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क्या आपको सपने में लगातार दिख रहे हैं मरे लोग? जानें संकेत!

आज के लेख में बात करते हैं सपनों की दुनिया की। हम सभी को सपनों की दुनिया काफी रोमांचित करती है। स्वप्न शास्त्र के नजरिए से देखें तो हमारे हर सपने में कुछ न कुछ अर्थ छिपा रहता है। सपनों से हमें भविष्य की घटनाओं के बारे में कई संकेत मिलते हैं।

आपने नोटिस किया होगा कि अक्सर हमें सपने में मृत लोग नजर आते हैं। आज के लेख में हम जानेंगे कि सपने में मरे हुए लोगों के दिखने से हमें क्या संकेत मिलते हैं।

आइए जानते हैं इन सपनों का मतलब- 

  • अगर किसी व्यक्ति की मौत बीमारी के चलते होती है और वे आपको सपने में स्वस्थ दिखते हैं तो यह आपके जीवन में खुशहाली आने का संकेत देता है। 
  • वहीं, मृत शख्स का सपने में आकर आपसे कुछ मांगना ठीक नहीं माना जाता है। ऐसे में आपको मृत शख्स की पसंदीदा चीजों को दान करना चाहिए। 
  • इसके साथ ही अगर आपको कोई मृत व्यक्ति बिना कपड़ों या जूते-चप्पल के दिखे तो भी आपको किसी जरूरतमंद को इन चीजों का दान करना चाहिए। 
  • अगर सपने में आपको मृत व्यक्ति कोई सलाह दे रहा हो तो उसे आपको जरूर मनाना चाहिए। इससे आपकी बाधाएं टलती हैं।
  • यदि आपसे सपने में कोई मृत व्यक्ति शांति से बात कर रहा है तो इस सपने को शुभ माना जाता है। इससे आपके रुके हुए काम पूरे होने और अच्छे दिनों की शुरुआत होने का संकेत मिलता है।
  • सपने में यदि पूर्वज आपको आशीर्वाद देते दिखें और कुछ भी न कहें तो इसे आपको अच्छा संकेत समझना चाहिए। इसका मतलब है कि आपके बिगड़े काम बनेंगे।
  • सपने में यदि आपको कोई मृत व्यक्ति कुछ देता है तो इसे शुभ मानना चाहिए। वहीं, अगर सपने में कोई शख्स आपसे कुछ लेता दिखे तो इसे अशुभ माना जाता है। 
  • इसके अलावा अगर आपके परिजन बार-बार आपके सपने में आते हैं तो यह उनकी आत्मा भटकने की ओर इशारा करता है। ऐसे में आपको उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध-तर्पण आदि करना चाहिए। 
    तो ये थे मृतकों के आपके सपनों में आने से छिपे कुछ संकेत। 

    हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। Astro Arun Pandit जी की टीम की ओर से  आपको शुभकामनाएं। 

फेंगशुई – इन वस्तुओं से करें घर का वास्तु ठीक

कुआ नंबर और फेंगशुई आइटम्स

राधे-राधे दोस्तों,

आज के लेख में हम बात करेंगे कुआ नंबर के बारे में। कुआ नंबर एक ऐसा नंबर है जो आपकी लाइफ में जबरदस्त चेंज ला सकता है। इसके साथ ही किस दिशा में क्या करने से आपको सफलता मिलेगी। आजकल हर इंसान किसी न किसी पॉइंट पर अपनी लाइफ में स्ट्रगल कर रहा है। आमतौर पर देखा जाए तो इतना टाइम किसी के पास नहीं होता कि अगर कुंडली में आपका कोई प्लेनेट या न्यूमेरोलॉजी में कोई नंबर खराब है तो उसके लिए आप रेमेडी लंबे समय तक कर पाए। अगर किसी ने बताया तो जोश में आकर आप उसको एक दो वीक करते हैं लेकिन उसके बाद वह छूट जाता है।  हम आपकी प्रॉब्लम का सलूशन लेकर आए हैं, इस उपाय को आपको सिर्फ एक बार करना है जिसके बाद आप हमेशा के लिए टेंशन फ्री हो जाएंगे। इसके बाद वह उपाय आपकी लाइफ में जो चेंज लाएगा उसे देखकर आप खुद सरप्राइज हो जाएंगे। आपको खुद विश्वास नहीं आएगा ये सब हुआ कैसे? चलिए आपका ज्यादा समय न लेते हुए सीधे टॉपिक पर आते हैं। 

कुआ नंबर 

दोस्तों, अब बात करते है कुआ नंबर की। कुआ नंबर फेंगशुई का एक एंजेल नंबर है। यह चायनीज विद्या का एक पार्ट है। आपने न्यूमेरोलॉजी में कई नंबर सुने होंगे जैसे कि ड्राइवर नंबर, कंडक्टर नंबर, नेम नंबर आदि लेकिन यह सबसे डिफरेंट होता है। ये हमें हमारे लकी डायरेक्शन को बताता है जिसमें हमें काम करने से सक्सेस मिलती है। ये हमे हमारे लकी कलर भी बताता है, जिन्हें यूज करके हम लाइफ में खुशियां ला सकते हैं। 

अब आप भी सोच रहे होंगे कि कुआ नंबर को कैसे निकालते हैं। कुआ नंबर निकालने के लिए आपको आपकी डेट ऑफ बर्थ चाहिए होगी। यहां एक बात का ध्यान रखना है कि कुआ नंबर लड़के और लड़की का अलग-अलग तरह से निकलता है। चलिए एक उदाहरण से इसे समझते हैं। 

male                                                                                             female 

