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Ram Navami 2024| राम नवमी 2024

Ram Navami 2024| राम नवमी 2024

 राम नवमी 2024- हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को राम नवमी मनाई जाती है। 2024 में, 17 अप्रैल को राम नवमी है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ था। इसलिए राम नवमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन पर मां दुर्गा की नौवीं शक्ति, मां सिद्धिदात्री की भी पूजा की जाती है। भगवान श्रीराम का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, इसलिए राम नवमी के दिन दोपहर को उनकी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन उनकी पूजा करने से सभी दुःख और संकट दूर हो जाते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, राम नवमी की पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं।

रामनवमी 2024: शुभ मुहूर्त

रामनवमी 2024 शुभ मुहूर्त : 11:03:16 से 13:38:19 तक

अवधि : 2 घंटे 35 मिनट

रामनवमी मध्याह्न समय :12:20:47

राम नवमी 2024: पूजन विधि:

  1. सूर्य उदय होते ही सूर्य भगवान को जल अर्पित करें।
  2. रामायण का पाठ करें। पूजा स्थल और मूर्तियों को साफ करें, फिर मूर्तियों पर जल अभिषेक करें और तिलक लगाएं।
  3. धूप और दिया जलाएं और आरती करें।
  4. भगवान को ताजे फूल-फल अर्पित करें।
  5. भगवान को खीर या मिठाई का भोग लगाएं।
  6. अन्य पवित्र मंदिरों का ध्यान रखें और श्री राम की आरती करें।
  7. भगवान राम, माता सीता, और भगवान लक्ष्मण का ध्यान करें।
  8. भगवान से अपनी मनोकामनाएं मांगें।
  9. पूजा समाप्त होने पर घर के सभी सदस्यों पर तिलक लगाएं।
  10. ध्यान से भगवान का आशीर्वाद लें, और सभी कामनाएं पूरी हों।

राम नवमी 2024: महत्व

राम नवमी भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह उत्सव भगवान राम के जन्म के अवसर को मनाता है, जो धर्म और न्याय के प्रतीक माना जाता है। भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उन्होंने बुराई का समापन किया था और धर्म की रक्षा की थी। राम नवमी के उत्सव में लोग धार्मिक और सामाजिक साथीदारी का महत्व मानते हैं और साथ ही अपने जीवन में नेक कामों का संकल्प करते हैं।

कहां-कहां है श्रीराम के प्रमुख मंदिर:

रामनवमी के अवसर पर, भक्तों की श्रीराम के मंदिरों में भारी भीड़ जुटती है जहां पूजा-अर्चना की विधियाँ अदा की जाती हैं। भारत में अनेक प्रमुख राम मंदिर हैं, जैसे कि अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि, जो भगवान राम के जन्म स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, नासिक में श्री कालाराम मंदिर, सोमनाथ, शिकोहाबदा और भीमाशंकर के श्रीराम मंदिर भी प्रसिद्ध हैं। ये स्थल भक्तों के धार्मिक आस्था का केंद्र होते हैं और राम भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव की अनूठी शक्ति प्रदान करते हैं। राम मंदिरों में रामायण के कथानक और धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जो भक्तों को राम के लीलाओं और उनके महिमा को समझने में मदद करते हैं।

राम नवमी 2024 के विशेष उपाय:

  • धन प्राप्ति के लिए निम्नलिखित उपाय करें:

राम नवमी के दिन शाम के समय एक लाल कपड़ा लें और उसमें 11 गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग और 11 बताशे बांधकर मां लक्ष्मी और भगवान राम को अर्पित करें। इसके बाद, एक कटोरी में जल लेकर रामरक्षा मंत्र का 108 बार जाप करें। इस प्रकार के उपाय से धन की प्राप्ति हो सकती है।

  • रोग मुक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ:

रोग से मुक्ति प्राप्ति के लिए राम नवमी की शाम को हनुमान जी के मंदिर जाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस प्रकार के पाठ से रोग से मुक्ति मिल सकती है। हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों को आरोग्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति में मदद मिल सकती है। उनकी कृपा से रोगों का प्रतिरोध बढ़ता है और व्यक्ति स्वस्थ और प्रसन्न रहता है। इसलिए, हनुमान चालीसा का पाठ रोग मुक्ति के लिए एक प्रभावी उपाय हो सकता है।

  • सुख-शांति के लिए उपाय:

अपने परिवार में सुख और शांति की स्थिति को बनाए रखने के लिए एक प्रभावी उपाय है कि आप राम दरबार के सामने एक दीपक जलाएं, जिसे घी या तेल से भरा जाए। इस समय, ‘श्री राम जय राम जय जय राम’ का 108 बार जाप करें।यह अद्भुत प्रार्थना और आराधना का तरीका है जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और परिवार के सभी सदस्यों के बीच सौहार्द और सम्बंध मजबूत होते हैं।

एस्ट्रो अरुण पंडित जी की ओर से आप सभी को राम नवमी 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं !

चैत्र नवरात्रि 2024!

चैत्र नवरात्रि:

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र माह की पहली तिथि से नवरात्रि 2024 की शुरुआत होती है, जिस दिन हिन्दू नववर्ष का भी आरंभ होता है। इस दिन से लोग माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं, जो हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष। चैत्र और अश्विन माह में आने वाली नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना होती है वहीं आषाढ़ और माघ की गुप्त नवरात्रि में मां अंबे की 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन गुड़ी पड़वा और चेती चांद का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्रि में देवी के भक्त घटस्थापना करते हैं, नौ दिनों तक व्रत रखकर शक्ति साधना की जाती है। 

 

चैत्र नवरात्रि 2024 की प्रथम तिथि पर कलश की स्थापना की जाती है, और उसके बाद 9 दिनों तक उस कलश का पूजन किया जाता है। नवरात्रि 2024 की अष्टमी और नवमी पर छोटी कन्याओं का भोज कराया जाता है, जो माँ दुर्गा के स्वरूप मानते हुए उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया जाता है।

