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18 मार्च 2024 को होगा शनि का कुंभ में उदय। छात्रों की हो जाएगी बल्ले-बल्ले!

शनि का कुंभ में उदय (18 मार्च 2024)- शनि जिसे ज्योतिष विज्ञान में कर्मफल दाता भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष में सबसे प्रभावशाली ग्रहों में से एक है। ऐसे में शनि का हर छोटा-बड़ा स्थान परिवर्तन एक महत्वपूर्ण घटना को दर्शाता है, जिसका असर व प्रभाव अक्सर देश-विदेश के साथ-साथ सभी जातकों के जीवन पर पड़ता है। 

शनि के कुंभ में उदित होने की समयावधि 

बीते वर्ष 2023 में, 30 जनवरी को शनि ने अपना गोचर अपनी स्वराशि कुंभ में किया था, जो उसकी मूलत्रिकोण राशि में मानी जाती है। और वर्ष 2024 की शुरुआत में ही वे 11 फ़रवरी, दिन रविवार को कुंभ राशि में ही अस्त हो गए थे। अब इसी कर्म में वे लगभग 36 दिनों के बाद यानी 18 मार्च 2024, सोमवार को सुबह 7 बजकर 49 मिनट पर स्वराशि कुंभ में ही उदित हो जाएंगे। 

अरुण पंडित जी से समझें शनि के उदय का महत्व 

सेलिब्रिटी ज्योतिषी Astro अरुण पंडित जी की माने तो, 18 मार्च 2024 को शनि का कुंभ राशि में उदय होना, कोई साधारण घटना नहीं होगी। क्योंकि जिस समय शनि उदित होंगे उस समय देशभर में छात्रों का परीक्षा का समय चल रहा होगा। जिसके परिणामस्वरूप शनि की ये चाल न केवल देशभर में बल्कि खासतौर से विधार्थियों के लिए कई मायनों में ख़ास सिद्ध होगी। इतना ही नहीं शनि का उदय छात्रों के जीवन में कई विशेष सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा। आइए डालते हैं इन प्रभावों पर भी एक नज़र:-

  • छात्रों को मिलेंगे उपयोगी अवसर: शनि के उदय होने से छात्रों को उनकी परीक्षा की तैयारी में अधिक संलग्न होने का अवसर मिलेगा। ये वो अवधि होगी जब छात्र अपनी परीक्षा में अच्छे अंकों के लिए स्वाध्याय को और अधिक मेहनत से करते देखें जा सकते हैं।  
  • शुभ योग में होगा शनि का उदय: शनि का ये उदय फाल्गुन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि में होगा। इस दौरान नक्षत्र आर्द्रा होगा। साथ ही अगर योग की बात करें तो इस दौरान सौभाग्य योग का निर्माण होगा, शुभ योग की श्रेणी में आता है। 

शनि के उदय का ज्योतिषीय महत्व:

शनि के उदय का ज्योतिषीय महत्व इसलिए भी ख़ास हो जाता है, क्योंकि शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। जो प्रत्येक राशि में लंबे समय तक रहता है। बताते चले कि शनि एक राशि में लगभग 2.5 वर्ष तक रहता है, जिस कारण विभिन्न जातकों पर उसका प्रभाव भी विशेष महत्व रखता है। तो चलिए अब बिना देर किये जानते हैं, 18 मार्च 2024 को कुंभ में शनि उदित का प्रभाव विभिन्न राशियों के छात्रों के लिए कितना रहेगा शुभ-अशुभ:-

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राशियों के अनुसार शनि के उदय का छात्रों पर प्रभाव:

मेष राशि:

  • शनि के ग्रहण का समय छात्रों के लिए उत्कृष्ट होगा।
  • यह उन्हें अधिक संवेदनशील और प्रेरित करेगा।

वृष राशि:

  • शनि के उदय से यह राशि उपयुक्त होगी। 
  • परन्तु छात्रों को आने वाली परीक्षाओं में कुछ अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।

मिथुन राशि:

  • शनि का उदय छात्रों को परीक्षा में अधिक प्रेरित करते हुए, सफलता की ओर अग्रसर रहने में मदद करेगा। 
  • शनि से बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको अपना स्वाध्याय का समय बढ़ाना होगा। 

कर्क राशि:

  • शनि के उदय होने पर, इस राशि के छात्रों को अधिक धैर्य और स्थिरता मिलेगी। 
  • परन्तु बावजूद इसके मन कुछ व्याकुल सा प्रतीत हो सकता है। 

सिंह राशि:

  • शनि के उदय के दौरान छात्रों को अपनी दृढ़ता और समर्थता का अधिक प्रयोग करने का सुझाव दिया जाता है।
  • इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्वाध्याय करें। 