28 -11 -1994                                                                               28 -11 -1994 

 

यहां हमें न तो डेट का यूज़ करना है और न ही मंथ का। हमे सिर्फ ईयर का यूज़ ही करना है। तो हम ईयर ले लेंगे। 

 

male                                                                  female 

1994                                                                    1994 

 

इनको अलग अलग करके ऐड कर लेंगे। 

 

1 +9 +9 +4                                                                1 + 9 +9 +4 

=23                                                                               =23 

 

सिंगल नंबर में लाने के लिए ऐड करेंगे। 

 

2 + 3 = 5                                                                           2 + 3 = 5 

 

पुरुषों के लिए देखें तो अब जो भी नंबर आया है उसे 11 में से घटाएंगे। वहीं, फीमेल के लिए 4 नंबर को ऐड करेंगे। 

 

=11 – 5                                                                           =  4 +5 

= 6 – ये है आपका कुआ नंबर।                                             = 9 — ये है आपका कुआ नंबर। 

आपको एक चीज़ का और विशेष तौर पर ध्यान रखना है की जब भी आपका कुआ नंबर 5 आएगा तो उसे 5 कैलकुलेट नहीं करेंगे। मेल्स में 5 कुआ नंबर को 2 माना जाता है। वहीं फीमेल्स में 5 कुआ नंबर को 8 माना जाता है। बाकि सभी नंबर्स एज इट इज रहते हैं। उनमे कोई चेंज नहीं होता है। 

दोस्तों, अब आप भी कुआ नंबर कैलकुलेट करना सीख गए होंगे। अब हम बात करते है आपकी लकी डायरेक्शन की।

उदाहरण-

आपका कुआ नंबर 8 है और आपकी लव व करियर लाइफ काफी खराब चल रही है। तो आप अपनी लव लाइफ को ठीक करने के लिए नॉर्थ साइड में फेंगशुई आइटम जैसे की दो बत्तखों का जोड़ा  रख सकते हैं और करियर ठीक करने के लिए साउथ साइड में फेंगशुई आइटम जैसे की बैंबू ट्री लगा सकते हैं। अगर आप ऑफिस में बैठते हैं तो अपना मुंह साउथ डायरेक्शन में करके बैठें और अपनी लाइफ में चेंज फील कीजिए।

अब हम डिटेल में बात करेंगे कुछ फेंगशुई डेकोरेटिव आइटम्स के बारे में, जिन्हें  आप अपने घर में राइट डायरेक्शन में रखकर अपने घर में पॉजिटिविटी ला सकते हैं।

1. लकी बैंबू:-

यह पौधा पॉजिटिव एनर्जी को अट्रैक्ट करता है और घर में हैप्पीनेस और प्रोस्पेरिटी लाता है। बैंबू का पौधा तेजी से बढ़ता है। इसे पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए क्योंकि ये दिशाएं फैमिली और मनी से जुड़ी होती हैं। लकी बैंबू को अपने घर में रखकर आप पॉजिटिव एनर्जी और प्रोस्पेरिटी बढ़ा सकते हैं।

2. फेंगशुई कछुआ:

फेंगशुई कछुआ लंबी उम्र का प्रतीक है। यह लाइफ में धीरे-धीरे लेकिन स्टेबिलिटी से आगे बढ़ने को रिफ्लेक्ट करता है। फेंगशुई कछुआ रेजिन, कांच, धातु, मिट्टी, लकड़ी और क्रिस्टल से बना हुआ होता है। इसे अपने करियर क्षेत्र या उत्तर दिशा में रखना चाहिए। यह आपके करियर में स्टेबिलिटी और सफलता पाने में मदद कर सकता है। 

3. इविल आई: 

इविल आई आपको बुरी नज़र और नेगेटिव एनर्जी से बचाता है। इसे अपने मेन गेट पर लटकाना चाहिए ताकि यह आपके घर में एंटर  करने वाली किसी भी नेगेटिव एनर्जी को रोक सके। इविल आई आपके घर और परिवार को हानिकारक ताकतों से बचाने में मदद करता है, जिससे आप शांति और सुरक्षा की भावना के साथ रह सकते हैं।

4. तीन पैर वाला मेंढक: 

तीन पैर वाले मेंढक को हम मनी फ्रॉग भी कहते हैं। यह मनी एंड प्रोस्पेरिटी को अट्रैक्ट करने वाला एक शक्तिशाली फेंगशुई प्रतीक है। तीन पैर वाले मेंढक को धन की देवी के साथ जोड़ा जाता है और माना जाता है कि यह आर्थिक सफलता और खुशहाली को बढ़ावा देता है। इसे अपने धन क्षेत्र या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।

5. लाफिंग बुद्धा: 

यह मूर्ति पॉजिटिव एनर्जी, हैप्पीनेस और प्रोस्पेरिटी का साइन है। हंसता हुआ बुद्धा दुनिया भर में खुशी फैलता है। इसे पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। यह आपके घर में हंसी-खुशी का माहौल बना कर रखता है। यह सफलता भी अट्रैक्ट करता है। यह सबसे फेमस फेंगशुई आइटम है।

6. विंड चाइम: 