घटस्थापना मुहूर्त :

घटस्थापना मुहूर्त :    06:01:45 से 10:15:47 तक

अवधि :                  4 घंटे 14 मिनट

नवरात्रि का धार्मिक महत्व:

नवरात्र का धार्मिक महत्व चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति के नौ रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। देशभर में इस त्योहार को बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि चैत्र नवरात्र की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर ही आदिशक्ति ने अपने नौ रूपों में प्रकट हुई थीं। इसलिए इस तिथि के अगले नौ दिनों तक माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनका अपना-अपना महत्व है। साथ ही चैत्र नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है, अर्थात इस दिन से हिन्दू नववर्ष की भी शुरुआत होती है।

नवरात्रि का ज्योतिष महत्व:

नवरात्रि का ज्योतिष महत्व भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ज्योतिष शास्त्र में चैत्र नवरात्रि को विशेष ध्यान दिया जाता है। क्योंकि चैत्र नवरात्र के बाद सूर्य का राशि बदलता है। यह समय ऐसा होता है जब सूर्य 12 राशियों को चक्कर लगाकर मेष राशि में पहुंचता है। सूर्य और मंगल दोनों की राशि मेष को अग्नि का प्रतीक माना जाता है। इस कारण इनके संयोग से गर्मी की आगाज होती है।

नवरात्रि पूजन कैसे करें:

नवरात्रि के पूजन का तरीका बहुत सरल है। सबसे पहले, नवरात्रि के पहले दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम के पत्ते का तोरण लगाएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी को आपका घर पसंद आता है। फिर, माता की मूर्ति को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्थापित करें। उसके बाद, मूर्ति के स्थान पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और रोली और अक्षत से टीकें। फिर, माता की पूजा करें। वास्तुशास्त्र के अनुसार, पूजा के लिए ईशान कोण को सर्वोत्तम माना जाता है, इसलिए कलश को उसी दिशा में स्थापित करें। नवरात्रि के दिनों में पूरे घर में मां दुर्गा का वास माना जाता है, जिससे भक्तिमय वातावरण बना रहता है।

चैत्र नवरात्र 2024 कैलेंडर:

  • चैत्र नवरात्र का पहला दिन – 09 अप्रैल, 2024 – मां शैलपुत्री की पूजा
  • चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन – 10 अप्रैल, 2024 – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
  •  चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन – 11 अप्रैल, 2024 – मां चंद्रघंटा की आराधना
  • चैत्र नवरात्र का चौथा दिन – 12 अप्रैल, 2024 – मां कुष्माण्डा की पूजा
  • चैत्र नवरात्र का पांचवां दिन – 13 अप्रैल, 2024 – मां स्कन्दमाता की पूजा
  •  चैत्र नवरात्र का छठा दिन – 14 अप्रैल, 2024 – मां कात्यायनी की पूजा
  • चैत्र नवरात्र का सातवां दिन – 15 अप्रैल, 2024 – मां कालरात्रि की आराधना
  • चैत्र नवरात्र का आठवां दिन – 16 अप्रैल, 2024 – मां महागौरी की पूजा
  • चैत्र नवरात्र का नौवां दिन – 17 अप्रैल, 2024 – मां सिद्धिदात्री की पूजा और रामनवमी
  • चैत्र नवरात्र का दसवां दिन – 18 अप्रैल, 2024 – मां दुर्गा का विसर्जन

नौ दिन नौ देवियां और सिद्ध मंत्र:

चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 को है। नवरात्रि व्रत कुल नौ दिन तक चलेंगे। नवरात्रि में पहले दिन से लेकर अंतिम दिन तक अलग -अलग देवियों की पूजा की जाती है। हर देवी का स्वरुप और महत्व अलग-अलग है। ऐसे ही देवियों की पूजा विधि और उन्हें प्रसन्न करने के मंत्र भी अलग-अलग है। एस्‍ट्रो अरूण पंडित के द्वारा यहां बताया जा रहा है चैत्र नवरात्रि में देवि के नौ स्‍वरूप और उन्‍हें प्रसन्‍न करने के विशेष मंत्र- 

 

शैलपुत्री-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शैलपुत्री देवी, देवराज हिमालय की बेटी हैं। यही मां नव दुर्गा का प्रथम रूप हैं। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा अर्चना की जाती है।

 

शैलपुत्री का मंत्र-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।

 

मंत्र का फल –

मान्यता के अनुसार, इस मंत्र के जाप से शरीर निरोगी रहता है और बीमारियां पास नहीं आती हैं।

 

ब्रह्मचारिणी –

नवदुर्गा का दूसरा रूप मां ब्रह्मचारिणी हैं। इनके हाथों में कमण्डल और माला है। मान्यता के अनुसार, माता पार्वती के घोर तप करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। इसी कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी देवी पड़ा।

 

ब्रह्मचारिणी माता का मंत्र-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

मंत्र का फल –

इस मंत्र के सटीक जाप से सौभाग्य का वरदान मिलता है।

 

मां चंद्रघंटा-

मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा रूप हैं। देवी अपने दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं और सिंह पर बैठी हुई असुरों के संहार के लिए तैयार रहती हैं।

 

मां चंद्रघंटा का मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने। श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥

 

मंत्र का फल –

इस मंत्र के प्रभाव से जातक के पाप और परेशानियों का क्षय होता है।

 

मां कुष्मांडा-

देवी दुर्गा का चौथा रूप कुष्मांडा देवी का है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण जगत जननी भी कहा जाता है। मां की आठ भुजाएं हैं जिनमें वे कई शस्त्र धारण करती हैं और मां सिंह पर सवार रहती हैं।

 

कुष्मांडा माता का मंत्र-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

मंत्र का फल –

इस मंत्र के प्रभाव से जातक के यश में वृद्धि होती है और व्याधियों का नाश होता है।

 

मां स्कंदमाता-

स्कंदमाता मां नव दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। स्कंदमाता की गोद में शिव जी के पुत्र कार्तिकेय बैठे रहते हैं। स्कंदमाता को कार्तिकेय की मां कहा गया है।

