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deepawali 2023 vishesh upaaye astro arun pandit

कितने ही अंधेरे मिलकर कायम हो जाएँ,
मिटाने को उजियारे की एक लौ काफी है।

दीपों का त्यौहार दीपावली नई उमंग और नया उत्साह लेकर आता है, गहरे से गहरे अँधियारे को खत्म करने के लिए जैसे एक दीपक ही काफी होता है, वैसे ही हमारे मन के अंधेरे यानि बुराइयों को खत्म करने के लिए भी दीपावली का त्यौहार जाना जाता है। यह त्यौहार कई मायनों में अलग-अलग महत्व रखता है, इस दिन केवल धन के अर्जन के लिए लक्ष्मी पूजा नहीं होती बल्कि कई तरह की सिद्धियों को पाने का बहुत सही समय होता है। दीपावली का त्यौहार 5 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाए जाते हैं। हिन्दू परंपरा के अनुसार इस दिन साधक लोगों द्वारा कई सात्विक सिद्धियों की प्राप्ति के लिए पूजन, जप और साधना की जाती है। इसलिए आज के इस ब्लॉग में आप जानेंगे, दीपावली के इन 5 दिनों में आपको क्या करना चाहिए। ताकि आप दैवीय कृपा पाकर एक खुशहाल और भरापूरा जीवन जी सकें।

धनतेरस (10 जनवरी)

धनतेरस सनातन हिन्दू धर्म का एक ऐतिहासिक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे दीपावली के 2 दिन पहले मनाया जाता है। इस पर्व का महत्व धन, संपत्ति, और आरोग्य की प्राप्ति के लिए होता है, इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। जो समुद्र मंथन के आखिरी दिन औषधियों से पूर्ण अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।

क्या करें-

इस दिन आपको अपने शारीरिक और मानसिक आरोग्य की रक्षा करने के लिए सात्विक आहार और औषधियों का सेवन करना चाहिए । साथ ही देवी लक्ष्मी और देवी गायत्री की पूजा कर भगवान धन्वंतरि के इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय सर्वभयविनाशाय सर्वरोगनिवारणाय त्रैलोक्यपतये त्रैलोक्यनिधये श्रीमहाविष्णुस्वरूपाय श्रीधन्वन्तरीस्वरूपाय श्री श्री श्री औषधचक्राय नारायणाय नमः॥
धनतेरस का दिन हमें धन, संपत्ति, और आरोग्य के महत्व को समझने का मौका देता है। हमें अपने जीवन में सात्विकता और आत्मविकास की दिशा में ही आगे बढ़ते रहना चाहिए।

नरक चतुर्दशी (11 नवंबर)

नरक चतुर्दशी दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाने वाला पवित्र त्यौहार है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर नामक दैत्य का अंत करके उसके पास बंधक 16108 स्त्रियों को मुक्त किया था और उनके सम्मान की रक्षा के लिए सभी को अपनी पटरानी होने का दर्जा दिया था। इसलिए सनातन धर्म में दीपावली से ठीक एक दिन पहले भगवान कृष्ण की पूजन और चिंतन किया जाता है।

क्या करें-

नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करके अपने घर में 5 दीपक जलाकर श्री कृष्ण अर्पणम कहकर रखने से घर में मौजूद बुरी ताकतों का नाश होता है। इनमें से पहला दीपक घर के पूजा स्थान, दूसरा रसोई घर में, तीसरा उस जगह जलाना चाहिए जहां हम पीने का पानी रखते हैं, चौथा पीपल या वट के पेड़ के तले और पांचवां घर के मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए।

मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्‌।

यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्‌॥

साथ ही इस शक्तिशाली मंत्र का ऐसा करने से श्रीकृष्ण का वास सदैव आपके घर पर बना रहता है और हर संकट का अंत होता है।

दीपावली (12 नवंबर)