विंड चाइम पॉजिटिव एनर्जी को अट्रैक्ट करता है और नेगेटिविटी को दूर करता है। इसकी प्लीसैंट साउंड आपके घर को शांत बनाती है। इसे दक्षिण-पश्चिम दिशा में लटकाना चाहिए। यह दिशा प्रेम और रिश्तों से जुड़ी होती है। विंड चाइम की मधुर झंकार एनवायरमेंट को फ्रेश कर देती है। इससे आपके रिलेशनशिप और लव लाइफ में सुधार होता है।

7. क्रिस्टल कमल: 

कमल कीचड़ से निकलकर खिलता है, ठीक उसी तरह यह हमें सेल्फ इम्प्रूवमेंट के लिए प्रेरित करता है। इसे मैडिटेशन रूम या उत्तर-पूर्व में रखा जाना चाहिए क्योंकि यह दिशा स्प्रिचुएलिटी और नॉलेज से जुड़ी होती है। इसे प्यार का प्रतीक भी माना जाता है। इसको आप जोड़े में अपने बैडरूम में रखते हैं तो आपको रोमांटिक पलों को अनुभव करने का मौका मिलेगा।

8. ड्रीम कैचर: 

ड्रीम कैचर, बुरे सपनों को दूर करता है और अच्छी नींद लाता है। इसे अपने बेडरूम में खिड़की के पास लटकाना चाहिए। यह सुखद और आरामदायक नींद को बढ़ावा देता है और बुरे सपनों या डरावनी सोच से बचाता है।

9. अबेकस: 

अबेकस पुराने ज़माने का कैलकुलेटर माना जाता है। यह दिमाग को तेज करने वाला मैथ्स का एक इक्विपमेंट है जो फोकस और करियर में स्टेबिलिटी को बढ़ावा देता है। इसे अपने कार्यस्थल या दक्षिण-पश्चिम में रखना चाहिए। साथ ही यह आपके बिज़नेस में भी सफलता दिलाता है।

10. क्रिस्टल ग्लोब: 

यह फेंगशुई का एक डेकोरेटिव आइटम है, जो पॉजिटिव एनर्जी को अट्रैक्ट करता है। यह नॉलेज और विजडम को बढ़ावा देता है। क्रिस्टल ग्लोब ट्रांसपेरेन्सी का प्रतीक है। इसे अपने स्टडी रूम या उत्तर-पूर्व में रखना चाहिए क्योंकि यह दिशा ज्ञान और बुद्धिमत्ता से संबंधित है।

11. ड्रैगन:

ड्रैगन शक्ति, साहस, सौभाग्य और सफलता का प्रतीक है। यह चीनी संस्कृति में एक बहुत ही शुभ प्रतीक माना जाता है। इसे अपने करियर क्षेत्र या उत्तर में रखना चाहिए। ड्रैगन का मुँह अपने कमरे की अंदर की तरफ करके रखना चाहिए। अगर इसका मुंह बाहर की तरफ होगा तो यह गलत इफ़ेक्ट भी दे सकता है।

12. उल्लू: 

उल्लू बुद्धि, ज्ञान और प्रज्ञा का प्रतीक है। यह अंतर्दृष्टि और आत्म-जागरूकता को भी दर्शाता है। इसे अपने अध्ययन कक्ष या उत्तर-पूर्व में रखना चाहिए। उल्लू को अपने घर के बाहर भी रख सकते है। यह ध्यान रखें की उल्लू का मुंह बाहर की तरफ होना चाहिए। उल्लू हमेशा गोल्डन या सोने जैसा दिखने वाला होना चाहिए।

13. फेंगशुई सिक्के: 

यह धन और समृद्धि को आकर्षित करने वाले शक्तिशाली प्रतीक हैं। चीनी परंपरा में, सिक्कों को सौभाग्य और वित्तीय सफलता से जोड़ा जाता है। इन्हें अपने धन क्षेत्र या दक्षिण-पूर्व दिशा में एक लाल रंग के कटोरे में रखना चाहिए। फेंगशुई के सिद्धांतों के अनुसार, लाल रंग उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक है और यह धन को आकर्षित करने में मदद करता है। 

दोस्तों,इन फेंगशुई डेकोरेटिव आइटम्स को अपने घर में रख कर, आप अपने घर में हो रहे डिस्टर्बेंस को ठीक कर सकते हैं । अधिक जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर जाकर वीडियो देख सकते हैं। 

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शुक्र का कर्क में हुआ गोचर, किन राशि वालों का बदलेगा भाग्य?

शुक्र ग्रह को लग्जरी, प्रॉपर्टी और धन-संपदा देने वाला माना जाता है। शुक्र महाराज ने 7 जुलाई को उदित अवस्था में आने बाद मिथुन राशि से चंद्रमा की राशि, कर्क में गोचर कर लिया है। शुक्र महाराज करीब 25 दिन तक कर्क राशि में ही रहेंगे। शुक्र ग्रह के इस ट्रांजिट का कुछ राशियों पर काफी पॉजिटिव इम्पैक्ट पड़ने वाला है। आज के लेख में हम उन 5 राशियों के बारे में ही बात करेंगे जिनके सितारे इस ट्रांजिट से चमक सकते हैं और किस्मत बदल सकती है। 

मेष राशि

शुक्र महाराज के इस ट्रांजिट से मेष राशि वालों को करियर में सक्सेस मिलेगी। इसके अलावा उन्हें करियर में नए मौके भी मिलेंगे। शुक्र महाराज के इस गोचर से मेष राशि वालों का पारिवारिक जीवन भी खुशनुमा होता दिख रहा है। 

