

How to Read the Sun Line: A Palmistry Expert’s Guide
Are you someone who has always been curious to know about their destiny through their palm? Or are you someone who has that one friend who, just by seeing your
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष कि नवमी तिथि को रामनवमी मनाई जाती है। वैसे तो रामनवमी का त्यौहार अपने आप में ही खास है, लेकिन इस वर्ष की रामनवमी हमारे लिए और भी अधिक खास होने वाली है, क्योंकि इस बार 30 मार्च को रामनवमी के दिन 3 बेहद शुभ योग बन रहे हैं, जो बहुत लाभकारी माने जाते है। दरअसल रामनवमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और गुरु पुष्य योग बन रहे हैं और इन शुभ योगों में की गई पूजा, उपाय और साधना का बेहद शुभ फल प्राप्त होता हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग, एक ऐसा योग है, जिसमें यदि किसी कार्य का आरंभ किया जाए तो उसमें विशेष लाभ मिलता है। जब हमें कोई विशेष मुहूर्त नहीं मिलता, तब इस योग में कार्य करने से सभी प्रकार के कार्यो में सफलता मिलती है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अमृत सिद्धि योग को बहुत शुभ माना जाता है। दिन और नक्षत्र के विशेष संयोजन से अमृत सिद्धि योग निर्मित होता है और इस दौरान किए गए सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। इस योग में भगवान राम की पूजन करने से आपके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नक्षत्र हर दिन बदलते हैं, इनमें पुष्य नक्षत्र भी शामिल है। हर 27 वें दिन पुष्य नक्षत्र होता है। यह जिस दिन भी आता है, उसी नाम से जाना जाता है। गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होने से गुरु पुष्य योग बनता है। इस योग में खरीदी गई वस्तु या संपत्ति से लंबे समय तक लाभ प्राप्त होते हैं।
शुभ मुहूर्त-
नवमी तिथि प्रारंभ- 29 मार्च 2023 रात 09:07 बजे से
नवमी तिथि समाप्त- 30 मार्च 2023 रात 11:30 बजे तक
रामनवमी पूजा का मध्याह्न मुहूर्त – सुबह 11:17 से दोपहर 01:46 तक
यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि जिस भारत को भगवान श्री राम ने एक सूत्र में पिरोया था, उन्ही राम के अस्तित्व को झुठलाने के भीषण षड्यन्त्र रचे जा रहे हैं। यह तो सर्व विदित है कि हमारे भारत का जो स्वरूप और संरचना आज हम देख रहे हैं वह कतई इस तरह की नहीं थी। आज जो भारत के आसपास के पड़ोसी देश हैं, वे कभी भारत का हिस्सा थे, लेकिन विदेशी आक्रान्ताओं और कुकर्मियों के अत्याचारों के फलस्वरूप भारतवर्ष की अखंडता को खंड-खंड करने में कोई कसर नहीं रखी गई। हमारे वेद, पुराण, उपनिषद, पवित्र ग्रंथ और अखंड भारत का अद्भुत बखान करने वाली सदियों से एकत्र की गई संपदाओं को नष्ट किया गया
पावन ग्रंथों में भगवान राम के पावन चरित्र को धूमिल करने के लिए भरसक षड्यन्त्र स्थापित किए गए, जिसकी वजह से आज के अज्ञानी जन उनके अस्तित्व पर ही बड़ा सवाल उठाते हैं। इसी विषय पर हम बताने जा रहें हैं वे प्रमाण जो साबित करते हैं कि श्रीराम और रामायण काल का वास्तव में अस्तित्व रहा है।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीराम जी का जन्म चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथी को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में हुआ था। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति को जब विश्व की सबसे बड़ी संस्था आई सर्व द्वारा खगोलीय घटनाओं के समय का सटीक आँकलन करने वाले सॉफ्टवेयर प्लैनेटेरियम गोल्ड से मिलान किया गया, तब अंग्रेजी तारीख के अनुसार श्री राम का जन्म की तारीख 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व प्राप्त हुई। उस दिन दोपहर 12 बजे अयोध्या के आकाश पर सितारों की स्थिति वाल्मीकि रामायण और सॉफ्टवेयर दोनों में एक जैसी है। परिणामस्वरूप, रिसर्चर इस नतीजे पर पहुंचे कि रामलाला का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व को हुआ। इसके बाद भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के जन्म समय और ग्रह-नक्षत्रों के मिलान के अनुसार सही समय की प्राप्ति हो गई। आई सर्व के रिसर्चरों ने जब धार्मिक तिथियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले चंद्र कैलेंडर की इस तिथि को आधुनिक कैलेंडर की तारीख में बदला तो वो ये जान कर हैरान रह गए कि सदियों से भारतवर्ष में रामलला का जन्मदिन बिल्कुल सही तिथि पर मनाया जाता आया है। यही नहीं इसके बाद वनवास, रावण की मृत्यु और श्री राम के राज्याभिषेक की तारीखेँ भी उन्हीं तिथियों के अनुसार प्राप्त हो चुकी हैं।