 

स्कंदमाता का मंत्र-

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

 

मंत्र का फल –

ये मंत्र भक्तों को शुभ फल देने वाला और उनकी इच्छा पूरी करने वाला माना जाता है।

मां कात्यायनी-

कात्यायन ऋषि की साधना और तप से उत्पन्न होने वाली कात्यायनी देवी को मां दुर्गा का छठा रूप माना गया है। कात्यायनी की उपासना से पापों का नाश होता है।

 

मां कात्यायनी का मंत्र-

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ 3। कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

 

मंत्र का फल –

विवाह में बाधा आ रही है तो इस मंत्र का जाप करें।

मां कालरात्रि –

मां कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। हाथ में खड्ग और नरमुण्ड धारण करने वाली कालरात्रि दुष्टों का नाश कर भक्तों की डर से मुक्त करने वाली मानी गई हैं।

 

मां कालरात्रि का मंत्र-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊँ कालरात्रि दैव्ये नम:।

 

मंत्र का फल –

मान्यता है कि मंत्र के जाप से जातक को शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।

 

मां महागौरी –

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरुप की पूजा का विधान है। मान्यता के अनुसार, तपस्या के कारण देवी का शरीर श्याम हो गया था लेकिन शिव जी ने जब उन पर अभिमंत्रित जल छिड़का तो वे पुनः गौर वर्ण हो गईं।

 

मां महागौरी का मंत्र-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

मंत्र का फल –

ये मंत्र जातक की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है।

 

मां सिद्धिदात्री-

दुर्गा माता का नवां रूप मां सिद्धिदात्री है। मान्यता है कि इनकी पूजा से सिद्धियों की प्राप्ति होती है साथ ही जीवन में सुख और सौभाग्य बना रहता है।

 

मां सिद्धिदात्री का मंत्र-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

 

मंत्र का फल –

मान्यताओं के अनुसार इस मंत्र के विधिवत जाप से सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

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होलिका दहन 2024 : तारीख व मुहूर्त-

होलिका दहन- 24 मार्च 2024
दहन मुहूर्त – रात 11:15 से 12:23 बजे तक
अवधि – 1 घंटे 7 मिनट
भद्रा पुँछा – शाम 06:49 से रात 08:09 बजे तक
भद्रा मुखा – रात 08:09 से रात 10:22 बजे तक

होलिका दहन 2024 के नियम-

होलिका दहन 2024 के नियमों का पालन करते समय, कुछ चीज़ों का ध्यान रखना आवश्यक है। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक का महत्व होता है, जिसमें शुभ कार्यों से परहेज़ किया जाता है। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है, जिसके लिए दो मुख्य नियमों का पालन किया जाना चाहिए।

 

पहला नियम है कि उस दिन “भद्रा” नहीं होनी चाहिए। भद्रा को विष्टि करण भी कहा जाता है, जो एक करण है और तिथि के आधे भाग के बराबर होता है। दूसरा नियम है कि पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए, अर्थात् सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा होनी चाहिए।

 

होलिका दहन के दूसरे दिन लोग रंगों की होली खेलते हैं और एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते हैं, जो पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

होलिका दहन 2024 की पौराणिक कथा-

होलिका दहन 2024- पुराणों के अनुसार, दानवराज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद की अद्वितीय विष्णु भक्ति को देखकर उसकी हत्या के उद्देश्य से कई षड्यन्त्र किये और अंत में अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद की हत्या करने का आदेश दिया। होलिका, जिसे वरदान मिला था कि वह अग्नि में हमेशा अक्षत रहेगी, प्रह्लाद को गोद में बैठाकर अग्नि में प्रवेश किया। परन्तु परमात्मा की विशेष कृपा से होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। इसी ऐतिहासिक घटना के स्मरण में होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है, जो हमें बताता है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

होलिका दहन 2024 का इतिहास-

होली पर्व का इतिहास बहुत पुराने समय का है। विजयनगर साम्राज्य की प्राचीन राजधानी हम्पी में 16वीं शताब्दी के चित्र में होली का उल्लेख मिलता है। रामगढ़ के निकट विंध्य पर्वतों में भी, ईसा से 300 वर्ष पूर्व के अभिलेखों में होली का जिक्र है। कुछ विद्वान मानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन राक्षसी पूतना का वध किया था जिसकी खुशी में गोपियों और ब्रजवासियों ने होली खेली थी।

होलिका दहन 2024 की संपूर्ण पूजा विधि-

  • होलिका दहन की पूजा करने के लिए पहले स्नान करें।
  • स्नान के बाद, होलिका की पूजा के स्थान पर उत्तर या पूर्व की दिशा में मुख करके बैठें।
  • पूजा के लिए होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं गाय के गोबर से बनाएं।
  • पूजा के लिए रोली, फूल, माला, कच्चा सूत, गुड़, हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रखें।
  • सभी पूजन सामग्री के साथ पूरी विधि-विधान से पूजा करें। मिठाई और फल अर्पित करें।
  • होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें।

होलिका दहन 2024 से जुड़े विशेष उपाय-

  1. सुख-समृद्धि प्राप्ति का उपाय

ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, होलिका दहन के बाद उस राख को लेकर मुख्य द्वार और घर में चारों ओर छिड़कें। ऐसा करने से आपके घर में फैली नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी और स्वतः ही सुख-समृद्धि बढ़ने लगेगी।

 

  1. जादू-टोने का प्रभाव समाप्त होगा

अगर आपको लगता है कि घर में किसी के ऊपर जादू-टोना किया गया है, तो होलिका दहन के दिन घर के सभी व्यक्ति सरसों के तेल व बेसन का मसाज करें, उससे निकलने वाले मेल को होलिका दहन की आग में जला दें। इस उपाय से आपका शरीर स्वस्थ हो जाएगा और जादू-टोने का प्रभाव भी समाप्त हो जाएगा।