मिथुन राशि

इस ट्रांजिट से मिथुन राशि वालों को अचानक धन लाभ होने के योग बन सकते हैं। इस समय आपकी फाइनेंशियल कंडीशन सुधरेगी और अटके हुए काम भी पूरे होंगे। इस समय आपके बिहेवियर में भी पॉजिटिव चेंज देखने को मिलेगा।

कर्क राशि

शुक्र महाराज का कर्क में गोचर करना इस राशि वालों के लिए भी अच्छा संकेत है। इस दौरान आपकी पर्सनैलिटी निखरेगी। आपकी इनकम के नए रास्ते बनेंगे। इसके अलावा अनमैरिड लोगों को शादी के प्रपोजल मिलते हुए भी दिख रहे हैं।

सिंह राशि

इस समय सिंह राशि के लोगों को हर एरिया में सक्सेस मिलेगी। इस समय आपका खर्चा पॉजिटिव कामों में होगा और आप प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं। इस दौरान आप लग्जरियस लाइफ का आनंद लेंगे। 

तुला राशि

इस दौरान तुला राशि वालों को बिजनेस में अच्छा मुनाफा होगा। नौकरी-पेशा लोगों को प्रमोशन और इंक्रीमेंट मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही सोसायटी में आपकी इज्जत भी बढ़ेगी।

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हाथों की लकीरों से जाने आपको घेर सकती हैं कौन-सी बीमारियां?

ये तो आप जानते ही हैं कि किसी का हाथ देखकर उसके पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर को प्रेडिक्ट किया जा सकता है। क्या आपको पता है कि आपके हाथ की रेखाएं, पर्वत और चिह्न भी आपके स्वास्थ्य के बारे में कई जानकारियां देते हैं। आज हम बात करेंगे हाथ पर दिखने वाले ऐसे ही चिह्नों की-

  1. हृदय रेखा पर काला तिल या द्वीप, शनि पर्वत के नीचे मस्तिष्क रेखा का पीला पड़ना और आयु रेखा के पास मंगल क्षेत्र पर काले तिल का होना व्यक्ति के जीवन में  अचानक बेहोशी और हृदयाघात आने का संकेत देता है। 
  2. हाथ और नाखून पीले पड़ना, नाखूनों पर धब्बे दिखना और बुध रेखा कटी-फटी होना आंतों से जुड़े रोग की ओर इशारा करते हैं। 
  3. हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, शनि पर्वत के नीचे द्वीप या आइलैंड की आकृति बनने से व्यक्ति को रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई बीमारी हो सकती है।
  4. शनि क्षेत्र उभरा हुआ और अधिक रेखाओं से भरा हो, शनि रेखा लहरदार और लंबी होकर उंगलियों के बीच का हिस्सा भी लंबा हो तो दांत से जुड़े रोग होने के आसार रहते हैं। 
  5. मस्तिष्क रेखा पर मंगल पर्वत के पास सफेद दाग होने और दोनों हाथों में हृदय रेखा का टूटा होना किडनी के रोग की और इशारा करता है।
  6. मस्तिष्क रेखा पर शनि क्षेत्र के निचले हिस्से पर जंजीर जैसा निशान होने से व्यक्ति को फेफड़े और गले के रोग होने की आशंका रहती है। 
  7. इसके अलावा चंद्र पर्वत उन्नत हो तो एसिडिटी से जुड़ा रोग हो सकता है।
  8. यदि व्यक्ति के नाखून बांसुरी के आकार के होते हैं और हथेली की त्वचा कोमल हो तो उसे त्वचा रोग हो सकता है। 
  9. यदि व्यक्ति के गुरु पर्वत पर तिल का चिह्न होता है तो उसे लिवर से जुड़े रोग हो सकते हैं।
  10. अगर हाथों का बीच का हिस्सा छोटा हो, स्वास्थ्य रेखा बिगड़ी हो, बुध रेखा मस्तिष्क रेखा से मिले और शुक्र से बारीक रेखा निकलकर आयु रेखा को पार करके मंगल क्षेत्र पर जाएं तो व्यक्ति को अस्थमा हो सकता है। श्वांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है।
  11. अगर उंगलियां टेढ़ी व नुकीली हों और उनके नीचे के पर्वत दबे, नख यानी नाखून का रंग लाल हो या उन पर छोटे अर्ध चंद्र का चिह्न हो तो उसे मिर्गी रोग होने की आशंका रहती है।

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मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय

हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। मां लक्ष्मी अगर आपसे खुश हो गईं तो आपको मालामाल कर देंगी और अगर रूठ गईं तो आपको पैसों की कमी होते भी देर नहीं लगती। आपने देखा होगा कि कभी आपके पास बहुत पैसा होता है और कभी आप कंगाल होते हैं, हो सकता है रुपयों से संबंधित कोई डील कभी अटकी हो या आप अचानक लोन व कर्जे के बोझ तले दबते चले गए हों। ऐसे में अगर आपको भी रुपयों से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो आपको करने चाहिए ये उपाय… 

