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सावन विशेष: शिवलिंग की परिक्रमा में बरतें क्या सावधानियां?

सावन का महीना शुरू होते ही हर ओर माहौल शिवमय हो चुका है। हर कोई शिवजी की भक्ति में मगन है और सभी बाबा को रिझाने में जुटे हुए हैं। शिव भगवान अपने भक्तों से जल्दी खुश हो जाते हैं।

वे अपने भक्तों की थोड़ी-सी सेवा और भक्ति से खुश हो जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है उनकी पूजा से जुड़े कुछ नियम भी हैं? इन नियमों में से ही एक है शिवलिंग की परिक्रमा करने के नियम।

माना जाता है कि मूर्ति की परिक्रमा से व्यक्ति के थॉट्स पॉजिटिव होते हैं और नेगेटिविटी खत्म होती है। इसके साथ ही परिक्रमा करने से पुण्य भी बढ़ता है। आपको हम आज के लेख में बताएंगे कि शिवलिंग की परिक्रमा करने का विशेष नियम क्या है?

शिवलिंग की परिक्रमा के नियम- 

दरअसल, शिवलिंग की आधी परिक्रमा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि शिवलिंग की जलाधारी को नहीं लांघना चाहिए, यानी शिव लिंग की परिक्रमा को जलाधारी तक पहुंचने पर ही पूरा मान लिया जाता है। 

शिवलिंग की परिक्रमा राइट यानी दाहिने हाथ की ओर से शुरू करनी चाहिए। 

परिक्रमा करते समय आपको शिवजी से प्रार्थना करनी चाहिए कि मेरे द्वारा जाने-अनजाने में और पूर्वजन्मों में भी भी किए गए सभी पाप इस प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाएं। हे प्रभु! मुझे अच्छी बुद्धि प्रदान करें और मेरे रोग-शोक का नाश करें।

 

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सावन विशेष: शिवलिंग पर भूलकर भी न चढ़ाएं ये चीजें, हो जाएगा अनर्थ!

कहा जाता है कि देवों के देव महादेव अपने भक्तों की आवाज सुनकर उनके सारे दुःख हर लेते हैं।  अगर भक्त मन से शिवजी की भक्ति कर ले तो वे उस पर सब कुछ लुटाने के लिए तैयार रहते हैं। हालांकि, भगवान शिव को पूजा के दौरान आपको कुछ बातों का ख्याल जरूर रखना चाहिए। वरना भगवान शिव आपसे नाराज हो सकते हैं। आज आपको बताते हैं इन चीजों के बारे में जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाने से आपके बनते काम भी बिगड़ सकते हैं।

केतकी का फूल

शिवजी की पूजा में केतकी के फूल को नहीं चढ़ाया जाता है। शिवपुराण में जिक्र आता है कि केतकी के फूल ने ब्रह्माजी के कहने पर झूठ बोला था जिसके बाद भगवान शिव ने उसे श्राप दे दिया था। 

शंख का जल

भोले बाबा का शंख के जल से अभिषेक नहीं किया जाता है। दरअसल, भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध किया था जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया और उस भस्म से शंख उत्पन्न हुआ। इसलिए शिवजी को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है।

रोली व सिंदूर

इसके अलावा भोले बाबा को रोली और सिंदूर भी नहीं चढ़ाया जाता है। 

टूटे हुए चावल

चावल भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं लेकिन उन्हें टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाने चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव रुष्ट हो जाते हैं। भोले बाबा की पूजा में हमेशा अक्षत यानी बिना टूटे चावल ही यूज करने चाहिए।

 

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इस बार सर्वार्थ सिद्धि व आयुष्मान योग से शुरू होगा श्रावण मास

क्या आपको पता है कि इस बार सावन का महीना कई मायनों में खास रहने वाला है। दरअसल, इस बार सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और इसके पहले ही दिन सोमवार पड़ रहा है। इस बार सावन के महीने की शुरुआत दो अच्छे योगों- सर्वार्थ सिद्धि व आयुष्मान योग के साथ हो रही है। इसके साथ ही इस बार सावन में 5 सोमवार पड़ रहे हैं जिसे भी शुभ संकेत माना जाता है।

सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व

सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्त्व है। माना जाता है कि सावन में जो भी व्यक्ति भगवान भोलेनाथ की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करता है उसे मनचाहा वरदान मिलता है। इसके अलावा सावन के सोमवार का व्रत रखने से कुंडली में चंद्रमा स्ट्रांग होता है। इसके अलावा राहु-केतु के नेगेटिव इम्पैक्ट भी दूर होते हैं। इस समय दूध दान करने का विशेष महत्त्व बताया गया है। 

पूजा विधि 

सावन में भगवान शिव का दूध, दही, शक्कर, गाय के घी, शहद, पंचामृत और जल से अभिषेक करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें बिल्व पत्र, आक का फूल, धतूरा, धतूरे का फूल, पान-सुपारी, सफेद चंदन, लाल चंदन, अक्षत, कपूर, इत्र और सफेद वस्त्र अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा शिव स्तुति, ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए। इस समय भगवान शिव को भोग लगाने के बाद कपूर की आरती करके ही भोजन करना चाहिए।

सावन सोमवार तिथि 

सावन का पहला सोमवार व्रत – 22 जुलाई, 2024

सावन का दूसरा सोमवार व्रत – 29 जुलाई, 2024

सावन का तीसरा सोमवार व्रत – 5 अगस्त, 2024

सावन का चौथा सोमवार व्रत – 12 अगस्त, 2024

सावन का पांचवां सोमवार व्रत – 19 अगस्त, 2024

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