Libra Zodiac Sign Personality Traits
Welcome to the fascinating world of astrology, where the alignment of stars and planets shapes our personalities and influences every aspect of our lives. Among the twelve zodiac signs, each
घर की सामग्री-
शुद्ध जल, एक बड़ा पटा या चौरंग, बैठने की आसान, बामी की मिट्टी या चिकनी काली मिट्टी शिवलिंग बनाने हेतु, दूध, पूजा थाल, पंचपात्र, तांबे का लोटा, फूल (धतूरा, अकोना, मोगरा), बेलपत्र, शमीपत्र, दूर्वा, पवित्री ( दूर्वा से बनी अंगूठी ) गंगाजल, पान, मिठाई, फल, प्रसाद, पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद का मिश्रण), अक्षत (चावल), दीपक और आरती, तेल, आम के पत्ते।
House material-
Pure water, a big Pata or Chowrang, easy to sit, Bami soil or smooth black soil for making Shivling, Milk, Pooja Thal, Panchpatra, Copper Lota, Flowers (Dhatura, Akona, Mogra), Belpatra, Shamipatra, Durva, Pavitri (ring made of durva) Gangajal, paan, sweets, fruits, prasad, panchamrit (mixture of milk, curd, ghee, sugar, honey), akshat (rice), lamp and aarti, oil, mango leaves.
पूजा सामग्री-
आसन कपड़ा, सुपारी, हल्दी गाँठ, बादाम, खारक, पंचमेवा, इत्र, गुलाबजल या केवड़ा जल, कुमकुम, हल्दी, भांग, भष्म, अबीर, गुलाल, अभ्रक, काला बुक्का, चंदन, केसर, शहद, पंचरत्न, जनेऊ, कच्चा धागा, मौली धागा, धूपबत्ती, नारियल, सिक्के, लौंग इलायची, कपूर, घी, रूई, 16 शृंगार, हवन, नवग्रह समिधा, आम की लकड़ी (हवन के लिए) और गोबर के कंडे।
Worship material-
Aasan cloth, supari, turmeric knot, almond, kharak, panchmeva, perfume, rose water or kewra water, kumkum, turmeric, hemp, ash, abir, gulal, mica, black bukka, sandalwood, saffron, honey, pancharatna, janeu, raw thread , Molly thread, incense sticks, coconut, coins, cloves, cardamom, camphor, ghee, cotton, 16 Shringar, Havan, Navagraha Samidha, mango wood (for Havan) and cow dung cakes.
महाशिवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में ही नींद त्याग देना चाहिए, और दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर के स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव के व्रत, पूजन और सुविचारों के ग्रहण करने का संकल्प मन में करना चाहिए। पूजा स्थल में साफ-सफाई करने के बाद पूजा की सभी सामग्रियों को एकत्र करके रख लेना चाहिए। घर के द्वार पर आम के पत्तों की तोरण, पुष्पहार और केले के पत्तों से सजावट करनी चाहिए। घर के आँगन को गाय के गोबर से लीप कर रंगोली बनाकर आँगन को सजाना चाहिए। मिट्टी में दूध और गंगाजल मिलाकर स्वयं के हाथों से महामृत्युंजय मंत्र का लगातार उच्चारण करते हुए सुंदर शिवलिंग का निर्माण करना चाहिए। यह सारे कार्य सुबह जल्दी कर लेना चाहिए, ताकि पूजा सही समय पर शुरू की जा सके।
On the day of Mahashivratri, one should give up sleep in the Brahma Muhurta in the morning, and after retiring from daily activities and taking bath etc., one should make a resolution in the mind to fast, worship and receive good thoughts of Lord Shiva. After cleaning the place of worship, all the materials of worship should be collected and kept. The entrance of the house should be decorated with mango leaves, wreaths and banana leaves. The courtyard of the house should be decorated by making rangoli by leaping with cow dung. A beautiful Shivling should be made by mixing milk and Ganges water in the soil and reciting the Mahamrityunjaya mantra continuously with one’s own hands. All these works should be done early in the morning, so that the worship can be started at the right time.