आज के समय रामसेतु के बारे में कौन नहीं जानता, रामसेतु के बारे में सबसे बड़ी भ्रांति यह है कि यह रामायण काल के बहुत बाद में बनाया गया था। जबकि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट्स के अनुसार रामसेतु का निर्माण श्री राम के काल में ही हुआ था और इसकी बनावट भी पत्थरों से ही हुई थी। यह श्री राम के अस्तित्व का सबसे बड़ा प्रमाण माना जाता है।
मेघनाथ के शक्ति बाण से मूर्छित होकर जब लक्ष्मण जी जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे थे तब हनुमान जी हिमालय से समूचा द्रोणागिरि पर्वत उठा लाए थे और लक्ष्मण जी के स्वस्थ होने पर वापस उसी स्थान पर रख दिया था। कहा जाता है कि हनुमान जी का संजीवनी बूटी लाना एक कहानी मात्र है। जबकि श्रीलंका में जिसे रामायण काल का युद्ध क्षेत्र कहा जाता है, उसी के समीप हिमालयीन जड़ीबूटी से युक्त पेड़ पौधे आज भी पाए जाते हैं जो पूरे श्रीलंका तो क्या हिमालय को छोड़कर भारत में भी नहीं पाए जाते। यह साक्षात उदाहरण है कि वर्षों पहले रची गई रामायण झूठ नहीं है।
श्रीराम जी के प्रमाण का प्रमुख सबूत वाल्मीकि रामायण है जो संस्कृत में लिखी गई है। लेकिन भारत की अनेकों भाषाओं में रामायण रची गई हैं।जैसे- तमिल भाषा में कम्बन रामायण, असम में असमी रामायण, उड़िया में विलंका रामायण, कन्नड़ में पंप रामायण, कश्मीर में कश्मीरी रामायण, बंगाली में रामायण पांचाली, मराठी में भावार्थ रामायण आदि। सबसे खास बात यह है कि इन भारतीय भाषाओं में प्राचीनकाल में ही सभी रामायण लिखी गई। मुगलकाल में गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधि भाषा में रामचरित मानस लिखी जो की हिन्दीभाषा और उससे जुड़े राज्यों में प्रचलित है।
वहीं विदेशी भाषाओं में कंपूचिया की रामकेर्ति रामायण, लाओस फ्रलक-फ्रलाम (रामजातक), मलयेशिया की हिकायत सेरीराम, थाईलैंड की रामकियेन और नेपाल में भानुभक्त कृत रामायण आदि प्रचलीत है। इसके अलावा भी अन्य कई देशों में वहां की भाषा में रामायण लिखी गई है।
भारत के इतिहासकार और पुरातत्व विभाग के एक्सपर्ट्स ने भारत में 250 से भी अधिक ऐसे स्थान खोजे हैं जो रामायण काल के ही हैं। कई स्थानों पर आज भी स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों के समय-काल की जांच-पड़ताल वैज्ञानिकों ने की जो कि सबूत हैं कि श्रीराम, सीता जी और लक्ष्मण वहाँ रुके या रहे थे। जैसे- सरयू और तमसा नदी के पास के स्थान, प्रयागराज के पास श्रृंगवेरपुर तीर्थ, सिंगरौर में गंगा पार कुरई गांव, प्रयागराज, चित्रकूट (मप्र), सतना (मप्र), दंडकारण्य के कई स्थान, पंचवटी नासिक, सर्वतीर्थ, पर्णशाला, तुंगभद्रा, शबरी का आश्रम, ऋष्यमूक पर्वत, कोडीकरई, रामेश्वरम, धनुषकोडी, रामसेतु और नुवारा एलिया पर्वत श्रृंखला आदि कई ऐसे स्थान रामायण के साक्षात प्रमाण हैं।
अधिकतर लोग यह बात जानते ही होंगे कि 7 अमर पुरुषों में श्री हनुमान जी, विभीषण और जामवंत आज भी जीवित हैं। कई लोग इस बात को झुठलाते हैं परंतु बाली द्वीप में आज भी वानर समुदाय के वे लोग जीवित हैं जो खुद को रामायण कालीन वानर समाज का वंशज मानते है और उनके पूर्वजों के बताए अनुसार किष्किन्धा (आंध्रप्रदेश) को अपनी पुरानी राजधानी कहते हैं। इन लोगों की शारीरिक बनावट आज भी थोड़ी बहुत वानरों की तरह है और कुछ लोगों की 3 से 6 इंच की पूंछ भी जन्मजात होती है। वानर समाज के लोग मानसिक रूप बहुत तेज, चतुर और उपद्रवी किस्म के होते थे इसलिए मनुष्यों और बाहरी आक्रांताओं ने प्रभुत्व पाने के लिए रामायण काल के बाद वानर समाज को खत्म कर दिया पर इनमें से कुछ वानरों ने अलग-अलग द्वीप में शरण लेकर अपनी जान बचाई। जिसका उदाहरण बाली द्वीप है।