 उपाय

  •  मां लक्ष्मी को कमल का फूल काफी प्रिय है। ऐसे में आपको शुक्रवार को मां लक्ष्मी के मंदिर जाकर  उन्हें कमल का फूल चढ़ाना चाहिए। 
  • मां लक्ष्मी को दक्षिणवर्ती शंख अति प्रिय है। आपको अपने घर में उसे रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए। 
  • इसके साथ ही आप मां लक्ष्मी को केले, मखाने की खीर, गन्ने, अनार और पान का भोग लगाकर भी मना सकते हैं। 
  • इसके अलावा आपको अपनी तिजोरी में हमेशा लाल कपड़े में कौड़ी, कमलगट्टा, पीले चावल और चांदी के सिक्के को बांधकर रखना चाहिए। 
  • आप मां लक्ष्मी को उनके प्रिय पारिजात यानी हरसिंगार के फूल चढ़ाकर भी खुश कर सकते हैं। इसके अलावा आप हरसिंगार का पौधा अपने घर के बाहर लगाकर भी माता को खुश कर सकते हैं। 
  • इसके साथ ही शुक्रवार को लाल गुलाब और गुड़हल अर्पित किए जाने से भी मां लक्ष्मी धन-दौलत देती हैं। 
  • अगर आप चाहते हैं कि आप पर मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बरसती रहे तो आपको महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। आपको अपने घर की महिलाओं की इच्छाएं पूरी करनी चाहिए। 
  • अगर आप नियमित रूप से तुलसी का पूजन करते हैं तो भी मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा आप पर बनी रहती है। 
  • अगर आप अपने घर के बाहर बिल्व का पौधा लगाते हैं तो भी आप पर मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। 

दोस्तों, तो ये थे मां लक्ष्मी को खुश करने के कुछ उपाय। आप भी इन्हें आजमाकर अपनी किस्मत चमका सकते हैं।

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जगन्नाथ रथ यात्रा: जानें भगवान जगन्नाथ को क्यों लगता है नीम के चूर्ण का भोग?

इस बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रविवार को शुरू हो गई है। भगवान जगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ यात्रा पर निकले हैं। इस बार यह यात्रा रवि पुष्य योग के संयोग में शुरू हुई है। 

जगन्नाथ रथ यात्रा का ये उत्सव 10 दिन तक धूमधाम से मनाया जाता है। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू हुई यात्रा का समापन दशमी तिथि को होता है और इस साल इसका समापन 16 जुलाई को होगा। 

नीम के चूर्ण का भोग लगाने का क्या है कारण? 

क्या आपको पता है कि इस समय भगवान जगन्नाथ को 56 भोग का प्रसाद परोसे जाने के बाद नीम के चूर्ण का भोग भी लगाया जाता है। 

दरअसल, एक कथा से पता चलता है कि भगवान जगन्नाथ के मंदिर से कुछ दूर एक महिला रहती थी जो उन्हें अपना पुत्र मानती थी। एक दिन उसके मन में यह विचार आया कि इतना सारा भोजन करने के बाद मेरे बेटे के पेट में दर्द हो जाएगा। वह भगवान जगन्नाथ के लिए नीम का चूर्ण बनाकर उन्हें खिलाने के लिए आई लेकिन मंदिर के द्वार पर खड़े सैनिकों ने उसका चूर्ण फेंककर उसे भगा दिया।

इसके बाद भगवान जगन्नाथ ने राजा को सपने में दर्शन देकर आदेश दिया कि उनकी माता यानी उस महिला को दवा यानी नीम का चूर्ण खिलाने दिया जाए। इस पर राजा ने उस महिला के घर जाकर माफी मांगी। इसके बाद उसने दोबारा नीम का चूर्ण तैयार कर भगवान जगन्नाथ को खिलाया। तब से ही हर साल भगवान जगन्नाथ को 56 भोग लगाने के बाद नीम के चूर्ण का भोग लगाया जाता है। 

क्या आप ऐसी कोई और इंट्रेस्टिंग कहानी जानना चाहते हैं? अगर हां, तो हमें कमेंट में जरूर बताएं। 

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शनिदेव 29 जून को हो चुके हैं वक्री, किस राशि पर पड़ेगा कैसा प्रभाव?

जानें कब होंगे शनिदेव वक्री

कुंभ राशि में विराजमान कर्मफल दाता शनि महाराज 29 जून को वक्री हो गए हैं और 15 नवंबर तक इसी स्थिति में रहेंगे। आज के लेख में हम बात करेंगे शनि महाराज के वक्री होने का किस राशि के लोगों पर क्या असर पड़ेगा? इसके अलावा हम इस लेख में उन उपायों की भी चर्चा करेंगे जिनसे शनिदेव के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है। 

जैसा की आप सभी जानते हैं कि किसी भी ग्रह की चाल, दशा और सोलर सिस्टम में उनकी स्थिति का हर प्राणी पर प्रभाव पड़ता है।।एस्ट्रोलॉजी में माना जाता है कि शनि महाराज व्यक्ति को डिसिप्लिन से जीवन जीना सिखाते हैं। इसके साथ ही शनि महाराज न्यायप्रिय हैं और वे आदमी को जस्टिस के लिए लड़ने वाला बनाते हैं।

अब बात करते हैं शनि महाराज के कुंभ राशि में वक्री होने से किस राशि पर क्या प्रभाव पड़ेंगे। तो आइए शुरू करते हैं मेष राशि वालों से

मेष

मेष राशि वालों की कुंडली में शनि महाराज कर्म और आय भाव यानी क्रमश: दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी होते हैं। वे आपके ग्यारहवें भाव में वक्री स्थिति में होंगे। ऐसे में नौकरी-पेशा लोगों को अपनी जॉब में दिक्कतों के बावजूद अच्छी प्रोग्रेस मिलेगी। समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा। वहीं, इस समय कारोबारियों को बहुत अच्छा मुनाफा मिलने की उम्मीद कम है। फाइनेंशियली देखें तो ये समय आपके लिए थोड़ी दिक्कतों भरा रह सकता है।