अब पूजा स्थल में पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए और चौरंग या पटे पर आसन कपड़ा बिछाकर, अक्षत फैलाकर उस पर बड़े से बर्तन में शिवलिंग रखना चाहिए, शिवलिंग की जिलहरी उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए। नीचे एक और पटा बिछाकर उसपर भी एक स्वच्छ कपड़ा बिछाना चाहिए। पटे के दाहिने ओर थोड़े से अनाज (गेंहू या चावल) रखकर एक तांबा या कांसा का लोटा रखना चाहिए, उस पर स्वास्तिक का सुंदर प्रतीक चिन्ह बना कर, लोटे के कंठ में 3 बार कच्चा धागा लपेटना चाहिए। लोटे में एक सिक्का, अक्षत, एक हल्दी गाँठ, एक सुपारी और पंचरत्न डालकर गंगाजल मिला हुआ शुद्ध जल आधा भरना चाहिए। पाँच आम के पत्तों को लोटे में खड़े रखकर उसके ऊपर मौली धागा लपेटा हुआ नारियल उल्टा रखें। इस जल कलश के प्रमुख देव वरुण देव होते हैं। इसमें शास्त्रों में वर्णित 7 नदियों का जल, अनाज, औषधि और रत्न आदि शुद्ध प्राकृतिक तत्व मिलाए जाते हैं और सभी देवी देवताओं का आवाहन- निमंत्रण किया जाता है, जिससे यह सकारात्मक ऊर्जा का संचारक तत्व होता है, इसलिए इसका हर देव पूजा में अनिवार्य स्थान होता है।
अब चावल के नौ भाग बनाकर नवग्रह स्थापना के लिए कलश के बाजू चावल को नवग्रह के आकार में रखें अगर ऐसा संभव न हो तो चावल के 3-3 के 9 भाग रखें और इसपर मौली या कच्चा धागा 3 बार लपेट कर एक-एक सुपारी रखें, इसके साथ ही एक-एक हल्दी गाँठ, बादाम, खारक, लौंग-इलायची और सिक्के रखकर नवग्रह बनायें। साथ ही एक अन्य बर्तन में माता दुर्गा और गणेश जी की मूर्ति रखें। अगर न हों तो सुपारी में मौली धागा लपेट कर माता दुर्गा और गाय के गोबर से गणेश जी की मूर्त स्वरूप बनाकर स्थापना करें।
Now in the place of worship, one should sit facing the east and by spreading a seat cloth on the floor, a Shivling should be placed on it in a big pot, the water of the Shivling should be towards the north. A clean cloth should be spread on it by laying another belt below. A copper or bronze pot should be kept with some grains (wheat or rice) on the right side of the plate, a beautiful symbol of Swastik should be made on it, and a raw thread should be wrapped around the neck of the pot 3 times. Put a coin, Akshat, a turmeric knot, a betel nut and five gems in the pot and half fill it with pure water mixed with Ganga water. Keeping five mango leaves standing in a pot, keep a coconut wrapped with molly thread upside down on it. The main deity of this water urn is Varun Dev. Pure natural elements such as water, grains, medicines and gems etc. from 7 rivers mentioned in the scriptures are added and all the gods and goddesses are invoked, due to which it is a communicator of positive energy, therefore it is essential in every deity worship. There is a place.
Now make nine parts of rice and place the rice on the side of the urn in the shape of the Navagraha, if this is not possible, then keep 3-9 parts of rice and wrap Molly or raw thread 3 times on it and place one supari each. Along with this, make Navagraha by placing one turmeric knot, almond, kharak, clove-cardamom and coins. Along with this, keep the idol of Mata Durga and Ganesha in another vessel. If they are not there, wrap a molly thread in betel nut and make an idol of Goddess Durga and Ganesh ji with cow dung and establish it.