 

  1. नजर दोष से मुक्ति प्राप्त होगी

कुश, जौ, अलसी और गाय का गोबर लेकर एक छोटा सा उपला तैयार करें और इसे घर के प्रमुख द्वार पर लटका दें। इस उपाय से आपका घर बुरी नजर, टोने-टोटके और सभी प्रकार की समस्याओं से सुरक्षित रहेगा।

 

  1. सभी रोगों से मुक्ति मिलेगी

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलिका दहन के दिन होलिका अग्नि के साथ चारों दिशाओं में तीन परिक्रमा करें। इस तरीके से आपको सभी रोगों से राहत मिल सकती है।

 

  1. त्रिपुंड लगाएं

होलिका दहन के दिन होली की राख को लेकर माथे पर बाएं और दाएं तरफ से तीन रेखाओं से त्रिपुंड बनाएं। इस मान्यता के अनुसार, इसे लगाने से 27 कोटी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।

होलिका दहन 2024 के दिन जरूर करें ये ज्योतिषीय उपाय-

  • ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि होलिका दहन के दिन विवाह में हो रही देरी को दूर करने के लिए होलिका दहन के समय सुपारी, नारियल, काला तिल और उड़द लेकर लड़का या लड़की के सिर पर सात बार घुमाकर उसे आग में अर्पित कर देना चाहिए, ऐसा करने से वैवाहिक जीवन के लिए सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

  • होलिका दहन के दिन अग्नि में उड़द दाल के पांच दाने डालने से कार्य क्षेत्र में आ रही समस्याएं दूर होती है और जो लोग नौकरी की तलाश कर रहे हैं, उन्हें भी जल्द ही सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जूता या छाता दान जरूर करें। ऐसा करने से भी जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है।

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष उत्पन्न है या वह जीवन में किसी विशेष ग्रह के कारण समस्याओं का सामना कर रहा है, उसे होलिका दहन की भस्म को भगवान शिव पर अर्पित करना चाहिए, इस उपाय का पालन करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और ग्रह दोष के कारण आ रही समस्याएं दूर होती है।

  • पारिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि के लिए होलिका दहन के दिन समस्त परिवार के सदस्यों के ललाट पर हल्दी का तिलक लगाएं और इसके बाद होलिका की सात बार परिक्रमा करें, ऐसा करने से पारिवारिक जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है।

  • व्यापार क्षेत्र में उन्नति के लिए होलिका दहन के दिन घर या कार्यस्थल के मुख्य द्वार पर लाल या गुलाबी रंग के गुलाल से रंगोली बनाएं और दो दीपक अवश्य जलाएं। ऐसा करने से व्यापारिक क्षेत्र मजबूत होना शुरू हो जाता है।

Beware: There Will Be a Major Eclipse on Holi 2024, Avoid Playing Holi by Mistake!

We are all awaiting Holi, the festival of colors. The excitement that comes with this beautiful festival is on another level but this year, Holi will not be the same as always. There is going to be a lunar eclipse on the day of Holi this year and on top of it, there is a Rahu connection as well. Let’s dive in deeper to know what it holds for all of us. 

The Lunar Eclipse

The first lunar eclipse of the year 2024 will be on 25th March i.e. the day of Holi. The Sun-Rahu conjunction in Pisces is creating Grahan Yoga and this association is alarming. The eclipse will start at 10:23 am and end at 03:02 pm.

Planetary transitions on Holi

Saturn will transit on 18th March which is a major change in terms of planetary position. It is a major planet which moves slowly and stays in a zodiac sign for a considerably long time, leaving a deep impact. Sun changes its position every month and will move into Pisces. Rahu is already in this location and this will create a Sun Rahu conjunction. Every time Rahu is in the same house as Sun or Moon, it creates a grahan yoga. 

Impact of this eclipse and Sun Rahu conjunction on different zodiac signs

Aries 

The impact of this celestial event will be positive for Arians. They will recover from an ongoing financial crisis or make some gains. Their health will improve along with the confidence. You will receive appreciation and recognition. Don’t shy away from sharing your accomplishments. 

Taurus

Taurians will also experience a positive change in their family atmosphere. There will be happiness and contentment. Spending time with parents will be on you to do list. Tale a break, you deseeve it. To relax and reenergize yourself, pamper yourself. 

Gemini

Save yourself from any sort of injury. Mental stress is visible. Try to avoid any negative interactions and arguments. Your peace of mind should be a priority for you. Be a little cautious with your decisions about professional life. There could be a new job awaiting you but make your priorities clear before joining.

Cancer

Good news from children is anticipated. Students preparing for government jobs might clear the exam. Family time will be important to you during this phase. Your position at work will also improve. There could be an increment or promotion if you have given your 100% throughout the year. 

Leo

Financial loss, dispute in family and social position will be affected as a result of this eclipse. You need to be careful with your health as well and take your medication on time. Inspiration may feel to be missing from your life at the moment. You might want to step out of your comfort zone and take some risks. Give your mind a fresh perspective by taking a vacation or spending time with friends. This will give you more clarity about what matters more to you in this life. 

Virgo

You might get a chance to go on a short trip. Financial gain is likely. Make your investment plans so that you don’t feel wrecked in times of adversity. Ups and Downs are normal in human life. We should prepare for all sorts of events. If you need to take advice about financial decision making, consult your parents and elders.

Libra

For you, the situation is likely to stay normal with no major changes happening. Keep doing the good work and maintain harmony in all your relations. The key to remaining happy is to listen to your heart and not question its intuitions. A lot of proposals can come to you in terms of business opportunities. Go where your heart goes. During this time you might want to spend some quality time with your partner, so go ahead and make beautiful memories. 

Scorpio

You need to protect yourself and your family from health issues or grief. Chant mantras, keep a positive mindset and follow a good routine to let this phase pass with ease. You might want to change your lifestyle a little bit. Fixed patterns don’t encourage you, so this change could help. Focus on your goals while you do so, else you will be frustrated when seeing no productivity out of your actions.  

