नाग पंचमी विशेष : सर्पों के राजा तक्षक के जीवनदान की कहानी व कुछ उपाय

यह तो आपने कई बार सुना होगा कि नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन नागों की पूजा करने से धन-संपदा के साथ ही घर में सुख-शांति भी आती है। इस बार नाग पंचमी 9 अगस्त को पड़ रही है। 

दरअसल, सनातन धर्म में नागों को बहुत इम्पोर्टेंस दी गई है। भगवान शिव के गले में वासुकि नाग और भगवान श्रीहरि विष्णु का शेष नाग की शैय्या पर विराजमान होना इस इम्पोर्टेंस को बताने के लिए काफी है। आज के ब्लॉग में हम नागराज तक्षक और राजा जन्मेजय की उस कहानी की बात करेंगे जिससे नाग पंचमी का महत्व जुड़ा है। 

दरअसल, नागराज तक्षक ने राजा जन्मेजय के पिता राजा परीक्षित का पीछा कर उनकी हत्या कर दी। इस पर राजा जनमेजय ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए पुरे नाग वंश को खत्म करने के उद्देश्य से यज्ञ किया। इसे आस्तिक ऋषि ने रोककर राजा जनमेजय को सांपो का महत्व बताया। जिस दिन यह यज्ञ रोका गया उसी दिन से नाग पंचमी मनाई जा रही है।

नागपंचमी पर किए जाने वाले उपाय 

  • इस दिन चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को दूध से स्नान कराने के बाद उनकी पूजा करनी चाहिए और उन्हें बहते पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए। इससे कुंडली में बन रहे कालसर्प दोष के नेगेटिव इम्पैक्ट कम होते हैं। 
  • इसके साथ ही ऐसा करने से घर में सुख-शांति आती है और धन भी बरसने लगता है। इस पूजा से आपकी आर्थिक तंगी दूर होती है और आपके हेल्थ इश्यूज भी सॉल्व होते हैं। 

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सावन अमावस्या पर पितरों को कैसे करें खुश?

अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व है। यह दिन पितरों को समर्पित किया गया है। अमावस्या यानी न्यू मून का दिन। यह महीने का वह दिन होता है जब हमें चंद्रमा दिखाई तो नहीं देता लेकिन उसका हमारी लाइफ पर गजब का इम्पैक्ट पड़ता है। ये दिन एक नई शुरुआत को तो दिखाता ही है और ये चंद्रमा के नए साइकल को भी दिखाता है।

इस बार सावन की अमावस्या 4 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन सिद्धि योग, पुष्य नक्षत्र और रविवार भी पड़ रहा है। इस दिन आप भी कुछ रेमेडीज को करके अपनी लाइफ को खुशहाल बना सकते हैं। 

सावन अमावस्या पर बन रहे हैं ये योग-

  • रवि पुष्य योग: सूर्योदय यानी सुबह 5:34 बजे से दोपहर 1:26 बजे तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: सूर्योदय से दोपहर 1:26 बजे तक
  • सिद्धि योग: सुबह 10:38 बजे तक

पितरों के लिए कैसे करें तर्पण?

सावन की अमावस्या पर सुबह नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें। इसके बाद पितरों के निमित्त जल, काले ​तिल, सफेद फूल व कुशा से तर्पण करें। तर्पण करते समय कुशा घास से बनी पवित्री जरूर पहनें। इससे पितरों को तर्पण का जल मिलता है और वे खुश होते हैं और आपको आशीर्वाद देते हैं।

इस दिन करें कौनसे विशेष उपाय?

  • इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा कर सात परिक्रमा करें। इससे आपको शनि महाराज की कृपा मिलेगी और आपको अपनी मेहनत का रिजल्ट भी मिलने लगेगा। 
  • इस दिन अगर आप पेड़ लगाते हैं तो इससे आपकी जन्म कुंडली में बुध महाराज की स्थिति मजबूत होती है।
  • इसके अलावा आपको माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस दिन आटे की गोलियां बनाकर मछलियों के लिए डालनी चाहिए।
  • सावन की अमावस्या के दिन शाम को आटे से बने दीपक में बत्ती जलाकर किसी भी नदी के घाट पर रखना चाहिए। इससे आप पर मां लक्ष्मी की कृपा तो बरसेगी ही। इस साथ ही आपके पितृ यानि एनचेस्टरस भी खुश होकर आशीर्वाद देंगे।

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सावन प्रदोष विशेष: महादेव को क्यों प्रिय है यह व्रत?