दीपावली का त्यौहार साल का सबसे ज्यादा प्रकाशक पर्व है, इस दिन अंतरिक्ष से भी भारत में हर तरफ उजियारा दिखाई देता है। कार्तिक मास की अमावस्या सबसे घनी अंधियारी अमावस्या होती है, इसलिए इस दिन हर तरफ प्रकाश और अच्छाई की रोशनी दिखाई देती है। लक्ष्मी पूजन, साधना, सुख-समृद्धि की प्रार्थना करने के लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है।

क्या करें-

दीपावली के दिन माता महालक्षमी की पूजन और साधना करने का विधान है, कार्तिक मास की अमावस्या सबसे ज्यादा सिद्धि देने वाली रात्रि है, इसलिए मंत्रसिद्धि, कार्यसिद्धि, धन सिद्धि, समृद्धि सिद्धि करने का यह बहुत शुभ समय है, इस दिन पूरे घर में प्रकाश रखें, सफाई रखें, दान करें, गाय की सेवा करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, और जितना अधिक हो सके माता महालक्ष्मी के इस वैदिक मंत्र का जप करें-

॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ  महालक्ष्मी नमः:॥

गोवर्धन पूजा (13 नवंबर)

गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन इसलिए मनाई जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इन्द्र देव के स्थान पर गोवर्धन पूजा सारे वृंदावन से कराई थी, और इसी दिन गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्का उंगली पर उठाकर वृंदावन की रक्षा की थी। तब से इसी तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन गाय की पूजन का भी विशेष महत्व है।

क्या करें-

समस्त सृष्टी गौवंश का दूध पीकर ही पलता है, इसलिए गाय को सनातन धर्म में माता का दर्जा दिया गया है। इस दिन गाय के गोबर से घर के आँगन में गोवर्धन पर्वत बनाकर कृष्ण पूजा और कुलदेव का पूजन करके गायों की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। इस दिन हर समय ॥ॐ गोविन्दाय नमः॥ का जाप करते रहें और गायों की पूजा इस मंत्र से करें।
गावो मे सर्वतश्चैव गवां मध्ये वसाम्यहम्॥ सुरूपा बहुरूपाश्च विश्वरूपाश्च मातरः। गावो मामुपतिष्ठन्तामिति नित्यं प्रकीर्तयेत्॥

गोवर्धन पूजा का दिन गाय की सेवा में ही बीते ऐसा प्रयास हमें करना चाहिए।

भाई दूज (14 नवंबर)

भाई दूज दीपावली का अंतिम दिवस होता है इस दिन पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन यमदेव अपनी बहन यमी से मिलने उनके निवास स्थान पर गए थे और देवी यमी ने यमराज का रक्षा तिलक लगाकर स्वागत किया था। इसलिए सनातन धर्म में इस दिन हर बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी दीर्घायु और समृद्धि के लिए यमराज से प्रार्थना करती है। भाई अपनी विवाहित बहन के ससुराल जाकर तिलक करवाते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं।

क्या करें-

इस दिन यमराज और चित्रगुप्त के नाम से अर्घ्य और दीप दान किया जाता है। 

सबसे पहले सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान और सूर्य अर्घ्य देना चाहिए। इसके तुरंत बाद या इस तिथि के शुभ मुहूर्त में बहनों को यमराज और चित्रगुप्त पूजन करनी चाहिए और भाइयों को कुमकुम व चंदन का तिलक लगाना चाहिए और भगवान यम से उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करनी चाहिए। पूजा और तिलक करते समय इस मंत्र का जाप जरूर करें- 

यमी यमराजं पूजयति, सुभद्रा कृष्णं पूजयति,

गंगायमुना नद्यः प्रवहन्तु भ्रातस्तव वर्धस्व समृद्धिम्॥

 

इसके बाद बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसका सत्कार करें और उसके मंगल जीवन की कामना करें, और भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन दें।

Note- बताए गए नियम सभी राशियों के लिए लागू है