कन्या राशि:

  • इस राशि के छात्रों को शनि देव अपनी स्वराशि में उदय होने के बाद समृद्धि की ओर प्रेरित करेंगे। 
  • आपको समय पर अपना हर काम पूरा करने की आवश्यकता होगी।

तुला राशि:

  • शनि के उदय का प्रभाव इस राशि के छात्रों के लिए अधिक उत्कृष्ट होगा। 
  • शनि देव की कृपा से उन्हें स्थिरता और सफलता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

वृश्चिक राशि:

  • 18 मार्च को शनि का उदय होना इस राशि के छात्रों को उनके मार्ग व लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक मददगार सिद्ध होगा।
  • ज्यादातर समय मोबाइल या कंप्यूटर पर व्यतीत करने से बचें। 

धनु राशि:

  • छात्रों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत करने का साहस शनि के उदय से मिलने लगेगा।
  • हालांकि शनि देव इस दौरान आपको कुछ आलसी बना सकते हैं। 

मकर राशि:

  • मकर शनि की ही राशि होती है, ऐसे में शनि के उदय का प्रभाव इस राशि के छात्रों के लिए सकारात्मक रहेगा। 
  • यह उन्हें स्वास्थ्य, धैर्य, और संघर्ष की भावना से, आने वाली परीक्षा में और अधिक बेहतर करने में मदद करेगा।

कुंभ राशि:

  • इस राशि के छात्रों के लिए शनि का उदय विशेष महत्वपूर्ण रहेगा, क्योंकि शनि आपकी ही राशि में 18 मार्च से उदय हो रहे हैं। 
  • ऐसे में शनि का ये प्रभाव आपको समृद्धि और सफलता के लिए अधिक मेहनत करने की प्रेरणा देगा। 

मीन राशि:

  • मीन राशि के छात्रों को शनि के उदय के दौरान अपने विचारों को साफ करने और अपने लक्ष्यों की दिशा में प्रगति करने के लिए प्रेरित करेगा।
  • परीक्षा में बेहतर अंकों के लिए छात्र किसी गुरु या बड़े की मदद ले सकते हैं। 

हम आशा करते हैं कि ये लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रो अरुण पंडित जी की टीम की ओर से आपको उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं। 

14 मार्च को बनेगा “सबसे खतरनाक ग्रहण योग”! अरुण पंडित जी बताएंगे इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के उपाय।

मार्च 2024 ज्योतिषियों घटनाओं के हिसाब से कई मायनों में बेहद ख़ास रहने वाला है। क्योंकि मार्च में कुछ ग्रह मिलकर एक ऐसा अद्भुत संयोग बनाएंगे, जिससे न केवल देश-दुनिया में बल्कि सभी जातकों के जीवन में बहुत उथल-पथल देखने को मिलेगी।

कब होगी सूर्य-राहु की युति  

एस्ट्रो अरुण पंडित जी की मानें तो 14 मार्च 2024, गुरूवार की दोपहर 12 बजकर 46 मिनट पर सूर्य और राहु का अद्भुत मिलन होगा। इस दौरान ग्रहों के राजा माने जाने वाले सूर्य देव गुरु बृहस्पति की मीन राशि में गोचर करते हुए, वहां पहले से उपस्थिति अपने नैसर्गिक शत्रु व छायाग्रह राहु के साथ मिलकर युति करेंगे, जिससे “ग्रहण योग” का निर्माण होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस संयोग का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस ग्रहण योग के दौरान कुछ जातकों को इस दौरान खासतौर से बचकर रहने की हिदायत दी जाती है।

क्या होता है ग्रहण योग?

ज्योतिष में ग्रहण योग उस स्थिति में बनता है जब सूर्य और राहु कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ उपस्थित होते हुए युति बनाते हैं। बता दें कि ग्रहण योग अशुभ योगों की श्रेणी में आता है। क्योंकि ग्रहण योग का निर्माण जातक के जीवन की शुभता पर ग्रहण लगाने का कार्य करता है।

ज्योतिष विज्ञान में सूर्य से जहाँ हमारी आत्मा का प्रतिनिधित्व किया जाता है, जबकि राहु को काल की शक्ति का प्रतिनिधित्व माना गया है। ऐसे में इन दोनों ही विशेष ग्रहों का संयोग हमें अपनी आत्मिक ऊर्जा को सकारात्मक और सतत रखने का संदेश देता है।

तो चलिए अब नीचे सभी 12 राशियों के लिए कुछ विशेष उपायों पर डालते हैं एक नज़र, ताकि इस ग्रहण योग की मदद से सभी जातक अपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल करते हुए अपने उद्देश्यों की ओर अग्रसर होने के लिए एक अद्वितीय अवसर प्राप्त कर सके।