अगर आपकी लव लाइफ की बात करें तो शनि महाराज के वक्री रहने के दौरान आप और आपकी पार्टनर के बीच लड़ाई-झगड़ा हो सकता है। इस समय आपको अपने बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड को परसनल स्पेश देना चाहिए। शनि महाराज के वक्री रहने के दौरान मेष राशि वालों का फोकस पढ़ाई पर रहेगा। हेल्थ के लिहाज से देखें तो आपको सर्दी-खांसी परेशान कर सकती है।

इसके साथ ही आप अपने बच्चों के स्वास्थ्य या फ्यूचर की लेकर परेशान रह सकते हैं और आपको इसकी चिंता सकती है। इस समय उन्हें भरपूर प्यार और सहयोग दें। इस अवधि में अपने घर के बुजुर्गों और अपने गुरुजनों की खूब सेवा करें। इस समय उनकी बात को मानना आपके लिए शुभ रहेगा।

उपाय- 

इस समय आपको नियमित तौर पर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

 

वृषभ

अब बात करते हैं वृषभ राशि वालों की। वृषभ राशि वालों की कुंडली में शनि देव नौवें और दसवें यानी भाग्य व कर्म भाव के स्वामी होते हैं और वे आपके दसवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। अगर आपके करियर के लिहाज से देखें तो आपको कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन आप इससे बाहर निकल आएंगे। बिजनेस में इस समय आपके हाथ से कोई अच्छी डील निकल सकती है। इस समय अगर आपके अपने बिजनेस पार्टनर से कुछ मतभेद हो सकते हैं। ऐसे में बहुत जल्दबाजी न करें और उनकी बात ध्यान से सुनें। इस समय समझौता करना ही आपके लिए ठीक रहेगा। इस समय आप फाइनेंशियली स्ट्रांग होंगे लेकिन सेविंग्स नहीं कर पाएंगे।

लव लाइफ की बात करें तो शनि महाराज के वक्री रहने के दौरान आपके लव रिलेशन में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। इस समय आप पर कोई पारिवारिक जिम्मेदारी आ सकती है। स्टूडेंट्स की बात करें तो इस समय आपका ध्यान पढ़ाई में नहीं लगेगा। इस समय आपको आंखों से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 

इसके साथ ही इस समय आप नई प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं या पुरानी प्रॉपर्टी का रेनोवेशन करवा सकते हैं। लेकिन इसमें आपको ज्यादा रुपए खर्च करने से बचना चाहिए। इस लिए आप पहले से ही अपने बजट के अनुसार प्लान बनाएं।

उपाय-

रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपको अच्छे फल मिलेंगे।

 

मिथुन

अगर बात करें मिथुन राशि वालों की तो शनि महाराज आपकी कुंडली में मृत्यु और भाग्य यानी क्रमश: आठवें और नौवें भाव के स्वामी होते हैं। वे आपके भाग्य भाव में वक्री होंगे। शनि देव के वक्री रहने के दौरान आपमें कॉन्फिडेंस की कमी दिखेगी। इस समय आपको ऑफिस में अपने बॉस का सपोर्ट नहीं मिलेगा। इस समय आप  नौकरी बदल सकते हैं या आपका ट्रांसफर भी हो सकता है। आपको नई जगह या शहर में काम करने का मौका मिलेगा। इससे आपका अनुभव बढ़ेगा और भविष्य के लिए नए रास्ते खुलेंगे।

बिजनेस के लिहाज से देखें तो आप इस समय किसी अच्छे मौके का फायदा उठाने से चूक सकते हैं। इसके साथ ही किसी टूर के समय आपको रुपए का नुकसान हो सकता है। इस समय किसी से भी दुश्मनी न पालें और नेगेटिविटी से भी दूर रहें।

मिथुन राशि वालों की लव लाइफ की बात करें तो आपके अपने पार्टनर से मतभेद हो सकते हैं और आप दोनों के रिश्ते में दरार आती हुई भी दिख रही है। इस समय आपको रिलेशनशिप से जुड़ी प्रॉब्लम्स को इग्नोर करने से बचना चाहिए। इस समय स्टूडेंट्स को सफलता पाने के लिए इनोवेटिव होकर काम करना चाहिए। इस समय आपकी कमर और पैरों में दर्द रहने की आशंका है। नियमित तौर पर व्यायाम और योग करें और संतुलित व पौष्टिक भोजन करें।

उपाय-

आपको भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

 

कर्क

कर्क राशि वालों की कुंडली में शनि देव सातवें और आठवें भाव के स्वामी होते हैं वे  आपके आठवें यानी मृत्यु भाव में वक्री हो रहे हैं। इस राशि के नौकरी पेशा लोगों की बात करें तो इस समय ऑफिस में कोई नया प्रोजेक्ट या नई जिम्मेदारी मिलने पर उसे बिना समय गवाए ले लें। इससे आपको फ्यूचर में फायदा मिलेगा। इस समय कारोबारियों को बिजनेस में नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस समय आपको लापरवाही से रुपए खर्च करने से बचना चाहिए वरना आपको भविष्य में पछताना पड़ सकता है। इस समय किसी भी उधार देने से बचें वरना आपको पछताना पड़ेगा।