1. सबसे पहले स्वच्छ वस्त्रों को धारण करें और अपनी आसन पर पूर्व मुख करके बैठ जाएँ, हाथ धोकर पवित्री धारण करें और पंचपात्र के शुद्ध जल से सभी तरफ जल छिड़क कर इस मंत्र के साथ पवित्रीकरण करें-
1. First of all wear clean clothes and sit on your aasan facing east, wash your hands and wear the sacred thread and purify it by sprinkling water all over with the pure water of the panchpatra with this mantra-
पवित्री मंत्र-
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपिवा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्यात् भ्यन्तर: शुचि:।।
2. अपने माथे पर चंदन का तिलक करें, इसके बाद आप जहां बैठे हैं उस पृथ्वी देवी को सम्मान दें और धन्यवाद स्वरूप अपनी आसन के नीचे पुष्प और अक्षत समर्पित करके इस मंत्र से पृथ्वी पूजन करें-
2. Apply sandalwood tilak on your forehead, after that pay respect to the Goddess Earth where you are sitting and worship the earth with this mantra by dedicating flowers and akshat under your aasan as a thank you-
पृथ्वी पूजा मंत्र-
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवी त्वम् विष्णुना धृता।
त्वाम् च धारय मां देवी पवित्रं कुरु चासनम्।।
3. अब हाथों में फूल और चावल लेकर भगवान शिव का ध्यान कर वेदों में लिखे शुभ के कारक स्वस्तिवाचन मंत्र का पाठ करें-
3. Now, taking flowers and rice in hands, meditate on Lord Shiva and recite the Swastivachan mantra written in the Vedas for auspiciousness-
स्वस्तिवाचन-
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
पृषदश्वा मरुतः पृश्निमातरः शुभंयावानो विदथेषु जग्मयः।
अग्निजिह्वा मनवः सूरचक्षसो विश्वे नो देवा अवसा गमन्निह ॥
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरंगैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥
शतमिन्नु शरदो अन्ति देवा यत्रा नश्चक्रा जरसं तनूनाम।
पुत्रासो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तोः ॥
अदितिर्द्यौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्रः।
विश्वेदेवा अदितिः पंचजना अदितिर्जातमदितिर्जनित्वम॥
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥
यतो यतः समिहसे ततो नो अभयं कुरु शनः कुरु प्रजाभ्यो भयं नः पशुभ्यः सुशांतिर्भवतु।।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
4. अब हाथ में गंगाजल लेकर अपना नाम, गोत्र, स्थान, तिथि और समय का मन में उच्चारण कर भगवान शिव के पूजन का विधि पूर्वक संकल्प करें-
4. Now taking Gangajal in hand, pronounce your name, gotra, place, date and time in your mind and resolve to worship Lord Shiva.
5. अब हाथों में फूल और चावल लेकर माता गौरी और गणेश का ध्यान, आवाहन करें और अक्षत चढ़ा कर प्रतिष्ठा करें। इसके बाद तीन बार जल चढ़ाएं (पाद्य, अर्घ्य, आचमन हेतु), अब पंचामृत से स्नान करें और पुनः शुद्ध जल से स्नान करें। भगवान गणेश को जनेऊ- वस्त्र और माता गौरी को वस्त्र चढ़ाएं, अब षोडशोपचार विधि से पूजा करें, धूप और कर्पूर की आरती करें और अंत में पुष्पांजलि समर्पित करें। हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
5. Now take flowers and rice in hands, meditate on Mother Gauri and Ganesha, appeal and worship them by offering Akshat. After this offer water thrice (for padya, arghya, aachaman), now bathe with Panchamrit and again bathe with pure water. Offer Janeu-cloth to Lord Ganesha and cloth to Mother Gauri, now worship with Shodshopachar method, perform aarti of incense and camphor and finally dedicate wreath. Pray with folded hands.
गणेश पूजा मंत्र / Ganesh Puja Mantra-
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
गौरी पूजा मंत्र/ Gauri Puja Mantra-
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता:प्रणता:स्म ताम् ।।
6. जल कलश में भी उपरोक्त विधि से पूजन करें और सातों नदियों, त्रिदेवों और वरुण देव को ध्यान, आवाहन और प्रतिष्ठित करें और अंत में नीचे दिए गए मंत्रों से प्रार्थना करें-
6. Worship in the water urn also in the above method and meditate, invoke and worship the seven rivers, Tridev and Varun Dev and pray with the following mantras at the end-
7. इसके पश्चात नवग्रह की पूजन की ओर आगे बढ़ें और उपरोक्त विधि से ध्यान,आवाहन और प्रतिष्ठा करें। नौ ग्रहों का विधि पूर्वक मंत्रों के साथ षोडशोपचार पूजन करें और अंत में हाथ जोड़कर सकारात्मक दशाओं की अपेक्षा के साथ प्रार्थना करें।
7. After this proceed towards the worship of Navagraha and do meditation, invocation and prestige with the above method. Worship the nine planets methodically with mantras and at the end pray with folded hands expecting positive conditions.
