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Ahilya Bai Holkar legacy astro arun pandit

भगवान शिव की लाड़ली देवी अहिल्या बाई।

भारत की धरती पर आपने कई महापुरुषों का नाम तो सुने हैं, जिन्होंने देश के लिए बड़े त्याग और समर्पण किये है। लेकिन ऐसी बहुत नारी शक्तियां भी भारत में हुई हैं, जिन्होंने समाज और देश के लिए कई ऐतिहासिक कार्य किये हैं, जैसे महारानी लक्ष्मी बाई, रानी दुर्गावती, सावित्री बाई फुले, सरोजिनी नायडू, किट्टूर चेनम्मा आदि। इतिहास के पन्नों से एक और बड़ा नाम निकल कर आता है देवी अहिल्याबाई होल्कर का, 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चोंडी में जन्मीं एक ऐसी नारिशक्ति जिन्हें आज पूरे भारत में देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी अहिल्या बाई मध्यप्रदेश के मालवा और इंदौर रियासत को विश्व प्रसिद्ध करने वाली महान नारी हैं। उनके दूसरों की भलाई के लिए किए कार्यों, स्वार्थहीनता और समर्पण भाव की वजह से लोग उन्हें भगवान मानते है।

आइए देवी अहिल्या बाई के बारे में विस्तार से जानते हैं-

भगवान शिव की भक्त देवी अहिल्या-

  • देवी अहिल्या बाई भगवान शिव की बहुत बड़ी उपासक रहीं। उनकी सभी राजाज्ञाओं पर ‘श्री शंकर आज्ञा’ लिखा रहता था।
  • उनका मत था कि सत्ता मेरी नहीं, सम्पत्ति भी मेरी नहीं जो कुछ है भगवान का है और उसके प्रतिनिधि स्वरूप समाज का है। इस प्रकार उन्होंने समाज को भगवान का प्रतिनिधि माना और समाज को ही अपनी सारी सम्पदा सौंप दी।
  • वे अपने समय में ही इतनी श्रद्धास्पद बनीं कि समाज ने उन्हें अवतार मान लिया। अंत समय राजसी वैभव त्यागकर महेश्वर में रहकर उन्होंने भगवान शिव की उपासना की और वहाँ रहकर भी हमेशा सभी की समस्याएं सुलझाईं।
  • उन्होंने कई तीर्थों में मंदिर निर्माण करवाये और धार्मिक स्थलों के विकास के लिए अनेकों कार्य किये, पवित्र नदियों के किनारों पर सैंकड़ों घाटों का निर्माण करवाए।
  • उन्होंने मुगलों द्वारा तोड़े गए मंदिरों के सुधार कार्य, पुनर्निर्माण और उन मंदिरों में शास्त्र विधान से पूजन-पाठ फिर से शुरू करवाया।
  • काशी विश्वनाथ मंदिर निर्माण और शिवलिंग स्थापना का श्रेय देवी अहिल्या को ही जाता है। भगवान शिव की कृपा के चलते ही उन्होंने अपने जीवन में आने वाली हर नकारात्मकता को हराकर विजय पाई थी।

शिवभक्ति में छुपा है देवी अहिल्या की सफलता का रहस्य-

देवी अहिल्या बाई की सफलता का रहस्य उनकी शिवभक्ति रही। राजनीति में उनके खिलाफ़ हजारों षड्यंत्र हुए, कोई प्रबल मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हुआ, अपने पति, ससुर, बेटे और कई अपनों का साथ छूट जाने के बाद अकेले रह जाने के बाद भी वे एकाग्र रहीं और अपने कार्यों के चलते महानता को प्राप्त हुईं। देवी अहिल्या के बारे में विस्तार से समझने के बाद यह एहसास होता है कि भगवान शिव की भक्ति, दृढ़ विश्वास और शास्त्र के नियमों के आधार पर अपनी दिनचर्या के चलते ही उन्हें आज सभी देवी का दर्जा देते हैं। देवी अहिल्या बाई के पूरे जीवन से हमें भी भगवान शिव की कृपा का पात्र बनने की सीख मिलती है। अहिल्या बाई की विशेषताओं में उनकी दिनचर्या, शिवजी पर अटूट विश्वास, स्वार्थहीन चरित्र, कुशल नेतृत्व, खराब परिस्थिति में भी सही फैसले लेना, राजनीति में पारंगत, समाज कल्याण की भावना, और समर्पण भाव थी जो हमें जीवन जीने के सही मायने सिखाता है।