इस समय आपकी लव लाइफ में विश्वास की कमी रहने से आप एकदूसरे से अलग होने का विचार कर सकते हैं। इस समय आपको अपनी फीलिंग्स को ईमानदारी से अपने बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड को बताना चाहिए। इस अवधि में आपका अपने भाई-बहनों या करीबी दोस्तों के साथ मनमुटाव हो सकता है।

इसके साथ ही, शनि महाराज के वक्री होने से आपके लिए अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना थोड़ा मुश्किल होगा। इस समय आपको बोलने में बहुत संयम बरतना चाहिए। वरना आपकी बातों के गलत अर्थ निकालकर आपको फालतू के मामलों में घसीटा जा सकता है। इस समय स्टूडेंट्स को उनके टीचर्स का सपोर्ट मिलेगा। इस समय आपको अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए क्योंकि आपका इम्यून सिस्टम कमजोर होने की आशंका है।

उपाय- 

 स्त्रियों का सम्मान करें और कन्याओं को खाना खिलाएं।

 

सिंह

सिंह राशि वालों की कुंडली में शनि महाराज छठे यानी शत्रु और सातवें भाव के स्वामी होते हैं। ये आपके सातवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। इस समय आपको किसी ऑफिस टूर पर जाना पड़ सकता है। यह यात्रा आपके प्रेस्पेक्टिव को बढ़ा बनाने में आपकी मदद करेगी। इस समय आपको प्रमोशन मिल सकता है। कारोबारियों को इस अवधि में संभलकर चलना चाहिए। आपको इस दौरान किसी को भी उधार देने से बचना चाहिए वरना आपका पैसा फंस सकता है।

लव लाइफ में आपको अपने पार्टनर की जिद्द और घमंड के कारण परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस समय आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ क़्वालिटी टाइम बिता सकते हैं और अच्छी यादें संजो सकते है। इस समय में स्टूडेंट्स को किसी भी विषय को टालने की आदत से बचना चाहिए।

हेल्थ के लिहाज से देखें तो आपको जोड़ों का दर्द रह सकता है। इसके साथ ही आपको सिर से जुड़ी दिक्कतें भी परेशान कर सकती हैं। इस समय कुछ लोग आपकी छवि बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं और आपके खिलाफ अफवाहें फैला सकते हैं। ऐसे में आपको पेसेंश से काम लेना चाहिए और अपने काम से उन्हें करारा जवाब देना चाहिए।

उपाय-

रोजाना सूर्यदेव को जल में रोली मिलाकर अर्घ्य दें।

 

कन्या

अब बात करते हैं कन्या राशि वालों की। शनि देव आपकी कुंडली में पांचवें यानी संतान और छठे यानी शत्रु भाव के स्वामी हैं वे आपके छठे भाव में वक्री हो रहे हैं। करियर में इस समय में आपको अपनी मेहनत का रिजल्ट नहीं मिलेगा। कारोबारियों को बिजनेस में दूसरे व्यापारी कड़ी टक्कर देते दिख रहे हैं। शनि महाराज के वक्री रहने के दौरान आप कर्ज में डूबते नजर आ रहे हैं। 

इस अवधि में आपको अपने बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड से बहस करने से बचना चाहिए। इस समय आपको रिलेशनशिप में बोरियत महसूस हो सकती है। इस समय आपको अपने प्रियजनों के साथ थोड़ा और समय बिताना चाहिए। उनके साथ खुलकर अपने दिल की बात करनी चाहिए। इससे रिश्तों में मिठास बनी रहेगी।

 कन्या राशि के स्टूडेंट्स इस समय अपनी पढ़ाई को एकाग्रता से कर पाएंगे। हालांकि, इस समय आपको बाहर खाने-पीने से बचना चाहिए वरना आपकी सेहत बिगड़ सकती है। इसके अलावा इस दौरान आप पुराने रोग या पीठ दर्द की समस्या से भी परेशान रह सकते हैं। इस समय आपको रेगुलर एक्सरसाइज वे योग करते रहना चाहिए।

उपाय-

रोजाना ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करना चाहिए।

 

तुला

तुला राशि वालों की कुंडली में शनि महाराज आपके सुख भाव और संतान भाव यानी क्रमशः चौथे व पांचवें भाव के स्वामी होंगे। वे आपकी कुंडली के पांचवें भाव में वक्री होने वाले हैं। इस समय आपको आपके ऑफिस में नजरअंदाज किया जा सकता है। आप अपने फ्यूचर को लेकर टेंशन ले सकते हैं जिससे आपको बचना चाहिए। हालांकि, इस समय आप किसी नए प्रोजेक्ट की शुरुआत कर सकते हैं। अगर आप बिजनेसमैन हैं तो आपको कोई भी बड़ा फैसला लेते समय अनुभवी लोगों की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

शनि महाराज के वक्री रहने के दौरान आप फिजूलखर्ची कर सकते हैं। इस समय आपको अपना बजट बनाकर चलना चाहिए। अपनी लव लाइफ में ईगो को न आने दें वरना आपको पछताना पड़ सकता है। इस समय बात-चीत किसी भी हाल में बंद न करें।

इस समय शादीशुदा लोगों के अपने लाइफ पार्टनर से रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे। आप एक-दूसरे की मदद से अपने रिश्ते को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। परिवार में खुशियों का माहौल होगा और पुराने मनमुटाव दूर होंगे।अगर विद्यार्थियों की बात करें तो इस समय आपके लिए ग्रुप डिस्कशन और ग्रुप स्टडी करना फायदेमंद रहेगा। इस समय आपके बच्चों के हेल्थ इश्यूज से आप परेशान रह सकते हैं।

