होलिका दहन 2024 के नियमों का पालन करते समय, कुछ चीज़ों का ध्यान रखना आवश्यक है। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक का महत्व होता है, जिसमें शुभ कार्यों से परहेज़ किया जाता है। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है, जिसके लिए दो मुख्य नियमों का पालन किया जाना चाहिए।
पहला नियम है कि उस दिन “भद्रा” नहीं होनी चाहिए। भद्रा को विष्टि करण भी कहा जाता है, जो एक करण है और तिथि के आधे भाग के बराबर होता है। दूसरा नियम है कि पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए, अर्थात् सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा होनी चाहिए।
होलिका दहन के दूसरे दिन लोग रंगों की होली खेलते हैं और एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते हैं, जो पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
होलिका दहन 2024- पुराणों के अनुसार, दानवराज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद की अद्वितीय विष्णु भक्ति को देखकर उसकी हत्या के उद्देश्य से कई षड्यन्त्र किये और अंत में अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद की हत्या करने का आदेश दिया। होलिका, जिसे वरदान मिला था कि वह अग्नि में हमेशा अक्षत रहेगी, प्रह्लाद को गोद में बैठाकर अग्नि में प्रवेश किया। परन्तु परमात्मा की विशेष कृपा से होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। इसी ऐतिहासिक घटना के स्मरण में होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है, जो हमें बताता है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
होली पर्व का इतिहास बहुत पुराने समय का है। विजयनगर साम्राज्य की प्राचीन राजधानी हम्पी में 16वीं शताब्दी के चित्र में होली का उल्लेख मिलता है। रामगढ़ के निकट विंध्य पर्वतों में भी, ईसा से 300 वर्ष पूर्व के अभिलेखों में होली का जिक्र है। कुछ विद्वान मानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन राक्षसी पूतना का वध किया था जिसकी खुशी में गोपियों और ब्रजवासियों ने होली खेली थी।
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, होलिका दहन के बाद उस राख को लेकर मुख्य द्वार और घर में चारों ओर छिड़कें। ऐसा करने से आपके घर में फैली नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी और स्वतः ही सुख-समृद्धि बढ़ने लगेगी।
अगर आपको लगता है कि घर में किसी के ऊपर जादू-टोना किया गया है, तो होलिका दहन के दिन घर के सभी व्यक्ति सरसों के तेल व बेसन का मसाज करें, उससे निकलने वाले मेल को होलिका दहन की आग में जला दें। इस उपाय से आपका शरीर स्वस्थ हो जाएगा और जादू-टोने का प्रभाव भी समाप्त हो जाएगा।
कुश, जौ, अलसी और गाय का गोबर लेकर एक छोटा सा उपला तैयार करें और इसे घर के प्रमुख द्वार पर लटका दें। इस उपाय से आपका घर बुरी नजर, टोने-टोटके और सभी प्रकार की समस्याओं से सुरक्षित रहेगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलिका दहन के दिन होलिका अग्नि के साथ चारों दिशाओं में तीन परिक्रमा करें। इस तरीके से आपको सभी रोगों से राहत मिल सकती है।
होलिका दहन के दिन होली की राख को लेकर माथे पर बाएं और दाएं तरफ से तीन रेखाओं से त्रिपुंड बनाएं। इस मान्यता के अनुसार, इसे लगाने से 27 कोटी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।