सकारात्मक परिवर्तन होना शुरू होते हैं। पेड़ पौधों में बहार आने लगती है। हवाएं शुद्ध हो जाती है। बसन्त पंचमी का त्यौहार सिर्फ भारत ही नही कई एशियाई देशों में स्थानीय संस्कृति के अनुरूप मनाया जाता है।
According to another mythological belief, on this day the god of love Kamadeva himself roams the earth with his wife Rati, so many married couples worship Kamadeva and Goddess Rati to get their blessings, so that there is no problem in their married life. Does not come. All the seasons are in the most balance on this day in the whole year. Positive changes begin to happen in nature. Spring starts coming in trees and plants. The air becomes pure. The festival of Basant Panchami is celebrated not only in India but in many Asian countries according to the local culture.
भारतीय हिन्दू परम्परा के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसन्त पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। यह बसन्त ऋतु के आगमन का और शुभता का प्रतीक माना जाता है इसलिए इसे श्री पंचमी भी कहा जाता है। यह दिन माँ सरस्वती की आराधना और उपासना का होता है। धार्मिक और प्राकृतिक रूप से बसन्त पंचमी का बहुत बड़ा महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ था। माता सरस्वती को विद्या की देवी भी कहा जाता है, इसलिए आज भी इसी दिन से माता-पिता अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू करवाते हैं। सनातन संस्कृति के 16 संस्कारों में से एक विद्यारम्भ संस्कार इसी दिन आयोजित किया जाता है। शास्त्रों में बसन्त पंचमी को ऋषि पंचमी भी कहा गया है।
According to Indian Hindu tradition, the festival of Basant Panchami is celebrated every year on the fifth day of Shukla Paksha of Magh month. It is considered a symbol of auspiciousness and arrival of spring, hence it is also called Shri Panchami. This day is dedicated to the worship and worship of Mother Saraswati. Basant Panchami has great significance both religiously and naturally. According to religious beliefs, Mother Saraswati was born on this day. Mother Saraswati is also called the Goddess of learning, so even today, parents start their children’s schooling from this day. Vidyarambh Sanskar, one of the 16 rituals of Sanatan culture, is organized on this day. In the scriptures, Basant Panchami has also been called Rishi Panchami.
एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन प्रेम के देवता कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ स्वयं पृथ्वी पर आकर विचरते हैं, इसलिए कई वैवाहिक दंपत्ति, कामदेव और देवी रति की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में कभी कोई परेशानी नही आती। पूरे वर्ष में इसी दिन सभी ऋतूएं सबसे ज़्यादा संतुलन में होती हैं। प्रकृति में सकारात्मक परिवर्तन होना शुरू होते हैं। पेड़ पौधों में बहार आने लगती है। हवाएं शुद्ध हो जाती है। बसन्त पंचमी का त्यौहार सिर्फ भारत ही नही कई एशियाई देशों में स्थानीय संस्कृति के अनुरूप मनाया जाता है।
According to another mythological belief, on this day the god of love Kamadeva himself roams the earth with his wife Rati, so many married couples worship Kamadeva and Goddess Rati to get their blessings, so that there is no problem in their married life. Does not come. All the seasons are in the most balance on this day in the whole year. Positive changes begin to happen in nature. Spring starts coming in trees and plants. The air becomes pure. The festival of Basant Panchami is celebrated not only in India but in many Asian countries according to the local culture.
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ,
अज्ञानता से हमें तार दे माँ।
तू स्वर की देवी, है संगीत तुझसे,
हर शब्द तेरा, है हर गीत तुझसे।
हम है अकेले, हम है अधूरे,
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ।।
मुनियों ने समझी, है गुनियों ने जानी,
वेदों की भाषा, पुराणों की वाणी।
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने,
विद्या का हमको अधिकार दे माँ।।
तू श्वेतवर्णी कमल पे विराजे,
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे।
मन से हमारे मिटा कर अँधेरे,
हमको उजालों का संसार दे माँ।।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ,
अज्ञानता से हमें तार दे माँ।।
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय…..
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय…..
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय…..
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय…..
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय…..
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..
Astro Arun Pandit is the best astrologer in India in the field of Astrology, Numerology & Palmistry. He has been helping people solve their life problems related to government jobs, health, marriage, love, career, and business for 49+ years.
अक्टूबर राशिफल 2023 सौगातों या समस्या से भरा रहेगा अक्टूबर का ये महीना आपके लिये। अक्टूबर के महीने में शनि कुछ राशियों में वक्री हो रहे है, जिससे कुछ राशियों
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत पूर्णिमा की तिथि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा की जाती है, साथ
अनंत चतुर्दशी अनंत चतुर्दशी अनंत चतुर्दशी व्रत का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है, इसे हम लोग अनंत चौदस के नाम से भी जानते है। इस व्रत में भगवान विष्णु
परिवर्तिनी एकादशी परिवर्तिनी एकादशी युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन्! भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी का क्या नाम है तथा इसकी विधि और माहात्म्य क्या है? कृपा करके आप विस्तार-पूर्वक कहिए।
हरतालिका तीज हरतालिका तीज व्रत सनातन धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है।यह त्योहार मुख्य रूप से महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष
गणेश चतुर्थी गणेश चतुर्थी व्रत हर भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी। इस चतुर्थी को सिद्धि विनायक व्रत के नाम से भी जाना जाता है।