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महाशिवरात्रि, भारतीय हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जिसे भगवान शिव की उपासना और पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस वर्ष, 2024 में, महाशिवरात्रि का उत्सव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसे भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह के रूप में भी मनाया जाता है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
शुभ मुहूर्त-
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 08 मार्च , रात 09:57 बजे से
चतुर्दशी समाप्त – 09 मार्च,शाम 06:17 बजे तक
निशिता काल पूजा मुहूर्त- 08 मार्च, को रात 12:07 से 12:55 बजे तक
अवधि- 0 घंटे 48 मिनट
महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त- 06:38: से 03:30: तक 9, मार्च को
महत्व:
महाशिवरात्रि का महत्व धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और उपासना करने से मान्यता है कि भगवान शिव सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं और अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। इस दिन का विशेष महत्व है भगवान शिव के साथ जुड़ने और उनकी कृपा प्राप्त करने का।
पूजा विधि:
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें। तत्पश्चात, आठ घड़े केसर मिश्रित जल से अर्पित करें। इस पवित्र रात्रि में अखंड दीपक प्रज्वलित करें। चंदन का लेप लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, ईख का रस, तुलसी पत्र, जायफल, कमलगट्टा, विविध प्रकार के फल, मिठाई, मीठा पान, सुगंधित इत्र और दक्षिणा समर्पित करें। अंत में, केसर युक्त खीर का भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें। ‘ॐ नमो भगवते रूद्राय’, ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘रूद्राय शंभवाय भवानीपतये नमो नमः’ इन मंत्रों का उच्चारण करें। इस दिव्य दिन पर शिव पुराण का पाठ अवश्य करें। महाशिवरात्रि की रात्रि में जागरण की परंपरा भी है।
महामृत्युंजय मंत्र:
“ॐ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बंधनात, मृत्योर्मुक्षिय मामृतात्।।”
यह मंत्र भगवान शिव की कृपा को प्राप्त करने के लिए बहुत ही प्रभावशाली है। इसका नियमित जाप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा
महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर अनेक प्रसिद्ध कथाएं सुनने को मिलती हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवी पार्वती ने शिवजी को अपना वर बनाने हेतु कठिन तपस्या की थी। पौराणिक लोककथाओं के मुताबिक, इसी तपस्या के परिणामस्वरूप फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिव और पार्वती का गठबंधन हुआ था। इसी कारण, महाशिवरात्रि का दिन बहुत ही शुभ और सात्विक माना जाता है।
इसके अलावा, गरुड़ पुराण में इस दिवस के महत्व को बताने वाली एक अलग कथा वर्णित है, जिसके अनुसार एक निषादराज अपने कुत्ते के संग शिकार करने निकला परन्तु उसे कोई शिकार नहीं मिला। थकान और भूख-प्यास से बेहाल होकर वह एक सरोवर के किनारे आ पहुँचा, जहाँ एक बिल्वपत्र वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित था। विश्राम के लिए उसने कुछ बिल्वपत्र तोड़े, जो अनजाने में शिवलिंग पर गिर पड़े। सरोवर के जल से अपने पैर धोते समय, उसके पैरों से छिड़का गया जल भी शिवलिंग पर गिरा। इस दौरान, उसका एक तीर जमीन पर गिरा और उसे उठाते समय उसने शिवलिंग के सामने अनायास ही शीष झुका दिया। इस प्रकार उसने महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव-आराधना की सभी विधियां अनजाने में ही संपन्न कर लीं। उसके मरणोपरांत, जब यमदूत उसे लेने आए, तो शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और यमदूतों को वापस भेज दिया।
अतः, यदि अज्ञानता में किये गये शिव पूजन का इतना महान फल मिल सकता है, तो सोचिए कि जानकारी और श्रद्धा से किये गए शिवाराधना का फल कितना अधिक होगा।
महाशिवरात्रि 2024: राशि अनुसार टोटके और उपाय
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर, भगवान शिव को सच्चे मन से पूजने से बहुत लाभ होता है। इस दिन राशि के अनुसार कुछ टोटकों से हर मनोकामना पूरी हो सकती है। आज देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है, जिसमें विभिन्न उपायों का अद्भुत महत्व है। यहाँ दी गई है राशियों के अनुसार उपाय:
मेष राशि: मेष राशि के लोगों को महाशिवरात्रि के दिन शिव चालीसा का पाठ और मंत्र ‘ऊं नम: शिवाय’ का जाप करना चाहिए।
वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातकों को शिवलिंग पर जल अर्पित करना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोगों को ‘ऊं’ मंत्र का जप करना और शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए।
कर्क राशि: कर्क राशि के लोगों को दूध से शिवलिंग का अभिषेक करना और रुद्राष्टक का पाठ करना चाहिए।
सिंह राशि: सिंह राशि के लोगों को चमेली के फूल और ‘शिव तांडव स्तोत्र’ का पाठ करना चाहिए।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातकों को बेलपत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।
तुला राशि: तुला राशि के लोगों को शिवलिंग पर लाल रंग के पुष्प अर्पित करना और ‘ऊं अनंतधर्माय नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातकों को चंदन और पीले पुष्पों का अर्पण करना और ‘ऊं नागेश्वराय नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए।
धनु राशि: धनु राशि के लोगों को ‘ऊं’ मंत्र का जप करना और चंदन और लाल रंग के पुष्पों का अर्पण करना चाहिए।
मकर राशि: मकर राशि के लोगों को ‘ऊं अर्धनारीश्वराय नमः’ मंत्र का जप करना और व्रत रखना चाहिए।
कुंभ राशि: कुंभ राशि के लोगों को ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ मंत्र का जप करना और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
मीन राशि: मीन राशि के लोगों को ‘ऊं अनंतधर्माय नम:’ मंत्र का जप करना और ध्यान करके भगवान शिव की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।
इस वर्ष की महाशिवरात्रि पर, हम सभी को भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो, और हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का सामर्थ्य मिले। इस धार्मिक उत्सव को मनाकर हम भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को प्रकट करते हैं। जय भोलेनाथ! हर हर महादेव!
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