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12 राशियों के लिए ग्रहण योग के उपाय:-

मेष राशि 

मेष जातकों के लिए सूर्य पंचम भाव के स्वामी होते हैं और अब राहु-सूर्य की ये युति आपकी राशि के द्वादश यानी बारहवें भाव में होगी।

उपाय: अगले एक माह तक रोजाना 19 बार ‘ॐ भास्कराय नमः’ इस मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें।

 

वृषभ राशि

वृषभ जातकों के लिए सूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी होते हैं और अब वे अपना गोचर करते हुए आपकी राशि के एकादश यानी ग्यारहवें भाव में, वहां पहले से उपस्थित राहु के साथ युति करेंगे।

उपाय: प्रत्येक मासिक शिवरात्रि विधि अनुसार शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ करें।

 

मिथुन राशि

आपके लिए ग्रहों के राजा सूर्य तीसरे भाव के स्वामी होते हैं और 14 मार्च को वे अपना गोचर करते हुए आपके दशम भाव में विराजमान होते हुए राहु के साथ युति करेंगे।

उपाय: रोज़ाना घर से निकलने से पहले अपने माथे पर लाल चन्दन का तिलक करें।

 

कर्क राशि

सूर्य आपकी राशि के दूसरे भाव के स्वामी हैं और अब वे अपना गोचर कर राहु के साथ युति करेंगे। जिससे आपकी कुंडली के नवम भाव में ग्रहण योग का निर्माण होगा।

उपाय: भगवान शिव जी की पूजा-अर्चना करते हुए, हर सोमवार शिवलिंग पर कच्चे दूध से अभिषेक करें।

 

सिंह राशि

सिंह राशि का आधिपत्य सूर्य देव के पास ही होता है। ऐसे में अब वे अपना गोचर कर राहु के साथ मिलकर आपके अष्टम भाव में ग्रहण योग बनाएंगे।

उपाय: रोज़ाना सूर्य देव की उपासना कर प्रतिदिन सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

 

कन्या राशि 

सूर्य आपकी राशि के द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और अब राहु के साथ वे आपकी कुंडली के सप्तम भाव में युति करेंगे।

उपाय: रविवार के दिन भगवान सूर्य को समर्पित हवन व यज्ञ करना आपके लिए अनुकूल रहेगा।

 

तुला राशि 

तुला जातकों के लिए सूर्य एकादश भाव के स्वामी माने गए हैं। अब वे अपना गोचर मीन राशि में करते हुए राहु के साथ युति आपके छठे भाव में बनाएंगे।

उपाय: सप्ताह में किसी भी एक दिन वृद्धाश्रम जाकर बुजुर्गों की सेवा करें।

 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक जातकों के लिए सूर्य दशम भाव के स्वामी होते हैं। और अब उनका गोचर आपके पांचवे घर में होने से आपके पंचम भाव में ही राहु-सूर्य की युति बनेगी।

उपाय: महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।

 

धनु राशि 

सूर्य आपके नवम भाव के स्वामी हैं और वे अपना गोचर आपके चतुर्थ भाव में करते हुए ग्रहण योग का निर्माण करेंगे।

उपाय: अपनी मां को कोई भी सफ़ेद वस्तु उपहार में देना आपके लिए अनुकूल रहेगा।

 

मकर राशि 

मकर जातकों के लिए सूर्य अष्टम भाव के स्वामी माने गए हैं। अब उनका गोचर आपके तृतीय भाव में होगा, जहाँ वे वहां पहले से उपस्थित राहु के साथ युति करेंगे।

उपाय: रोज़ाना एक माला ‘ॐ मांडाय नमः’ मंत्र की जप करें।

 

कुंभ राशि

कुंभ जातकों के लिए सूर्य सप्तम भाव के स्वामी हैं। 14 मार्च को अपने गोचर के दौरान वे आपके द्वितीय भाव में राहु के साथ युति बनाएंगे।

उपाय: रोज़ाना सूर्योदय के समय 108 बार “ॐ रां राहवे नमः” मंत्र की जप करें।

 

मीन राशि

राशिचक्र की अंतिम राशि मीन के लिए सूर्य छठे भाव के स्वामी होते हैं। अब उनका गोचर इसी राशि में होने से लग्न में उपस्थित राहु के साथ उनकी युति बनेगी।

उपाय: ग्रहण योग निवारण पूजा करवाएं।

हम आशा करते हैं कि ये लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रो अरुण पंडित जी की टीम की ओर से आपको उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं। ,