Sagittarius

You may make a big purchase or hear some positive news. Time is generally good for you, make the most of it. Romance is in the air. A new relationship can start. Don’t sit back at home in the meantime, instead go out, explore yourself and maybe you will find more than what you are looking for. 

Capricorn

Happiness and love galore will be the two words for Capricorn. Your hard work will result in rewards. Your instinct of an adventurer is trying to expose itself in ways you can’t think. Give yourself a breathing space and follow your heart. In the urge to make a living, don’t forget to live.

Aquarius 

The time is going to be challenging for people of the moon sign Aquarius, particularly in matters involving employment or business. Saturn is already affecting you with Sadesati. There is a probability of financial loss. Expenses will rise and health will also be disturbed. Chances of a break in career are also there. Be careful with your words and avoid conflicts at the workplace as well as home. If you are a student, be extra alert with your studies. Enemies will appear to be getting stronger since your position is weak. 

Pisces

There will not be much change in your life. Stay relaxed. Enjoy the festivity and keep the spirits high. However, you should not ease out on working on the goals you had set for yourself. If the mountain looks too high to climb, aim for the hill. Attainable targets will keep you motivated. This is the time when you should also work on your financial health.

Remedies and Precautions

  • During the Lunar Eclipse, it is recommended to recite the Guru Mantra or the Mahamrityunjaya Mantra.
  • Consider keeping a basil leaf in your mouth throughout the eclipse for added spiritual benefits.
  • Following the eclipse, ensure to cleanse and purify your home.
  • After the eclipse concludes, consider making charitable donations associated with the Moon’s energies.

Frequently Asked Questions

  • Where will this eclipse be visible?

Ans: The countries where it will be seen include America, Australia, Eastern Asia, Western Africa and Europe.

  • How long will this eclipse last?

Ans: The eclipse will start at 10:23 am and end at 15:02 pm as per Indian time.

  • Do we need to follow Sutak?

Ans: This eclipse will not be visible in India and thus the rules associated with Sutak do not apply. 

  • Which zodiac signs will be benefited by this and which need to be careful?

Ans: Aquarians of all zodiac signs need to be careful. Though, the impact on individuals depends on personal horoscopes as well and to predict the outcome for an individual, their chart needs to be properly analyzed, some effect can be experienced by the people as per their zodiac signs.

  • Can we play Holi during the eclipse?

Ans: Since the Sutak doesn’t apply, there is no harm in carrying out day to day work as usual or celebrating the festival. 

  • Are the remedies to be done by people of a particular sign only?

Ans: Everyone can perform the remedies and take note of the precautions irrespective of their zodiac signs. Impact if positive will be amplified and if negative, will be nullified by performing the remedies.

18 मार्च 2024 को होगा शनि का कुंभ में उदय। छात्रों की हो जाएगी बल्ले-बल्ले!

शनि का कुंभ में उदय (18 मार्च 2024)- शनि जिसे ज्योतिष विज्ञान में कर्मफल दाता भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष में सबसे प्रभावशाली ग्रहों में से एक है। ऐसे में शनि का हर छोटा-बड़ा स्थान परिवर्तन एक महत्वपूर्ण घटना को दर्शाता है, जिसका असर व प्रभाव अक्सर देश-विदेश के साथ-साथ सभी जातकों के जीवन पर पड़ता है। 

शनि के कुंभ में उदित होने की समयावधि 

बीते वर्ष 2023 में, 30 जनवरी को शनि ने अपना गोचर अपनी स्वराशि कुंभ में किया था, जो उसकी मूलत्रिकोण राशि में मानी जाती है। और वर्ष 2024 की शुरुआत में ही वे 11 फ़रवरी, दिन रविवार को कुंभ राशि में ही अस्त हो गए थे। अब इसी कर्म में वे लगभग 36 दिनों के बाद यानी 18 मार्च 2024, सोमवार को सुबह 7 बजकर 49 मिनट पर स्वराशि कुंभ में ही उदित हो जाएंगे। 

अरुण पंडित जी से समझें शनि के उदय का महत्व 

सेलिब्रिटी ज्योतिषी Astro अरुण पंडित जी की माने तो, 18 मार्च 2024 को शनि का कुंभ राशि में उदय होना, कोई साधारण घटना नहीं होगी। क्योंकि जिस समय शनि उदित होंगे उस समय देशभर में छात्रों का परीक्षा का समय चल रहा होगा। जिसके परिणामस्वरूप शनि की ये चाल न केवल देशभर में बल्कि खासतौर से विधार्थियों के लिए कई मायनों में ख़ास सिद्ध होगी। इतना ही नहीं शनि का उदय छात्रों के जीवन में कई विशेष सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा। आइए डालते हैं इन प्रभावों पर भी एक नज़र:-

  • छात्रों को मिलेंगे उपयोगी अवसर: शनि के उदय होने से छात्रों को उनकी परीक्षा की तैयारी में अधिक संलग्न होने का अवसर मिलेगा। ये वो अवधि होगी जब छात्र अपनी परीक्षा में अच्छे अंकों के लिए स्वाध्याय को और अधिक मेहनत से करते देखें जा सकते हैं।  
  • शुभ योग में होगा शनि का उदय: शनि का ये उदय फाल्गुन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि में होगा। इस दौरान नक्षत्र आर्द्रा होगा। साथ ही अगर योग की बात करें तो इस दौरान सौभाग्य योग का निर्माण होगा, शुभ योग की श्रेणी में आता है। 

शनि के उदय का ज्योतिषीय महत्व:

शनि के उदय का ज्योतिषीय महत्व इसलिए भी ख़ास हो जाता है, क्योंकि शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। जो प्रत्येक राशि में लंबे समय तक रहता है। बताते चले कि शनि एक राशि में लगभग 2.5 वर्ष तक रहता है, जिस कारण विभिन्न जातकों पर उसका प्रभाव भी विशेष महत्व रखता है। तो चलिए अब बिना देर किये जानते हैं, 18 मार्च 2024 को कुंभ में शनि उदित का प्रभाव विभिन्न राशियों के छात्रों के लिए कितना रहेगा शुभ-अशुभ:-