आज के लेख में हम बात करेंगे एक ऐसे व्रत के बारे में जिसे करने से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती हैं। इस व्रत को रखने से बाबा भोले भंडारी की कृपा आप पर बरसने लगेगी। दरअसल, आज हम आज बात करने वाले हैं महादेव के प्रिय प्रदोष व्रत के बारे में। 

दरअसल, जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष पिया, तो वह इतना असरदार था कि महादेव का कंठ यानी गला नीला पड़ गया। इसके चलते सभी देवों और लोगों ने जल व बेल पत्री की मदद से उनके गले की जलन को कम किया। 

महादेव ने विष पीकर सारे जगत का कल्याण किया इसलिए देवता उनकी पूजा करने लगे। इससे खुश होकर महादेव ने तांडव किया और जब ये सारा इंसिडेंट हुआ उस दिन त्रयोदशी तिथि थी। इस कारण ही महादेव को प्रदोष का व्रत अतिप्रिय है।

कब है सावन का पहला प्रदोष व्रत?

  • इस बार सावन का पहला प्रदोष व्रत 1 अगस्त यानी गुरुवार को पड़ रहा है। इस कारण इसे गुरु प्रदोष कहा जाएगा। अगर आप सच्चे मन से इस व्रत को करते हैं तो आपकी मनचाही मुराद पूरी हो सकती है। 
  • इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा एकसाथ करने से आपकी मैरिज होगी और अगर मैरिड लाइफ में कोई दिक्कत आ रही है तो वह भी दूर होगी।
  • इस व्रत को करने से आपको संतान प्राप्ति हो सकती है। इस दिन आप महादेव के सामने घी का दिया जलाएं। 
  • कोर्ट केसेज या कोई भी डिस्प्यूट हो तो इस व्रत को रखने से या इस दिन महादेव पर एक लोटा जल चढ़ाने से वो सभी इश्यूज खत्म होने लगते हैं। 

सावन विशेष: शिवजी को क्या चढ़ाने से मिलता है क्या फल?  हमारे इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए दिए हुए लिंक पर click करें।

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बाबा भोले भंडारी को क्यों प्रिय है सावन का महीना?

बारिश के साथ-साथ सावन का भी आगाज हो गया है। सावन बाबा भोले भंडारी का सबसे प्रिय माह है। इस साल सावन के महीने की शुरुआत सोमवार से हुई है और यह महीना सोमवार के दिन ही खत्म भी होगा। ऐसे में इस बार का महीना बहुत खास है। 

सावन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इस महीने जो भी भक्त बाबा भोलेनाथ की पूजा करता है या उन्हें एक लोटा जल चढ़ता है उसके सारे काम बनते चले जाते हैं। क्या आप जानते हैं की महादेव को सावन मास इतना प्रिय क्यों है ?

सावन मास से जुड़ी कुछ खास बातें-

  • इसी महीने में माता पार्वती ने तप करके भगवान शिव को पति रूप में पाने का वरदान पाया था।
  • सावन  मास तब होता है जब पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र होता है। 
  • माना जाता है कि श्रवण का मतलब होता है- ‘सुनना’। इस महीने में कथा, भागवत व शिव पुराण आदि सुनने का भी बहुत महत्व है। 
  • इस महीने का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि मार्कंडेय ऋषि ने अपनी लंबी उम्र के लिए सावन में ही तप किया था।

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सावन विशेष: शिवजी को क्या चढ़ाने से मिलता है क्या फल?