हिन्दुत्व के लिए देवी अहिल्याबाई के कार्य-

देवी अहिल्याबाई (1725-1795) को धर्म और संस्कृति की रक्षा करने के लिए पुण्यश्लोक भी कहा जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में भारत के लिए अनेक ऐसे कार्य किये जिनके बारें में कोई राजा भी नहीं सोच सकता था।

  • देवी अहिल्या बाई ने मुगलों के अत्याचारों के शिकार हुए भारत के अनेक तीर्थ स्थलों और अनेक स्थानों पर 100 से भी अधिक मंदिर बनवाएं, वहां तक पहुँचने के लिए मार्ग निर्माण करवाया।
  • हिमालय से लेकर दक्षिण राज्यों तक उन्होंने धर्म यात्रियों के लिए कुएं, जलाशय और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया।
  • बद्रीनाथ, द्वारिका, गया, ओंकारेश्वर, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम जैसे महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थों में देवी अहिल्या बाई ने कई दान पुण्य और निर्माण कार्य करवाये।
  • औरंगजेब के द्वारा तोड़े गए काशी विश्वनाथ मंदिर का 1780 में पुनर्निर्माण और शिवलिंग की स्थापना भी देवी अहिल्या बाई ने ही कारवाई थी।

देवी अहिल्या कैसे बनी प्रजा की माता-

  • देवी अहिल्या बाई ने शासन संभालने से लेकर जीवन केअंत तक अपनी प्रजा के हित के लिए इतने कार्य किये कि पूरी प्रजा उन्हें अपनी माता समझती थी। उन्होंने कई अस्पताल और घाटों का निर्माण करवाया।
  • अपने शासन काल में उन्होंने अपने क्षेत्र से डाकू और पिंडारियों को जंगल की सुरक्षा सेना में बदलकर न केवल आतंक को खत्म किया बल्कि आम इंसान के सुकून के लिए उन्होंने बहुत साहसिक कार्य भी किया था।
  • राज्य की स्त्रियों को अस्त्र-शस्त्र से शिक्षित कर पहली बार किसी राज्य में स्त्री सेना का निर्माण अहिल्या बाई ने ही करवाया।
  • उनके रहते कभी भी मालवा में किसी तरह का बाहरी आक्रमण नहीं हुआ। इसके विपत्रीत संकट की परिस्थिति में आसपास के शासक देवी अहिल्या की मदद के लिए तत्पर रहते थे।
  • जब वे शासन में आई उस समय राजाओं द्वारा प्रजा पर अनेक अत्याचार हुआ करते थे, गरीबों को अन्न के लिए तरसाया जाता था और भूखे प्यासे रखकर उनसे काम करवाया जाता था। उस समय अहिल्याबाई ने गरीबों को अन्न दान की योजना बनाई और गरीबों के लिए अपने हर कार्य में सफल भी हुई।
अपने तेज, सेवा भावना, अद्भुत विचारों और प्रजा सम्मान की वजह से अहिल्याबाई को लोग माता की छवि मानते थे और उनके जीवनकाल में ही उन्हें देवी के रूप में पूजने लगे थे। स्वयं को छोड़कर दूसरों के हित के लिए जीने वाली माँ के समान देवी अहिल्या बाई का महेश्वर में 13 अगस्त 1795 के दिन 70 वर्ष की उम्र में परलोक गमन हो गया। वे चल बसीं लेकिन उनके किये कार्यों और उनकी महानता को आज भी गर्व से याद किया जाता है।

About The Author -

Astro Arun Pandit is the best astrologer in India in the field of Astrology, Numerology & Palmistry. He has been helping people solve their life problems related to government jobs, health, marriage, love, career, and business for 49+ years.

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