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kajri teej 2023 vrat ka niyam pauranik mehetav astrologer arun ji
kajri teej 2023 vrat ka niyam pauranik mehetav astrologer arun ji

कजरी तीज

कजरी तीज के दिन शादीशुदा स्त्रियाँ पति परमेश्वर की लंबी आयू के लिए उपवास करती है और किशोरियाँ इस त्यौहार पर अच्छा पति पाने के लिए उपवास करती हैं।आज के दिन चने की दाल का सत्तू,जौ, चने, चावल और और उसमें घी और मेवा मिलाकर कई प्रकार के भोजन बनाते हैं। साथ ही चंद्र देव की पूजा करने के बाद उपवास तोड़ते हैं। कजरी तीज भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, और जहाँ-जहाँ पर हिंदू धर्म के अनुयायी रहते हैं वहाँ पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार भगवान शिव और पार्वती के उत्साह से मनाया जाता है।

कजरी तीज की तिथि-
1सितंबर शुक्रवार, 2023 को 23:52:pm से तृतीया आरम्भ
2 सितंबर शनिवार, 2023 को 20:51:pm पर तृतीया समाप्त

पौराणिक मान्यतायें

आज के दिन शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए कजली तीज का व्रत रखती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। कजरी तीज पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। चंद्र देव के दर्शन के बाद भोजन करके व्रत तोड़ती हैं। इस दिन गायों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आटे की सात लोइयां बनाकर उन पर घी, गुड़ रखकर गाय को खिलाने के बाद भोजन किया जाता है। इस दिन घर मे उत्सव का माहोल होता है घर की स्त्रियाँ आपस में एकत्रित होकर नृत्य गीत का आयोजन करती है।

पूजन की विधि

 

पूजन से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है (घी और गुड़ से पाल बांधकर) और उसके पास नीम की टहनी को रोप देते हैं। तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और किनारे पर एक दीया जलाकर रखते हैं। थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं। इसके अलावा लोटे में कच्चा दूध लें और फिर शाम के समय श्रृंगार करने के बाद नीमड़ी माता की पूजा इस प्रकार करें 

  1. सबसे अपने हाथ पैर धोकर नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे के साथ चावल चढ़ाएं।
  2. नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाएं। मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए।
  3. नीमड़ी माता को कोई फल और पैसे चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर रोली अच्छे से बांधें।
  4. पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और सच्चे मन से अपनी मनोकामना भगवान चंद्र देव के सामने रखें।  

कजरी तीज में व्रत का नियम

1.इस व्रत को  सामान्यत: निर्जला रहकर किया जाता है। हालांकि गर्भवती स्त्री फलाहार का सेवन कर सकती हैं।
  1. यदि चांद उदय होते नहीं दिख पाये तो रात्रि में लगभग 11:30 बजे आसमान की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोला जा सकता है।
  2. पूजन के बाद संपूर्ण उपवास अगर संभव नहीं हो तो फलाहार भी किया जा सकता है।

  3. इस दिन महिलाएं रक्षा बंधन से 15 दिन बाद अपनी सुहागिन औरत के रूप में धूमधाम से त्योहार मनाती हैं। वे पूजा-अर्चना करती हैं, भगवान शिव का व्रत रखती हैं, और शिवलिंग पर जल अर्पित करती हैं। उन्हें कजरी गीत गाने का भी बड़ा शौक होता है। इस दिन अपनी दोस्तों और परिवार के साथ महिलाएं सजग रहती हैं और अपने सुहाग का ख्याल रखती हैं। वे सुहागिनों के बीच में ख़ुशी और प्यार बाँटती हैं।

About The Author -

Astro Arun Pandit is the best astrologer in India in the field of Astrology, Numerology & Palmistry. He has been helping people solve their life problems related to government jobs, health, marriage, love, career, and business for 49+ years.

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