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राशियों के अनुसार शनि के उदय का छात्रों पर प्रभाव:

मेष राशि:

  • शनि के ग्रहण का समय छात्रों के लिए उत्कृष्ट होगा।
  • यह उन्हें अधिक संवेदनशील और प्रेरित करेगा।

वृष राशि:

  • शनि के उदय से यह राशि उपयुक्त होगी। 
  • परन्तु छात्रों को आने वाली परीक्षाओं में कुछ अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।

मिथुन राशि:

  • शनि का उदय छात्रों को परीक्षा में अधिक प्रेरित करते हुए, सफलता की ओर अग्रसर रहने में मदद करेगा। 
  • शनि से बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको अपना स्वाध्याय का समय बढ़ाना होगा। 

कर्क राशि:

  • शनि के उदय होने पर, इस राशि के छात्रों को अधिक धैर्य और स्थिरता मिलेगी। 
  • परन्तु बावजूद इसके मन कुछ व्याकुल सा प्रतीत हो सकता है। 

सिंह राशि:

  • शनि के उदय के दौरान छात्रों को अपनी दृढ़ता और समर्थता का अधिक प्रयोग करने का सुझाव दिया जाता है।
  • इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्वाध्याय करें। 

कन्या राशि:

  • इस राशि के छात्रों को शनि देव अपनी स्वराशि में उदय होने के बाद समृद्धि की ओर प्रेरित करेंगे। 
  • आपको समय पर अपना हर काम पूरा करने की आवश्यकता होगी।

तुला राशि:

  • शनि के उदय का प्रभाव इस राशि के छात्रों के लिए अधिक उत्कृष्ट होगा। 
  • शनि देव की कृपा से उन्हें स्थिरता और सफलता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

वृश्चिक राशि:

  • 18 मार्च को शनि का उदय होना इस राशि के छात्रों को उनके मार्ग व लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक मददगार सिद्ध होगा।
  • ज्यादातर समय मोबाइल या कंप्यूटर पर व्यतीत करने से बचें। 

धनु राशि:

  • छात्रों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत करने का साहस शनि के उदय से मिलने लगेगा।
  • हालांकि शनि देव इस दौरान आपको कुछ आलसी बना सकते हैं। 

मकर राशि:

  • मकर शनि की ही राशि होती है, ऐसे में शनि के उदय का प्रभाव इस राशि के छात्रों के लिए सकारात्मक रहेगा। 
  • यह उन्हें स्वास्थ्य, धैर्य, और संघर्ष की भावना से, आने वाली परीक्षा में और अधिक बेहतर करने में मदद करेगा।

कुंभ राशि:

  • इस राशि के छात्रों के लिए शनि का उदय विशेष महत्वपूर्ण रहेगा, क्योंकि शनि आपकी ही राशि में 18 मार्च से उदय हो रहे हैं। 
  • ऐसे में शनि का ये प्रभाव आपको समृद्धि और सफलता के लिए अधिक मेहनत करने की प्रेरणा देगा। 

मीन राशि:

  • मीन राशि के छात्रों को शनि के उदय के दौरान अपने विचारों को साफ करने और अपने लक्ष्यों की दिशा में प्रगति करने के लिए प्रेरित करेगा।
  • परीक्षा में बेहतर अंकों के लिए छात्र किसी गुरु या बड़े की मदद ले सकते हैं। 

हम आशा करते हैं कि ये लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रो अरुण पंडित जी की टीम की ओर से आपको उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं। 

14 मार्च को बनेगा “सबसे खतरनाक ग्रहण योग”! अरुण पंडित जी बताएंगे इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के उपाय।

मार्च 2024 ज्योतिषियों घटनाओं के हिसाब से कई मायनों में बेहद ख़ास रहने वाला है। क्योंकि मार्च में कुछ ग्रह मिलकर एक ऐसा अद्भुत संयोग बनाएंगे, जिससे न केवल देश-दुनिया में बल्कि सभी जातकों के जीवन में बहुत उथल-पथल देखने को मिलेगी।

कब होगी सूर्य-राहु की युति  

एस्ट्रो अरुण पंडित जी की मानें तो 14 मार्च 2024, गुरूवार की दोपहर 12 बजकर 46 मिनट पर सूर्य और राहु का अद्भुत मिलन होगा। इस दौरान ग्रहों के राजा माने जाने वाले सूर्य देव गुरु बृहस्पति की मीन राशि में गोचर करते हुए, वहां पहले से उपस्थिति अपने नैसर्गिक शत्रु व छायाग्रह राहु के साथ मिलकर युति करेंगे, जिससे “ग्रहण योग” का निर्माण होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस संयोग का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस ग्रहण योग के दौरान कुछ जातकों को इस दौरान खासतौर से बचकर रहने की हिदायत दी जाती है।

क्या होता है ग्रहण योग?

ज्योतिष में ग्रहण योग उस स्थिति में बनता है जब सूर्य और राहु कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ उपस्थित होते हुए युति बनाते हैं। बता दें कि ग्रहण योग अशुभ योगों की श्रेणी में आता है। क्योंकि ग्रहण योग का निर्माण जातक के जीवन की शुभता पर ग्रहण लगाने का कार्य करता है।

ज्योतिष विज्ञान में सूर्य से जहाँ हमारी आत्मा का प्रतिनिधित्व किया जाता है, जबकि राहु को काल की शक्ति का प्रतिनिधित्व माना गया है। ऐसे में इन दोनों ही विशेष ग्रहों का संयोग हमें अपनी आत्मिक ऊर्जा को सकारात्मक और सतत रखने का संदेश देता है।

तो चलिए अब नीचे सभी 12 राशियों के लिए कुछ विशेष उपायों पर डालते हैं एक नज़र, ताकि इस ग्रहण योग की मदद से सभी जातक अपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल करते हुए अपने उद्देश्यों की ओर अग्रसर होने के लिए एक अद्वितीय अवसर प्राप्त कर सके।

