इस बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रविवार को शुरू हो गई है। भगवान जगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ यात्रा पर निकले हैं। इस बार यह यात्रा रवि पुष्य योग के संयोग में शुरू हुई है।
जगन्नाथ रथ यात्रा का ये उत्सव 10 दिन तक धूमधाम से मनाया जाता है। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू हुई यात्रा का समापन दशमी तिथि को होता है और इस साल इसका समापन 16 जुलाई को होगा।
नीम के चूर्ण का भोग लगाने का क्या है कारण?
क्या आपको पता है कि इस समय भगवान जगन्नाथ को 56 भोग का प्रसाद परोसे जाने के बाद नीम के चूर्ण का भोग भी लगाया जाता है।
दरअसल, एक कथा से पता चलता है कि भगवान जगन्नाथ के मंदिर से कुछ दूर एक महिला रहती थी जो उन्हें अपना पुत्र मानती थी। एक दिन उसके मन में यह विचार आया कि इतना सारा भोजन करने के बाद मेरे बेटे के पेट में दर्द हो जाएगा। वह भगवान जगन्नाथ के लिए नीम का चूर्ण बनाकर उन्हें खिलाने के लिए आई लेकिन मंदिर के द्वार पर खड़े सैनिकों ने उसका चूर्ण फेंककर उसे भगा दिया।
इसके बाद भगवान जगन्नाथ ने राजा को सपने में दर्शन देकर आदेश दिया कि उनकी माता यानी उस महिला को दवा यानी नीम का चूर्ण खिलाने दिया जाए। इस पर राजा ने उस महिला के घर जाकर माफी मांगी। इसके बाद उसने दोबारा नीम का चूर्ण तैयार कर भगवान जगन्नाथ को खिलाया। तब से ही हर साल भगवान जगन्नाथ को 56 भोग लगाने के बाद नीम के चूर्ण का भोग लगाया जाता है।
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