कलश पूजन मंत्र/ Kalash worship mantra-
कलशस्य मुखे विष्णु: कंठे रुद्र: समाश्रित:।
मूले तत्र स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणा: स्मृता:।।
कुक्षौ तु सागरा: सर्वे सप्तद्वीपा वसुंधरा।
ऋग्वेदोअथ यजुर्वेद: सामवेदो ह्यथवर्ण:।।
अंगैच्श सहिता: सर्वे कलशं तु समाश्रिता:।
अत्र गायत्री सावित्री शांतिपृष्टिकरी तथा।
आयांतु मम शांत्यर्थ्य दुरितक्षयकारका:।।
सर्वे समुद्रा: सरितस्तीर्थानि जलदा नदा:।
आयांतु मम शांत्यर्थ्य दुरितक्षयकारका:।।
गंगे च यमुना चैव, गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी,जलेस्मिन संनिधि कुरु।।
नवग्रहों के पूजन मंत्र/ Worship mantras of Navagrahas-
सूर्य मंत्र- ॐ घृणि: सूर्याय नम:
चंद्र मंत्र- ॐ सों सोमाय नम:
भौम मंत्र- ॐ अंगारकाय नम:
बुध मंत्र- ॐ बुं बुधाय नम:
गुरु मंत्र- ॐ ब्रं बृहस्पतये नम:
शुक्र मंत्र- ॐ शुं शुक्राय नम:
शनि मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नम:
राहु मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स: राहवे नम:
केतु मंत्र- ॐ स्रां स्रीं स्रों स: केतवे नम:
नवग्रह प्रार्थना मंत्र-
ब्रह्मा मुरारीत्रिपुरान्तकारी
भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
8. अब भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग की पूजन करना प्रारंभ करें।
सबसे पहले नीचे दिए मंत्रों से हाथों में पुष्प और अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान, आवाहन और प्रतिष्ठा करें-
8. Now start worshiping the mortal Shivling of Lord Shiva.
First of all, meditate, invoke and worship Lord Shiva by taking flowers and Akshat in your hands with the following mantras-
भगवान शिव ध्यान मंत्र-
“ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं।
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।।
पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं।
विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।”
आवाहन मंत्र-
ॐ भूः पुरूषं साम्ब सदाशिवमावाहयामि,
ॐ भुवः पुरूषं साम्बसदाशिवमावाहयामि,
ॐ स्वः पुरूषं साम्बसदाशिवमावाहयामि।
प्राणप्रतिष्ठा मंत्र /Invocation Mantra-ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं शिवस्य प्राणा इह प्राणाःl
ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं शिवस्य जीव इह स्थितः।
ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं शिवस्य सर्वेन्द्रियाणि,वाङ् मनस्त्वक् चक्षुः
श्रोत्र जिह्वा घ्राण पाणिपाद पायूपस्थानि इहागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा।
अब भगवान शिव को पाद्य, अर्घ्य और आचमन के लिए 3 बार जल प्रदान करें, इसके बाद पंचामृत स्नान करवाएं और शुद्ध जल से पुनः स्नान करवाएं। इसके बाद भगवान शिव को जनेऊ धारण करवाएं। अब दुग्ध से रुद्राभिषेक करना प्रारंभ करें, ध्यान रखें कि इस समय भगवान शिव के पवित्र नाम मंत्र ॐ नमः शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जाप लगातार करते रहें।
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
अभिषेक करने के बाद पुनः शुद्ध जल से स्नान करवाने के बाद भगवान शिव की सभी पूजन सामग्रियों को बारी-बारी चढ़ाएं और षोडशोपचार पूजा करें। सुगंधित द्रव्य, पंचमेवा, पान, फल, दक्षिणा, नैवेद्य, वस्त्र और गौरी जी को शृंगार चढ़ायें।
After anointing, after taking bath again with pure water, offer all the worship materials to Lord Shiva one by one and perform Shodashopachar Puja. Offer fragrant liquid, Panchmeva, Paan, fruit, Dakshina, Naivedya, clothes and adornment to Gauri ji.
