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14 मार्च को बनेगा “सबसे खतरनाक ग्रहण योग”! अरुण पंडित जी बताएंगे इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के उपाय।

मार्च 2024 ज्योतिषियों घटनाओं के हिसाब से कई मायनों में बेहद ख़ास रहने वाला है। क्योंकि मार्च में कुछ ग्रह मिलकर एक ऐसा अद्भुत संयोग बनाएंगे, जिससे न केवल देश-दुनिया में बल्कि सभी जातकों के जीवन में बहुत उथल-पथल देखने को मिलेगी।

कब होगी सूर्य-राहु की युति  

एस्ट्रो अरुण पंडित जी की मानें तो 14 मार्च 2024, गुरूवार की दोपहर 12 बजकर 46 मिनट पर सूर्य और राहु का अद्भुत मिलन होगा। इस दौरान ग्रहों के राजा माने जाने वाले सूर्य देव गुरु बृहस्पति की मीन राशि में गोचर करते हुए, वहां पहले से उपस्थिति अपने नैसर्गिक शत्रु व छायाग्रह राहु के साथ मिलकर युति करेंगे, जिससे “ग्रहण योग” का निर्माण होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस संयोग का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस ग्रहण योग के दौरान कुछ जातकों को इस दौरान खासतौर से बचकर रहने की हिदायत दी जाती है।

क्या होता है ग्रहण योग?

ज्योतिष में ग्रहण योग उस स्थिति में बनता है जब सूर्य और राहु कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ उपस्थित होते हुए युति बनाते हैं। बता दें कि ग्रहण योग अशुभ योगों की श्रेणी में आता है। क्योंकि ग्रहण योग का निर्माण जातक के जीवन की शुभता पर ग्रहण लगाने का कार्य करता है।

ज्योतिष विज्ञान में सूर्य से जहाँ हमारी आत्मा का प्रतिनिधित्व किया जाता है, जबकि राहु को काल की शक्ति का प्रतिनिधित्व माना गया है। ऐसे में इन दोनों ही विशेष ग्रहों का संयोग हमें अपनी आत्मिक ऊर्जा को सकारात्मक और सतत रखने का संदेश देता है।

तो चलिए अब नीचे सभी 12 राशियों के लिए कुछ विशेष उपायों पर डालते हैं एक नज़र, ताकि इस ग्रहण योग की मदद से सभी जातक अपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल करते हुए अपने उद्देश्यों की ओर अग्रसर होने के लिए एक अद्वितीय अवसर प्राप्त कर सके।

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12 राशियों के लिए ग्रहण योग के उपाय:-

मेष राशि 

मेष जातकों के लिए सूर्य पंचम भाव के स्वामी होते हैं और अब राहु-सूर्य की ये युति आपकी राशि के द्वादश यानी बारहवें भाव में होगी।

उपाय: अगले एक माह तक रोजाना 19 बार ‘ॐ भास्कराय नमः’ इस मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें।

 

वृषभ राशि

वृषभ जातकों के लिए सूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी होते हैं और अब वे अपना गोचर करते हुए आपकी राशि के एकादश यानी ग्यारहवें भाव में, वहां पहले से उपस्थित राहु के साथ युति करेंगे।

उपाय: प्रत्येक मासिक शिवरात्रि विधि अनुसार शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ करें।

 

मिथुन राशि

आपके लिए ग्रहों के राजा सूर्य तीसरे भाव के स्वामी होते हैं और 14 मार्च को वे अपना गोचर करते हुए आपके दशम भाव में विराजमान होते हुए राहु के साथ युति करेंगे।

उपाय: रोज़ाना घर से निकलने से पहले अपने माथे पर लाल चन्दन का तिलक करें।

 

कर्क राशि

सूर्य आपकी राशि के दूसरे भाव के स्वामी हैं और अब वे अपना गोचर कर राहु के साथ युति करेंगे। जिससे आपकी कुंडली के नवम भाव में ग्रहण योग का निर्माण होगा।

उपाय: भगवान शिव जी की पूजा-अर्चना करते हुए, हर सोमवार शिवलिंग पर कच्चे दूध से अभिषेक करें।

 

सिंह राशि

सिंह राशि का आधिपत्य सूर्य देव के पास ही होता है। ऐसे में अब वे अपना गोचर कर राहु के साथ मिलकर आपके अष्टम भाव में ग्रहण योग बनाएंगे।

उपाय: रोज़ाना सूर्य देव की उपासना कर प्रतिदिन सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

 

कन्या राशि 

सूर्य आपकी राशि के द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और अब राहु के साथ वे आपकी कुंडली के सप्तम भाव में युति करेंगे।

उपाय: रविवार के दिन भगवान सूर्य को समर्पित हवन व यज्ञ करना आपके लिए अनुकूल रहेगा।

 

तुला राशि 

तुला जातकों के लिए सूर्य एकादश भाव के स्वामी माने गए हैं। अब वे अपना गोचर मीन राशि में करते हुए राहु के साथ युति आपके छठे भाव में बनाएंगे।

उपाय: सप्ताह में किसी भी एक दिन वृद्धाश्रम जाकर बुजुर्गों की सेवा करें।

 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक जातकों के लिए सूर्य दशम भाव के स्वामी होते हैं। और अब उनका गोचर आपके पांचवे घर में होने से आपके पंचम भाव में ही राहु-सूर्य की युति बनेगी।

उपाय: महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।

 

धनु राशि 

सूर्य आपके नवम भाव के स्वामी हैं और वे अपना गोचर आपके चतुर्थ भाव में करते हुए ग्रहण योग का निर्माण करेंगे।

उपाय: अपनी मां को कोई भी सफ़ेद वस्तु उपहार में देना आपके लिए अनुकूल रहेगा।

 

मकर राशि 

मकर जातकों के लिए सूर्य अष्टम भाव के स्वामी माने गए हैं। अब उनका गोचर आपके तृतीय भाव में होगा, जहाँ वे वहां पहले से उपस्थित राहु के साथ युति करेंगे।

उपाय: रोज़ाना एक माला ‘ॐ मांडाय नमः’ मंत्र की जप करें।

 

कुंभ राशि

कुंभ जातकों के लिए सूर्य सप्तम भाव के स्वामी हैं। 14 मार्च को अपने गोचर के दौरान वे आपके द्वितीय भाव में राहु के साथ युति बनाएंगे।

उपाय: रोज़ाना सूर्योदय के समय 108 बार “ॐ रां राहवे नमः” मंत्र की जप करें।

 

मीन राशि

राशिचक्र की अंतिम राशि मीन के लिए सूर्य छठे भाव के स्वामी होते हैं। अब उनका गोचर इसी राशि में होने से लग्न में उपस्थित राहु के साथ उनकी युति बनेगी।

उपाय: ग्रहण योग निवारण पूजा करवाएं।

हम आशा करते हैं कि ये लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रो अरुण पंडित जी की टीम की ओर से आपको उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं। ,