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12 राशियों के लिए ग्रहण योग के उपाय:-

मेष राशि 

मेष जातकों के लिए सूर्य पंचम भाव के स्वामी होते हैं और अब राहु-सूर्य की ये युति आपकी राशि के द्वादश यानी बारहवें भाव में होगी।

उपाय: अगले एक माह तक रोजाना 19 बार ‘ॐ भास्कराय नमः’ इस मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें।

 

वृषभ राशि

वृषभ जातकों के लिए सूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी होते हैं और अब वे अपना गोचर करते हुए आपकी राशि के एकादश यानी ग्यारहवें भाव में, वहां पहले से उपस्थित राहु के साथ युति करेंगे।

उपाय: प्रत्येक मासिक शिवरात्रि विधि अनुसार शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ करें।

 

मिथुन राशि

आपके लिए ग्रहों के राजा सूर्य तीसरे भाव के स्वामी होते हैं और 14 मार्च को वे अपना गोचर करते हुए आपके दशम भाव में विराजमान होते हुए राहु के साथ युति करेंगे।

उपाय: रोज़ाना घर से निकलने से पहले अपने माथे पर लाल चन्दन का तिलक करें।

 

कर्क राशि

सूर्य आपकी राशि के दूसरे भाव के स्वामी हैं और अब वे अपना गोचर कर राहु के साथ युति करेंगे। जिससे आपकी कुंडली के नवम भाव में ग्रहण योग का निर्माण होगा।

उपाय: भगवान शिव जी की पूजा-अर्चना करते हुए, हर सोमवार शिवलिंग पर कच्चे दूध से अभिषेक करें।

 

सिंह राशि

सिंह राशि का आधिपत्य सूर्य देव के पास ही होता है। ऐसे में अब वे अपना गोचर कर राहु के साथ मिलकर आपके अष्टम भाव में ग्रहण योग बनाएंगे।

उपाय: रोज़ाना सूर्य देव की उपासना कर प्रतिदिन सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

 

कन्या राशि 

सूर्य आपकी राशि के द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और अब राहु के साथ वे आपकी कुंडली के सप्तम भाव में युति करेंगे।

उपाय: रविवार के दिन भगवान सूर्य को समर्पित हवन व यज्ञ करना आपके लिए अनुकूल रहेगा।

 

तुला राशि 

तुला जातकों के लिए सूर्य एकादश भाव के स्वामी माने गए हैं। अब वे अपना गोचर मीन राशि में करते हुए राहु के साथ युति आपके छठे भाव में बनाएंगे।

उपाय: सप्ताह में किसी भी एक दिन वृद्धाश्रम जाकर बुजुर्गों की सेवा करें।

 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक जातकों के लिए सूर्य दशम भाव के स्वामी होते हैं। और अब उनका गोचर आपके पांचवे घर में होने से आपके पंचम भाव में ही राहु-सूर्य की युति बनेगी।

उपाय: महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।

 

धनु राशि 

सूर्य आपके नवम भाव के स्वामी हैं और वे अपना गोचर आपके चतुर्थ भाव में करते हुए ग्रहण योग का निर्माण करेंगे।

उपाय: अपनी मां को कोई भी सफ़ेद वस्तु उपहार में देना आपके लिए अनुकूल रहेगा।

 

मकर राशि 

मकर जातकों के लिए सूर्य अष्टम भाव के स्वामी माने गए हैं। अब उनका गोचर आपके तृतीय भाव में होगा, जहाँ वे वहां पहले से उपस्थित राहु के साथ युति करेंगे।

उपाय: रोज़ाना एक माला ‘ॐ मांडाय नमः’ मंत्र की जप करें।

 

कुंभ राशि

कुंभ जातकों के लिए सूर्य सप्तम भाव के स्वामी हैं। 14 मार्च को अपने गोचर के दौरान वे आपके द्वितीय भाव में राहु के साथ युति बनाएंगे।

उपाय: रोज़ाना सूर्योदय के समय 108 बार “ॐ रां राहवे नमः” मंत्र की जप करें।

 

मीन राशि

राशिचक्र की अंतिम राशि मीन के लिए सूर्य छठे भाव के स्वामी होते हैं। अब उनका गोचर इसी राशि में होने से लग्न में उपस्थित राहु के साथ उनकी युति बनेगी।

उपाय: ग्रहण योग निवारण पूजा करवाएं।

हम आशा करते हैं कि ये लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रो अरुण पंडित जी की टीम की ओर से आपको उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं। ,

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महाशिवरात्रि 2024: भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का अवसर

महाशिवरात्रि 2024: भगवान शिव की पूजा और महत्व

 

महाशिवरात्रि, भारतीय हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जिसे भगवान शिव की उपासना और पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस वर्ष, 2024 में, महाशिवरात्रि का उत्सव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसे भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह के रूप में भी मनाया जाता है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

शुभ मुहूर्त-

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 08 मार्च , रात 09:57 बजे से

चतुर्दशी समाप्त – 09 मार्च,शाम 06:17 बजे तक 

निशिता काल पूजा मुहूर्त- 08 मार्च, को  रात 12:07 से 12:55 बजे तक

अवधि- 0 घंटे 48 मिनट

महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त- 06:38: से 03:30: तक 9, मार्च को

महत्व:

महाशिवरात्रि का महत्व धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और उपासना करने से मान्यता है कि भगवान शिव सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं और अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। इस दिन का विशेष महत्व है भगवान शिव के साथ जुड़ने और उनकी कृपा प्राप्त करने का।

पूजा विधि:

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें। तत्पश्चात, आठ घड़े केसर मिश्रित जल से अर्पित करें। इस पवित्र रात्रि में अखंड दीपक प्रज्वलित करें। चंदन का लेप लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, ईख का रस, तुलसी पत्र, जायफल, कमलगट्टा, विविध प्रकार के फल, मिठाई, मीठा पान, सुगंधित इत्र और दक्षिणा समर्पित करें। अंत में, केसर युक्त खीर का भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें। ‘ॐ नमो भगवते रूद्राय’, ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘रूद्राय शंभवाय भवानीपतये नमो नमः’ इन मंत्रों का उच्चारण करें। इस दिव्य दिन पर शिव पुराण का पाठ अवश्य करें। महाशिवरात्रि की रात्रि में जागरण की परंपरा भी है।

महामृत्युंजय मंत्र:

“ॐ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बंधनात, मृत्योर्मुक्षिय मामृतात्।।”

यह मंत्र भगवान शिव की कृपा को प्राप्त करने के लिए बहुत ही प्रभावशाली है। इसका नियमित जाप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।

महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा

महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर अनेक प्रसिद्ध कथाएं सुनने को मिलती हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवी पार्वती ने शिवजी को अपना वर बनाने हेतु कठिन तपस्या की थी। पौराणिक लोककथाओं के मुताबिक, इसी तपस्या के परिणामस्वरूप फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिव और पार्वती का गठबंधन हुआ था। इसी कारण, महाशिवरात्रि का दिन बहुत ही शुभ और सात्विक माना जाता है।

इसके अलावा, गरुड़ पुराण में इस दिवस के महत्व को बताने वाली एक अलग कथा वर्णित है, जिसके अनुसार एक निषादराज अपने कुत्ते के संग शिकार करने निकला परन्तु उसे कोई शिकार नहीं मिला। थकान और भूख-प्यास से बेहाल होकर वह एक सरोवर के किनारे आ पहुँचा, जहाँ एक बिल्वपत्र वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित था। विश्राम के लिए उसने कुछ बिल्वपत्र तोड़े, जो अनजाने में शिवलिंग पर गिर पड़े। सरोवर के जल से अपने पैर धोते समय, उसके पैरों से छिड़का गया जल भी शिवलिंग पर गिरा। इस दौरान, उसका एक तीर जमीन पर गिरा और उसे उठाते समय उसने शिवलिंग के सामने अनायास ही शीष झुका दिया। इस प्रकार उसने महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव-आराधना की सभी विधियां अनजाने में ही संपन्न कर लीं। उसके मरणोपरांत, जब यमदूत उसे लेने आए, तो शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और यमदूतों को वापस भेज दिया।

अतः, यदि अज्ञानता में किये गये शिव पूजन का इतना महान फल मिल सकता है, तो सोचिए कि जानकारी और श्रद्धा से किये गए शिवाराधना का फल कितना अधिक होगा।

महाशिवरात्रि 2024: राशि अनुसार टोटके और उपाय

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर, भगवान शिव को सच्चे मन से पूजने से बहुत लाभ होता है। इस दिन राशि के अनुसार कुछ टोटकों से हर मनोकामना पूरी हो सकती है। आज देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है, जिसमें विभिन्न उपायों का अद्भुत महत्व है। यहाँ दी गई है राशियों के अनुसार उपाय:

मेष राशि: मेष राशि के लोगों को महाशिवरात्रि के दिन शिव चालीसा का पाठ और मंत्र ‘ऊं नम: शिवाय’ का जाप करना चाहिए।

 

वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातकों को शिवलिंग पर जल अर्पित करना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

 

मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोगों को ‘ऊं’ मंत्र का जप करना और शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए।

 

कर्क राशि: कर्क राशि के लोगों को दूध से शिवलिंग का अभिषेक करना और रुद्राष्टक का पाठ करना चाहिए।

 

 सिंह राशि: सिंह राशि के लोगों को चमेली के फूल और ‘शिव तांडव स्तोत्र’ का पाठ करना चाहिए।

 

कन्या राशि: कन्या राशि के जातकों को बेलपत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।

 

तुला राशि: तुला राशि के लोगों को शिवलिंग पर लाल रंग के पुष्प अर्पित करना और ‘ऊं अनंतधर्माय नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए।

वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातकों को चंदन और पीले पुष्पों का अर्पण करना और ‘ऊं नागेश्वराय नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए।

धनु राशि: धनु राशि के लोगों को ‘ऊं’ मंत्र का जप करना और चंदन और लाल रंग के पुष्पों का अर्पण करना चाहिए।

मकर राशि: मकर राशि के लोगों को ‘ऊं अर्धनारीश्वराय नमः’ मंत्र का जप करना और व्रत रखना चाहिए।

कुंभ राशि: कुंभ राशि के लोगों को ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ मंत्र का जप करना और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।

मीन राशि: मीन राशि के लोगों को ‘ऊं अनंतधर्माय नम:’ मंत्र का जप करना और ध्यान करके भगवान शिव की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।

 

इस वर्ष की महाशिवरात्रि पर, हम सभी को भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो, और हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का सामर्थ्य मिले। इस धार्मिक उत्सव को मनाकर हम भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को प्रकट करते हैं। जय भोलेनाथ! हर हर महादेव!

Ram Navami 2024| राम नवमी 2024

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चैत्र नवरात्रि 2024!

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होलिका दहन 2024 का मुहूर्त, ज्योतिषीय उपाय, पूजा विधि और इसका सही नियम !

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शनि उदय 2024

18 मार्च 2024 को होगा शनि का कुंभ में उदय। छात्रों की हो जाएगी बल्ले-बल्ले!

शनि का कुंभ में उदय (18 मार्च 2024)- शनि जिसे ज्योतिष विज्ञान में कर्मफल दाता भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष में सबसे प्रभावशाली ग्रहों में से एक है। ऐसे

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Know How February Born People are | Personalities

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What Your Birth Date Has to Say About You according to Astrology - February 1 to 31st 2024

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30 February 2024

31 January 2024

29 July 2023

30 July 2023

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Astro Arun Pandit is the best astrologer in India in the field of Astrology, Numerology & Palmistry. He has been helping people solve their life problems related to government jobs, health, marriage, love, career, and business for 49+ years.

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