सावन का महीना शुरू हो गया है। भगवान शिव को प्रिय इस महीने में भक्त उन्हें खुश करने के लिए व्रत-उपवास रखते हैं और तपस्या भी करते हैं। कुछ लोग कांवड़ लेकर भगवान शिव को चढ़ाते हैं और कुछ लोग ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए भी जाते हैं।

भगवान शंकर का एक नाम आशुतोष भी है। यानी वह जो भक्त की साधना से जल्द ही खुश हो जाएं। भगवान शिव हर भक्त की मनोकामना को पूरा करने वाले हैं।

क्या आप जानते हैं कि शिवजी को सावन में कौनसी चीज चढ़ाकर आपकी कौनसी मनोकामना पूरी हो सकती है? आज के लेख में हम इसी पर बात करेंगे। 

शहद

जो लोग नेम-फेम और ब्यूटी पाना चाहते हैं उन्हें भगवान शिव को शहद अर्पित करना चाहिए। 

गेहूं और धतूरे का फल

निःसंतान दंपति को भूतभावन भगवान शिव पर गेहूं और धतूरे का फल चढ़ाने चाहिए। इससे उन्हें संतान सुख मिलता है।

गन्ने का रस व चीनी

जो लोग अपने जीवन में प्रॉस्पेरिटी पाना चाहते हैं उन्हें शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा शिव जी को चीनी चढ़ाने से भी व्यक्ति के जीवन में लग्जरी आती है।

दूध और तिल

जिन लोगों को रोगों से मुक्ति चाहिए उन्हें भगवान शिव का दूध से अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से भी रोग मिटते हैं।

दही और घी

सावन में भगवान शिव पर घी चढ़ाने से आपका औरा अच्छा होता है। वहीं, शिवलिंग पर दही चढ़ाने से लाइफ में खुशी आती है और आप मोटिवेटेड रहते हैं। 

इत्र और सुगंधित तेल

जो लोग शिवलिंग पर इत्र चढ़ाते हैं उन्हें धर्म के रास्ते पर दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता। इसके अलावा शिवलिंग पर सुगंधित तेल चढ़ाने से लग्जरी और दौलत मिलती है।

चंदन और केसर

सावन में भगवान शिव को चंदन लगाने का विशेष महत्त्व है। इससे व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ता है। वहीं,

शिवलिंग पर केसर अर्पित करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं।

भांग और बेलपत्र 

शिवलिंग पर भांग चढ़ाने से बुराई खत्म होती हैं। वहीं, बेलपत्र चढ़ाने से लाइफ की सभी डिफकल्टीज़ खत्म होती हैं।

आंवलें का रस

भगवान शिव को आंवले का रस चढ़ाने से व्यक्ति की उम्र बढ़ती है।

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रुद्राक्ष पहनते समय किन बातों का रखें ध्यान?

वर्तमान में हर व्यक्ति अपनी लाइफ की सभी परेशानियों से छुटकारा पाना चाहता है। हर व्यक्ति चाहता है कि उस पर भगवान शिव की कृपा बरसती रहे। ऐसे में वह सबसे पहले रुद्राक्ष का सहारा ही लेता है। शिव पुराण, श्रीमद् देवी भागवत समेत अन्य ग्रंथों में रुद्राक्ष की इम्पोर्टेंस और इसे पहनने के नियम बताए गए हैं। 

रुद्राक्ष धारण करने के फायदे-

  • रुद्राक्ष को भगवान शिव का वरदान माना जाता है। रुद्राक्ष को नेगेटिव एनर्जी दूर करने और बीमारियों व हार्मोनल डिस्बैलेंस को सही करने के लिए पहना जाता रहा है। इस पहनने से हेल्थ-वेल्थ तो अच्छी होती ही है। 
  • इसके साथ ही मन शांत रहने के साथ ही बीपी भी कंट्रोल में रहता है। रुद्राक्ष पहनने से आदमी को एकाग्रता में मदद मिलती है और स्प्रिचुएल पाथ पर बढ़ने में भी फायदा होता है। इसके अलावा लाइफ में बैलेंस बनाने और कॉन्फिडेंस को बढ़ाने में भी रुद्राक्ष अहम भूमिका निभाता है।

