मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्॥
दीपावली के दिन माता महालक्षमी की पूजन और साधना करने का विधान है, कार्तिक मास की अमावस्या सबसे ज्यादा सिद्धि देने वाली रात्रि है, इसलिए मंत्रसिद्धि, कार्यसिद्धि, धन सिद्धि, समृद्धि सिद्धि करने का यह बहुत शुभ समय है, इस दिन पूरे घर में प्रकाश रखें, सफाई रखें, दान करें, गाय की सेवा करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, और जितना अधिक हो सके माता महालक्ष्मी के इस वैदिक मंत्र का जप करें-
॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः:॥
गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन इसलिए मनाई जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इन्द्र देव के स्थान पर गोवर्धन पूजा सारे वृंदावन से कराई थी, और इसी दिन गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्का उंगली पर उठाकर वृंदावन की रक्षा की थी। तब से इसी तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन गाय की पूजन का भी विशेष महत्व है।
गोवर्धन पूजा का दिन गाय की सेवा में ही बीते ऐसा प्रयास हमें करना चाहिए।
भाई दूज दीपावली का अंतिम दिवस होता है इस दिन पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन यमदेव अपनी बहन यमी से मिलने उनके निवास स्थान पर गए थे और देवी यमी ने यमराज का रक्षा तिलक लगाकर स्वागत किया था। इसलिए सनातन धर्म में इस दिन हर बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी दीर्घायु और समृद्धि के लिए यमराज से प्रार्थना करती है। भाई अपनी विवाहित बहन के ससुराल जाकर तिलक करवाते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
इस दिन यमराज और चित्रगुप्त के नाम से अर्घ्य और दीप दान किया जाता है।
सबसे पहले सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान और सूर्य अर्घ्य देना चाहिए। इसके तुरंत बाद या इस तिथि के शुभ मुहूर्त में बहनों को यमराज और चित्रगुप्त पूजन करनी चाहिए और भाइयों को कुमकुम व चंदन का तिलक लगाना चाहिए और भगवान यम से उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करनी चाहिए। पूजा और तिलक करते समय इस मंत्र का जाप जरूर करें-
यमी यमराजं पूजयति, सुभद्रा कृष्णं पूजयति,
गंगायमुना नद्यः प्रवहन्तु भ्रातस्तव वर्धस्व समृद्धिम्॥
इसके बाद बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसका सत्कार करें और उसके मंगल जीवन की कामना करें, और भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन दें।
Note- बताए गए नियम सभी राशियों के लिए लागू है