Vedic astrology Vs Western astrology
Astrology has fascinated humanity for centuries. Two of the most prominent systems are Vedic Astrology and Western Astrology. Both have unique approaches and cultural roots, but they aim to help
भगवान शिव की उपासना के लिए हर एक दिन कम है, लेकिन सावन मास एक ऐसी पवित्र मासिक अवधि है जिसमें आप कुछ पुण्य कार्य करके भगवान शिव की उपासना कर सकते हैं। सावन का महीना आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से बहुत ही महत्व रखता है। प्रकृति में छाने वाली हरियाली इसकी पवित्रता की सूचक होती है।
सावन मास- सनातन हिन्दू धर्म में पंचांग के अनुसार पाँचवा माह सावन माह या श्रावण मास कहलाता है। यह प्राकृतिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत विशेष महीना माना जाता है। जिसमें वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही हमें हर तरफ खुशहाली का नज़ारा दिखता है। सनातन धर्म के पवित्र शास्त्रों में भगवान शिव की पूजन, जप और ध्यान के लिए सावन मास बहुत ही पुण्यफल देने वाला होता है। इस महीने शिवजी से जुड़े तीर्थों की यात्राएं, काँवड़ यात्राएं, रुद्राभिषेक और बड़े धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इस माह में शिवलिंग पर जल चढ़ाने, बेल पत्र और फूल चढ़ाने, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाने से भगवान शिव को प्रसन्नता मिलती है और मनुष्य को जीवन में शांति, समृद्धि, सुख और समाधान की प्राप्ति होती है।
अधिकमास- हिन्दू पंचांग व खगोलीय गणना के अनुसार सौर-वर्ष का मान 365 दिन, 15 घड़ी, 22 पल और 57 विपल हैं। जबकि चंद्रवर्ष 354 दिन, 22 घड़ी, 1 पल और 23 विपल का होता है। इस तरह से दोनों वर्ष के बीच प्रतिवर्ष 10 दिन, 53 घड़ी 21 पल (लगभग 11 दिन) का अन्तर पड़ता है। इस अन्तर में समानता लाने के लिए चंद्रवर्ष 12 माह के स्थान पर 13 माह का हो जाता है। सौर वर्ष और चंद्र वर्ष में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हर तीसरे वर्ष पंचांगों में एक चन्द्रमास की वृद्धि हो जाती है। इसी को अधिक मास या अधिमास या मलमास कहते हैं।
आसान भाषा में अगर किसी वर्ष में कोई माह दो बार आए तो वह अधिकमास के रूप में जाना जाता है। हर 3 साल बाद एक अधिकमास आता है। यह किसी भी माह के लिए आ सकता है। सावन अधिकमास का सुखद संयोग 19 वर्षों बाद फिर से इस वर्ष यानि 2023 में बन रहा है, जिसमें भगवान शिव के पूजन और व्रत दो महीने तक निरंतर चलते रहेंगे। सावन अधिकमास की पवित्र अवधि में शिव जी के ध्यान और तपस्या से हम भगवान शिव को प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि अधिकमास में किए गए दान, पुण्य, अनुष्ठान आदि का 10 गुना फल प्राप्त होता है।
वर्ष 2023 में सावन मास- वर्ष 2023 में सावन का महीना 04 जुलाई से शुरू होकर 1 अगस्त और अधिक मास सावन 2 अगस्त से शुरू होकर 30 अगस्त तक निश्चित है। यानि इस बार सावन का महीना पूरे 58 दिनों तक मान्य होगा। भगवान शिव की पूजन के लिए सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है और इस बार पवित्र सावन के 8 सोमवार शिव और गौरी के पूजन के लिए हमें मिले हैं। इसलिए हमारे द्वारा किए गए कार्य के अनुसार उनका हम पर गहरा असर पड़ता है, यही कारण है कि सनातन परंपरा पर विश्वास करने वाले लोग सावन में शिवप्राप्ति का रास्ता उनकी पूजन और ध्यान की मदद से खोजते हैं।
आइए जानते हैं कि इन 58 दिनों में आपको भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए।
सावन 2023 में आपके लिए विशेष- सावन के पावन महीने में आपको कुछ विशेष सामग्री से शिव अभिषेक करना चाहिए। शिव अभिषेक से न केवल आपके जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है बल्कि आपमें मौजूद बुराइयों और असंगतियों का भी अंत होता है। शिव महापुराण के अनुसार संसार में मौजूद हर एक कण में शिव बसते हैं इसलिए प्रकृति के अलग-अलग तत्वों व पदार्थों से शिवाभिषेक और पूजन करना आपके जीवन के लिए बहुत लाभकारी और फलदायक होता है।
आइए जानते हैं आपको अपनी राशि के अनुसार सावन 2023 में किस मुख्य पदार्थ से शिवाभिषेक करना चाहिए।
वृषभ राशि के लोगों को सावन माह में गाय के शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करना लाभप्रद है। वृषभ राशि वालों को सावन के मंगलवार को पीपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाने से भी धन और सुख की प्राप्ति होती है। आपको इस सावन मास में वृक्षारोपण का कार्य प्रतिदिन करना चाहिए।
मिथुन राशि के लोगों के लिए सावन माह में आंवले के रस से अभिषेक करना चाहिए। इससे आपकी मानसिक दशा स्थिर और केंद्रित होती है। साथ ही, सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर घी का चढ़ावा करने से बुद्धि और वाणी की समृद्धि होती है। आपको सावन के पावन महीने में छोटे गरीब बच्चों की शिक्षा प्राप्ति के लिए यथासंभव कार्य जरूर करने चाहिए।