रुद्राक्ष धारण करने के नियम-

  • वहीं, रुद्राक्ष को लेकर सोसायटी में कई तरीके की अफवाहें फैली हुई हैं। इनमें से कई अफवाहें ऐसी हैं जिनका कोई सिर-पैर नहीं है। एक ऐसी ही अफवाह है महिलाओं को रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। लेकिन ये सिर्फ अफवाह भर ही है।
  • शास्त्रों में बताया गया है कि बिना रुद्राक्ष के शिव पूजा नहीं की जा सकती।
  • शिवपुराण में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को अभिमंत्रित किए हुए रुद्राक्ष को ही पहनना चाहिए। बिना अभिमंत्रित रुद्राक्ष को धारण करना वर्जित माना गया है। 
  • इसके साथ ही रुद्राक्ष को पहनने वालों को मांस, शराब समेत अन्य तामसिक चीजों को किसी भी हाल में नहीं खाना-पीना चाहिए। 
  • इसके अलावा सोते समय, शौच जाते समय या फिजिकल रिलेशन बनाने के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए।
  • वहीं, माना जाता है कि रुद्राक्ष को कभी श्मशान घाट पर भी नहीं ले जाना चाहिए। 
  • नहाने के बाद ही रुद्राक्ष को शुद्ध करके पहनना चाहिए। इसके साथ ही रुद्राक्ष को हमेशा काले रंग के धागे में नहीं पहनना चाहिए।
  • अगर आप रुद्राक्ष की माला पहनते हैं तो उसे किसी अन्य व्यक्ति को कभी न दें। इसके साथ ही दूसरे की पहनी हुई रुद्राक्ष की माला को कभी खुद भी न पहनें। 
  • इसके अलावा रुद्राक्ष की माला को उतारकर साफ जगह पर ही रखना चाहिए।

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सावन में जपें भोले बाबा के 108 नाम, बनेंगे सारे काम

सावन का पावन महीना भगवान शिव की भक्ति में रमने का महीना है। क्या आपको पता है कि बाबा भोले की पूजा में उनके 108 नामों के जप का विशेष महत्त्व है? इन नामों के जप से व्यक्ति के मन के डर तो खत्म होते ही हैं साथ ही व्यक्ति को मनचाहा फल भी मिलता है। इसके साथ ही इन नामों के जप से व्यक्ति के बिगड़े हुए सभी काम भी बनने लगते हैं। आइए शिव जी के 108 नाम के बारे में जान लेते हैं।