अयोध्या श्रीराम की जन्मस्थली है और कर्मभूमि भी। मुगल काल के समय क्रूर मुस्लिम शासकों के अत्याचारों के फलस्वरूप कई देवालयों को छिन्न-भिन्न कर दिया गया था और जो मुख्य देवस्थल हैं वहाँ मस्जिदें बनाई गईं, इस अपराध का शिकार पावन अयोध्या नगरी भी हुई, जहां सालों चले वैचारिक युद्धों के बाद आज श्री राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस स्थान पर खुदाई में रामायण काल के कई अवशेष मिले साथ ही पुराने मंदिर के अंश भी प्राप्त हुए, जो श्रीराम की जन्मस्थली का सबसे बड़ा प्रमाण बने।
रामायण के प्रमाण केवल भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और श्रीलंका में भी मिलते हैं। बिहार के सीतामढ़ी और और जनकपुरी में माता सीता से जुड़े कई साक्ष्य आज भी मौजूद हैं। जनकपुरी में माता सीता के चरण चिन्ह आज भी मौजूद हैं। वहीं श्रीलंका मे स्थित अशोक वाटिका में हनुमान जी के विशाल पग चिन्ह भी स्पष्ट रूप से मिलते हैं। जिन्हें भारत और श्रीलंका के पुरातत्ववेताओं के अनुसार रामायण काल का ही माना गया है।
भगवान श्रीराम के अस्तित्व के प्रमाण विदेशी ग्रंथों में भी मिलते हैं जो मानते हैं कि भगवान श्री राम और रामायण काल्पनिक नहीं हैं। इंडोनेशिया, कंबोडिया, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, जापान और अन्य देशों के निवासी भगवान श्री राम को अपना आराध्य मानते हैं और अपनी भाषाओं में रामायण की तरह ही कई ग्रंथ रचे गए हैं, जो कि रामयुग के साक्षात प्रमाण हैं।
प्रभु राम का चरित्र सामाजिक जीवन को जीने के लिए संपूर्ण ज्ञान है। रामायण में दिये गये प्रसंग हमें जीवन जीने के तरीकों के बारे में बताते हैं। प्रभु राम के चरित्र के ये गुण अपना लेने से आपका जीवन भी एक सार्थक जीवन बन सकता है। तो आइये जानते है आज के इस लेख में रामायण और प्रभु राम के चरित्र से हमें क्या शिक्षा मिलती है-
रामायण में राम जी के जीवन की सबसे बड़ी सीख है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है। जिस तरह माता सीता पर रावण ने बुरी नज़र डाली और अंत में भगवान राम ने महाज्ञानी रावण को पराजित कर माता सीता को वापस पा लिया।
राम जी सर्वश्रेष्ठ तीरंदाज थे। उनको अस्त्रों- शस्त्रों का पूरा ज्ञान था। लेकिन अपनी सारी शक्ति और ज्ञान का उन्हें कभी अहंकार नहीं हुआ, जिसकी वजह उनकी अद्वितीय विनम्रता थी।
श्री राम पर भाइयों का प्रेम, लालच, गुस्सा या विश्वासघात कभी घर नहीं कर पाया, ये एक बड़ा उदाहरण है। एक ओर जहां लक्ष्मण ने 14 साल तक भाई राम के साथ वनवास किया, वहीं दूसरे भाई कैकयी पुत्र भरत ने राजगद्दी के अवसर को ठुकरा दिया। इसके बजाय, उन्होंने भगवान राम से क्षमा मांगी और उनसे वापस लौटकर राजकाज संभालने का आग्रह किया।
Astro Arun Pandit is the best astrologer in India in the field of Astrology, Numerology & Palmistry. He has been helping people solve their life problems related to government jobs, health, marriage, love, career, and business for 49+ years.
Are you someone who has always been curious to know about their destiny through their palm? Or are you someone who has that one friend who, just by seeing your
You must have heard that your palm can tell you about yourself. But imagine if your map was different from all the others. Rather than two distinct lines for head
Have you ever looked at your palm and wondered if it holds the secrets to your love life, hidden in the curves of your Life Line? In palmistry, the Marriage
सूर्य ग्रहण एक एस्ट्रोनॉमिकल घटना है जिसमे चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाती है जिससे सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती। इसी को सूर्य ग्रहण कहते
सूर्य का मीन राशि में प्रवेश और इसका ज्योतिषीय महत्व ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है। यह आत्मा, पिता, सरकारी नौकरी, प्रशासनिक पदों और नेतृत्व क्षमता
जब भी हम सोलर सिस्टम के सबसे शक्तिशाली और रहस्यमयी ग्रह की बात करते हैं, तो शनि (Saturn) का नाम सबसे पहले आता है। यह सोलर सिस्टम का छठा ग्रह