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रुद्राक्ष पहनते समय किन बातों का रखें ध्यान?
वर्तमान में हर व्यक्ति अपनी लाइफ की सभी परेशानियों से छुटकारा पाना चाहता है। हर व्यक्ति चाहता है कि उस पर भगवान शिव की कृपा बरसती रहे। ऐसे में वह
राशि का अर्थ वास्तव में आसमान में मौजूद ग्रह और उनकी नक्षत्र शृंखला की एक विशेष आकृति और स्थिति का नाम है। ब्रह्मांड में मौजूद ग्रह, नक्षत्र और ताराबलों का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है इसे आसानी से समझने के लिए ज्योतिष शास्त्र में आकाश मण्डल यानि सौरमंडल को 360 अंशों में विभाजित किया जाता है। और इन्हें आसानी से पहचानने की सुविधा के लिए तारा समूहों की आकृति की समानता को ध्यान में रखकर सदियों पहले ज्योतिष के अनुभवी महर्षियों ने परिचित वस्तुओं के आधार पर 12 भागों में बांटकर राशियों का नाम रखा। 12 राशियों के समूह को राशि चक्र कहा जाता है।
राशियों को ठीक तरीके से पहचानने के लिए विद्वानों ने आकाश-मण्डल की दूरी को 27 भागों में बाँट कर प्रत्येक भाग का नाम एक-एक नक्षत्र रखा। इस तरह से 27 नक्षत्रों का निर्माण हुआ। इसे और बारीकी से समझने के लिए हर नक्षत्र के चार भाग किए गए, जिन्हें चरण कहते हैं। चन्द्रमा प्रत्येक राशि में दो दिन चलता है। उसके बाद वह अलग राशि में पहुँच जाता है।
चंद्रमा की चाल के अनुसार निर्धारित होने वाली राशि चंद्र राशि कहलाती है। यानी व्यक्ति के जन्म के समय चन्द्रमा जिस राशि में होता है, वही उसकी राशि मानी जाती है। भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र में इसी राशि को प्रधानता दी जाती है। इसलिए राशियों का विस्तार हम चंद्र राशि के अनुसार ही समझेंगे।
सूर्य की चाल के अनुसार निर्धारित की जाने वाली राशि सूर्य राशि कहलाती है। जिस प्रकार भारतीय ज्योतिषी चन्द्र राशि को ही व्यक्ति की जन्म राशि मानते हैं और उसी प्रकार विदेशी ज्योतिषी व्यक्ति की सूर्यराशि को अधिक महत्व देते हैं। पुराने समय में ज्योतिषी सूर्य को आधार मानकर व्यक्ति की राशि निकालते थे।
राशि चक्र तारामंडलों का चक्र है जो क्रांतिवृत्त (ऍक्लिप्टिक) में आते हैं, यानि उस मार्ग पर आते हैं जो सूर्य एक वर्ष में खगोलीय गोले में लेता है। ज्योतिष] में इस मार्ग को बारह बराबर के हिस्सों में बाँट दिया जाता है जिन्हें राशियाँ कहा जाता है। हर राशि का नाम उस तारामंडल पर डाला जाता है जिसमें सूर्य उस माह में (रोज़ दोपहर के बारह बजे) मौजूद होता है। हर वर्ष में सूर्य इन बारहों राशियों का दौरा पूरा करके फिर शुरू से आरम्भ करता है। इन बारह राशियों के नाम- मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, मीन हैं।
राशि चक्र की पहली राशि को मेष राशि कहते हैं, इस राशि का चिन्ह भेड़ है, इस राशि का विस्तार चक्र राशि चक्र के प्रथम 30 अंश तक है। यह अग्नि तत्व की राशि है। अग्नि त्रिकोण (मेष, सिंह, धनु) की यह पहली राशि है, इसका स्वामी मंगल ग्रह है, राशि और स्वामी का यह संयोग इसकी अग्नि या ऊर्जा को कई गुना बढा देती है, यही कारण है कि मेष राशि के जातक ओजस्वी, दबंग, साहसी, और दॄढ इच्छाशक्ति वाले होते हैं। मेष राशि वाले व्यक्ति बाधाओं को चीरते हुए अपना मार्ग बनाने की कोशिश करते हैं। ये आर्थिक रूप से जीवन भर सफल रहते हैं।
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