शिव जी के 108 नाम 

ॐ शिवाय नमः।

ॐ महेश्वराय नमः।

ॐ शम्भवे नमः।

ॐ पिनाकिने नमः।

ॐ शशिशेखराय नमः।

ॐ वामदेवाय नमः।

ॐ विरूपाक्षाय नमः।

ॐ कपर्दिने नमः।

ॐ नीललोहिताय नमः।

ॐ शङ्कराय नमः।

ॐ शूलपाणिने नमः।

ॐ खट्वाङ्गिने नमः।

ॐ विष्णुवल्लभाय नमः।

ॐ शिपिविष्टाय नमः।

ॐ अम्बिकानाथाय नमः।

ॐ श्रीकण्ठाय नमः।

ॐ भक्तवत्सलाय नमः।

ॐ भवाय नमः।

ॐ शर्वाय नमः।

ॐ त्रिलोकेशाय नमः।

ॐ शितिकण्ठाय नमः।

ॐ शिवाप्रियाय नमः।

ॐ उग्राय नमः।

ॐ कपालिने नमः।

ॐ कामारये नमः।

ॐ अन्धकासुरसूदनाय नमः।

ॐ गङ्गाधराय नमः।

ॐ ललाटाक्षाय नमः।

ॐ कालकालाय नमः।

ॐ कृपानिधये नमः।

ॐ भीमाय नमः।

ॐ परशुहस्ताय नमः।

ॐ मृगपाणये नमः।

ॐ जटाधराय नमः।

ॐ कैलासवासिने नमः।

ॐ कवचिने नमः।

ॐ कठोराय नमः।

ॐ त्रिपुरान्तकाय नमः।

ॐ वृषाङ्काय नमः।

ॐ वृषभारूढाय नमः।

ॐ भस्मोद्धूलितविग्रहाय नमः।

ॐ सामप्रियाय नमः।

ॐ स्वरमयाय नमः।

ॐ त्रयीमूर्तये नमः।

ॐ अनिश्वराय नम:।

ॐ सर्वज्ञाय नमः।

ॐ परमात्मने नमः।

ॐ सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः।

ॐ हविषे नमः।

ॐ यज्ञमयाय नमः।

ॐ सोमाय नमः।

ॐ पञ्चवक्त्राय नमः।

ॐ सदाशिवाय नमः।

ॐ विश्वेश्वराय नमः।

ॐ वीरभद्राय नमः।

ॐ गणनाथाय नमः।

ॐ प्रजापतये नमः।

ॐ हिरण्यरेतसे नमः।

ॐ दुर्धर्षाय नमः।

ॐ गिरीशाय नमः।

ॐ गिरिशाय नमः।

ॐ अनघाय नमः।

ॐ भुजङ्गभूषणाय नमः।

ॐ भर्गाय नमः।

ॐ गिरिधन्विने नमः।

ॐ गिरिप्रियाय नमः।

ॐ कृत्तिवाससे नमः।

ॐ पुरारातये नमः।

ॐ भगवते नमः।

ॐ प्रमथाधिपाय नमः।

ॐ मृत्युञ्जयाय नमः।

ॐ सूक्ष्मतनवे नमः।

ॐ जगद्व्यापिने नमः।

ॐ जगद्गुरुवे नमः।

ॐ व्योमकेशाय नमः।

ॐ महासेनजनकाय नमः।

ॐ चारुविक्रमाय नमः।

ॐ रुद्राय नमः।

ॐ भूतपतये नमः।

ॐ स्थाणवे नमः।

ॐ अहिर्बुध्न्याय नमः।

ॐ दिगम्बराय नमः।

ॐ अष्टमूर्तये नमः।

ॐ अनेकात्मने नमः।

ॐ सात्त्विकाय नमः।

ॐ शुद्धविग्रहाय नमः।

ॐ शाश्वताय नमः।

ॐ खण्डपरशवे नमः।

ॐ अजाय नमः।

ॐ पाशविमोचकाय नमः।

ॐ मृडाय नमः।

ॐ पशुपतये नमः।

ॐ देवाय नमः।

ॐ महादेवाय नमः।

ॐ अव्ययाय नमः।

ॐ हरये नमः।

ॐ भगनेत्रभिदे नमः।

ॐ अव्यक्ताय नमः।

ॐ दक्षाध्वरहराय नमः।

ॐ हराय नमः।

ॐ पूषदन्तभिदे नमः।

ॐ अव्यग्राय नमः।

ॐ सहस्राक्षाय नमः।

ॐ सहस्रपदे नमः।

ॐ अपवर्गप्रदाय नमः।

ॐ अनन्ताय नमः।

ॐ तारकाय नमः।

ॐ परमेश्वराय नमः।

 

तो दोस्तों, ये थे भगवान शिव के 108 नाम, जिनका जप कर आप अपनी तकदीर को बना सकते हैं। 

 

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सावन विशेष: शिवलिंग पर कौनसा फूल चढ़ाने का है क्या फल?

सावन का महीना भोले के भक्तों के लिए सबसे खास होता है। इस समय भक्त शिव जी को रिझाने के लिए निर्मल मन से उनकी पूजा करते हैं। सावन में आप भगवान शिव की कृपा पाने और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कई उपाय कर रहे होंगे।

क्या आपको पता है कि शिवलिंग पर कौनसा फूल चढ़ाकर आप अपनी किस्मत बदल सकते हैं। सावन में भगवान भोले की कृपा पाने के लिए आपको अलग-अलग तरह के फूल शिवलिंग पर चढ़ाने चाहिए। आप शिवजी को धतूरे, बेला, हरसिंगार, शमी और आंक के फूल चढ़ा सकते हैं। 

किस फूल को चढ़ाने का क्या है फल?