Now offer water to Lord Shiva 3 times for padya, arghya and aachaman, after that take panchamrit bath and again take bath with pure water. After this, make Lord Shiva wear the sacred thread. Now start doing Rudrabhishek with milk, keep in mind that at this time chant the holy name of Lord Shiva.Om Namah Shivaya And keep chanting the Mahamrityunjaya Mantra continuously.
अब प्रार्थना पूर्वक श्री रुद्राष्टकम का पाठ करें/ Now recite Sri Rudrashtakam with prayer:
नमामीशमिशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद: स्वरुपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाश मकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकामोंकारमूलं तुरीयं गिरा ध्यान गोतीतमीशं गिरिशम ।
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोअहम ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा लासद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा ॥
चलत्कुण्डलं शुभ नेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकंठ दयालम ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्ठं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सच्चीनान्द दाता पुरारी ।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं पूजा न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रुद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषा शंभो प्रसीदति ॥
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
कर्पूर आरती/ Karpur Aarti-
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
मंदार माला कलितालकायै, कपालमालंगित सुन्दराय।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय, नमः शिवायै च नमः शिवाय।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वम मम् देव देव।।
मंत्र पुष्पांजलि / Mantra Wreath-
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्रा पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः।।
ॐ सेवन्तिका बकुल चम्पक पाटलाब्जै, पुन्नाग जाति करवीर रसाल पुष्पैः।
बिल्व प्रवाल तुलसीदल मंजरीभिः, त्वां पूजयामि जगदीश्वर मे प्रसीद।।
नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोद्भवानि च। पुष्पाञ्जलिर्मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।।
।। ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते साम्ब सदाशिवाय नमः, मनसः वेदोक्त मंत्र पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि।।
नीचे दिए मंत्रों के साथ क्षमा प्रार्थना करे और मनोकामना मांग कर, हाथ में अक्षत लेकर विसर्जन मंत्र के साथ विसर्जन करें, फिर पार्थिव शिवलिंग को बहते पानी में ही प्रवाहित करें।
क्षमा प्रार्थना मंत्र/ Forgiveness prayer mantra-
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव! परिपूर्णम तदस्त्वमेव।।
विसर्जन मंत्र/ Immersion Mantra-
गच्छ गच्छ गुहम गच्छ स्वस्थान महेश्वर, पूजा अर्चना काले पुनरगमनाय च।
सबसे अंत में पूजन समाप्त होने के पश्चात सभी को प्रसाद वितरण करें और भजन और कीर्तन आदि का शुभ आयोजन करें। मंदिरों में जाकर अपना समय पवित्र करें, गरीब और असहायों की सेवा करें, जरुरतमन्द व्यक्ति को भोजन,वस्त्र आदि उपलब्ध करवायें और पूरे दिन अपने मन में ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहें।
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The concept of angel numbers has gained significant popularity in recent years, especially amid the growing interest in spirituality and the metaphysical. Among these numbers, 333 holds a special place,
23 सिंतबर से बुध का खुद की राशि में गोचर होने जा रहा है जो आपके रुके हुए कार्यो में आपको बढ़ोत्तरी देने का काम करेगा। बुध को कम्युनिकेशन, स्थिरता
इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण सर्व पितृ अमावस्या यानी 2 अक्टूबर को लग रहा है। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा और भारत में नहीं दिखाई देगा। इस सूर्य ग्रहण
इस साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा पर 18 सितंबर को लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा इसलिए इसका सूतक भी भारत में
अगर आप भी तुलसी की माला पहनते हैं तो आपको कुछ नियमों को जरूर मानना चाहिए। वरना आपके जीवन में कई परेशानियां आ सकती हैं। अगर आप बिना नियमों को