कर्क राशि वालों के लिए सावन माह के सोमवार को शहद का अभिषेक करना अत्यंत लाभकारी होता है। सावन माह में प्रत्येक दिन शिवलिंग पर दूध और शहद चढ़ाने से भी व्यावसायिक समृद्धि और परिवार में खुशहाली मिलती है। श्रावण में आपको वृद्धाश्रम जाकर वृद्ध जनों की सहायता, दान आदि करके उन्हें अपना समय ज़रूर देना चाहिए।
सिंह राशि वालों को सावन माह में शर्करा युक्त पानी से अभिषेक करना चाहिए है। खासकर विद्यार्थियों को यह अभिषेक ज़रूर करना चाहिए। इससे आत्मविश्वास में तेजी से वृद्धि होती है। सावन के सोमवार को शर्करा युक्त दूध चढ़ाने से सामर्थ्य बढ़ता हैं और सफलता प्राप्त होती है। श्रावण के प्रति दिन आपको गाय की सेवा करनी चाहिए।
कन्या राशि के लोगों के लिए सावन माह में शुद्धि और पवित्रता पाने के लिए गंगाजल, नर्मदा जल या किसी भी तीर्थ के जल का अभिषेक करना उपयुक्त होता है। सावन के प्रतिदिन ऐसा करने से अच्छे स्वास्थ्य और सामरिक संपन्नता मिलती है। सावन में आपको बीमार मरीजों की सहायता के लिए मदद जरूर करनी चाहिए।
तुला राशि वालों को सावन माह में दही से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। ध्यान रखें कि दही अशुद्ध न हो और घर में निर्मित हुआ हो। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करने पर जीवन में सुख-शांति और प्रेम की प्राप्ति होती है। आपको इस सावन मास में मंदिरों में जाकर सेवाकार्य ज़रूर करना चाहिए।
वृश्चिक राशि के लोगों द्वारा सावन माह में सरसों के तेल से अभिषेक किया जा सकता है। ऐसा करने से स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि सुगम बने रहते हैं। सोमवार को शिवलिंग पर महामृत्युंजय मंत्र से सतत जाप के साथ सरसों का तेल का अभिषेक करने से धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सावन माह में आपको किताबों का दान करना चाहिए।
धनु राशि के लोगों के लिए सावन माह में ज्ञान और साधना की प्राप्ति के लिए चंदन युक्त शुद्ध जल का अभिषेक उपयुक्त होता है। साथ ही सोमवार को शिवलिंग पर मीठा तेल का चढ़ावा करने से भी धनु राशि वालों को ज्ञान, बुद्धि, और संतान की प्राप्ति होती है। सावन मास मे आपको बेज़ुबान पशुओं के लिए सहायता पूर्ण कार्य करना चाहिए।
मकर राशि वालों के लिए सावन माह में सामरिक संपन्नता और स्थायित्व के लिए गुलाबजल और उबटन का अभिषेक किया जा सकता है। सोमवार को शिवलिंग पर गुलाबजल और उबटन चढ़ाने से मकर राशि वालों को स्थिरता, सफलता, और आर्थिक वृद्धि मिलती है। इस सावन आपको भूखों को भोजन जरूर करवाना चाहिए।
कुंभ राशि के लोगों को गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक सावन माह में करना चाहिये। सच्चे भाव और समर्पण भाव से अभिषेक करने से सभी मनोकामनायें पूरी होती है। सोमवार के दिन अभिषेक सम्पन्न करने के बाद असहायों को वस्त्रों का दान करें।
मीन राशि के लोगों के लिए सावन माह में मन की शुद्धि के लिए इत्र या अन्य सुगंधित द्रव्यों से युक्त जल का अभिषेक उपयुक्त होता है। सोमवार को शिवलिंग पर गंध और जल का चढ़ावा करने से मीन राशि वालों को मन की शांति, समृद्धि, और आत्मसंयम मिलता है। आपको सावन मास में चांदी की धातु का दान जरूर करना चाहिए।
भगवान भोलेनाथ के यह प्रमुख अभिषेक और उपयोगी उपाय आपके राशि के अनुसार सावन माह में आपकी आध्यात्मिक यात्रा को समृद्ध करने में मदद कर सकते हैं। ध्यान और श्रद्धा के साथ इन अभिषेकों को पूर्ण करना चाहिए। यह आपके आत्मिक विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
|| हर हर महादेव ||
Astrology has fascinated humanity for centuries. Two of the most prominent systems are Vedic Astrology and Western Astrology. Both have unique approaches and cultural roots, but they aim to help
Karkotak Kaal Sarp Dosh is a unique astrological condition in Vedic astrology. It occurs when all the planets in a birth chart are placed between Rahu (the head of the
Astrology, a guiding light for many, offers insight into life’s challenges and opportunities. Among its concepts, Kaal Sarp Dosh is significant, with various types that influence individuals differently. Within these,
Astrology has been an important part of Indian culture for centuries, with the belief that the position of planets and stars can influence a person’s life. One important concept in
Astrology has always fascinated people, offering insights into the impact of celestial bodies on human lives. One such intriguing concept is the “Padam Kaal Sarp Dosh.” Rooted in Vedic astrology,
Astrology plays a significant role in shaping our understanding of life’s challenges. The concept of “Kaal Sarp Dosh” is often discussed among its many aspects. One of its forms, Shankhpal