  • भगवान शिव को शमी के फूल चढ़ाने से शनि महाराज के नेगेटिव इम्पैक्ट कम होते हैं। 
  • बाबा भोले को बेला का फूल चढ़ाने से वे व्यक्ति की मनचाही मुराद पूरी करते हैं। 
  • भगवान शिव को आंक का फूल चढ़ाने से मोक्ष मिलता है।
  • सावन में भगवान शिव को धतूरे का फूल या फल चढ़ाने से गरीबी खत्म होती है और व्यक्ति फाइनेंशियली ग्रो करता है।  
  • सावन में बाबा को हरसिंगार यानी पारिजात के फूल चढ़ाने से मैरिड कपल के रिलेशनशिप में नजदीकियां आती हैं और दोनों के बीच अच्छा तालमेल बनता है। 

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सावन विशेष: शिवलिंग की परिक्रमा में बरतें क्या सावधानियां?

सावन का महीना शुरू होते ही हर ओर माहौल शिवमय हो चुका है। हर कोई शिवजी की भक्ति में मगन है और सभी बाबा को रिझाने में जुटे हुए हैं। शिव भगवान अपने भक्तों से जल्दी खुश हो जाते हैं।

वे अपने भक्तों की थोड़ी-सी सेवा और भक्ति से खुश हो जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है उनकी पूजा से जुड़े कुछ नियम भी हैं? इन नियमों में से ही एक है शिवलिंग की परिक्रमा करने के नियम।

माना जाता है कि मूर्ति की परिक्रमा से व्यक्ति के थॉट्स पॉजिटिव होते हैं और नेगेटिविटी खत्म होती है। इसके साथ ही परिक्रमा करने से पुण्य भी बढ़ता है। आपको हम आज के लेख में बताएंगे कि शिवलिंग की परिक्रमा करने का विशेष नियम क्या है?

शिवलिंग की परिक्रमा के नियम- 

दरअसल, शिवलिंग की आधी परिक्रमा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि शिवलिंग की जलाधारी को नहीं लांघना चाहिए, यानी शिव लिंग की परिक्रमा को जलाधारी तक पहुंचने पर ही पूरा मान लिया जाता है। 

शिवलिंग की परिक्रमा राइट यानी दाहिने हाथ की ओर से शुरू करनी चाहिए। 

परिक्रमा करते समय आपको शिवजी से प्रार्थना करनी चाहिए कि मेरे द्वारा जाने-अनजाने में और पूर्वजन्मों में भी भी किए गए सभी पाप इस प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाएं। हे प्रभु! मुझे अच्छी बुद्धि प्रदान करें और मेरे रोग-शोक का नाश करें।

 

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सावन विशेष: शिवलिंग पर भूलकर भी न चढ़ाएं ये चीजें, हो जाएगा अनर्थ!

कहा जाता है कि देवों के देव महादेव अपने भक्तों की आवाज सुनकर उनके सारे दुःख हर लेते हैं।  अगर भक्त मन से शिवजी की भक्ति कर ले तो वे उस पर सब कुछ लुटाने के लिए तैयार रहते हैं। हालांकि, भगवान शिव को पूजा के दौरान आपको कुछ बातों का ख्याल जरूर रखना चाहिए। वरना भगवान शिव आपसे नाराज हो सकते हैं। आज आपको बताते हैं इन चीजों के बारे में जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाने से आपके बनते काम भी बिगड़ सकते हैं।

केतकी का फूल

शिवजी की पूजा में केतकी के फूल को नहीं चढ़ाया जाता है। शिवपुराण में जिक्र आता है कि केतकी के फूल ने ब्रह्माजी के कहने पर झूठ बोला था जिसके बाद भगवान शिव ने उसे श्राप दे दिया था। 

शंख का जल

भोले बाबा का शंख के जल से अभिषेक नहीं किया जाता है। दरअसल, भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध किया था जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया और उस भस्म से शंख उत्पन्न हुआ। इसलिए शिवजी को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है।

रोली व सिंदूर

इसके अलावा भोले बाबा को रोली और सिंदूर भी नहीं चढ़ाया जाता है। 

टूटे हुए चावल

चावल भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं लेकिन उन्हें टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाने चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव रुष्ट हो जाते हैं। भोले बाबा की पूजा में हमेशा अक्षत यानी बिना टूटे चावल ही यूज करने चाहिए।

 

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