उपाय-

रोजाना ॐ नम: शिवाय मंत्र का 1 माला जप करें।

 

वृश्चिक

अगर बात करें वृश्चिक राशि वालों की तो शनि महाराज आपकी कुंडली में तीसरे और चौथे यानी सहज और सुख भाव के स्वामी होते हैं शनि देव आपके चौथे भाव में वक्री होने जा रहे हैं। इस समय आपके जीवन में कुछ रोमांचक बदलाव आ सकते हैं। यह दौर आपके लिए कुछ नया सीखने और अपनी क्षमताओं को निखारने का हो सकता है।

शनि महाराज के वक्री रहने के दौरान वृश्चिक राशि वालों पर ऑफिस में काम का दबाव हो सकता है। इस समय नेटवर्किंग से आपके लिए कई दरवाजे खुल सकते हैं। कारोबारियों को इस समय अपने कॉम्पटीटर से सावधान रहना चाहिए। वे आपकी इमेज बिगाड़ सकते हैं। इस समय शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले एक्सपर्ट्स की सलाह जरूर लें।

लव लाइफ की बात करें तो आप और आपने लव पार्टनर आपसे रूठ सकता है। इस समय आपको उनसे पुरानी बातें डिसकस करने से बचना चाहिए वरना आपके बीच तकरार बढ़ सकती है। इस समय स्टूडेंट्स का रुझान रिसर्च और इनोवेशन की ओर होगा। हेल्थ की बात करें तो इस समय आपको लंबी यात्रा करने से बचना चाहिए। क्योंकि आपका एक्सीडेंट होने के योग बन रहे हैं।

इस समय आपके विचारों में नेगेटिविटी आ सकती है। आप खुद की कैपेबिलिटीज पर शक कर सकते हैं। लेकिन इस समय घबराएं नहीं कॉन्फिडेंट रहें और हालातों का डटकर सामना करें।

उपाय

शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाएं और तेल दान करें।

 

धनु

धनु राशि वालों की बात करें तो आपकी कुंडली में शनिदेव दूसरे और तीसरे यानी धन और सहज भाव के स्वामी होते हैं। वे आपके तीसरे भाव में वक्री अवस्था में आएंगे। आपके करियर के लिहाज से देखें तो शनि महाराज की वक्री रहने के समय आपकी परफॉर्मेंस एवरेज रहेगी। इस समय आपको लापरवाही भरे रवैया को छोड़कर काम करना चाहिए। कारोबारियों को बिजनेस के चलते टूर पर जाना पड़ेगा लेकिन इन यात्राओं से कोई खास फायदा होता नहीं दिख रहा है। इस अवधि में आप अपने परिवार पर खर्चा कर सकते हैं।

लव लाइफ की बात करें तो इस समय आपको अपने रिलेशनशिप में रोमांस की कमी महसूस हो सकती है। इस समय आपको अपने परिजन से फालतू ले लड़ाई-झगड़े करने से बचना चाहिए। यह समय धनु राशि के उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद रहेगा जो हायर एजुकेशन से जुड़े हैं। इस समय आपकी बुखार रह सकता है।

आध्यात्मिक विषयों में रुचि रखने वालों के यह समय बेहद खास रहेगा। आपको ध्यान, योग या प्रार्थना में समय बिताना चाहिए  यह आपके मन और आत्मा को शांति देगा।

उपाय-

रोजाना संकटमोचन हनुमाष्टक का पाठ करें।

 

मकर

अब बात करते हैं मकर राशि वालों की। शनिदेव आपकी राशि के स्वामी होने के साथ ही आपकी कुंडली में लग्न यानी पहले और धन यानी दूसरे भाव के स्वामी होते हैं। अब शनि महाराज आपके दूसरे भाव में वक्री होने जा रहे हैं। उनके वक्री रहने के दौरान मकर राशि वाले नौकरी-पेशा लोगों का अचानक ट्रांसफर हो सकता है। इस समय आपको कुछ मुश्किल भरे फैसले लेने पड़ सकते हैं। व्यापारियों को बिजनेस में खूब तरक्की होगी। इस समय आप अपने परिवार के साथ यात्रा पर जा सकते हैं।

फाइनेंसशियलि देखें तो इस समय में आप सेविंग्स नहीं कर पाएंगे। इस समय आप फिजूल खर्ची कर सकते हैं। इस समय आपको बचत पर ध्यान देना चाहिए और हर पैसे का सोच-समझकर इस्तेमाल करना चाहिए। फाइनेंस से जुड़े मामले में किसी पर भी आंख बंद करके भरोसा न करें।

रिलेशनशिप की बात करें तो कोई तीसरा आदमी आपके लव पार्टनर को आपके खिलाफ भड़का सकता है। वहीं, इस समय आपके घर-परिवार में किसी नए मेहमान का आगमन हो सकता है। इस दौरान परिवार के साथ समय बिताना और उनका सहयोग करना आपके लिए शुभ रहेगा। वे वास्तव में आपकी ताकत और प्रेरणा का स्रोत साबित होंगे। स्टूडेंट्स इस समय काफी मेहनत करते हुए नजर आएंगे। इस समय आपकी आँखों में एलर्जी हो सकती है।

उपाय-

आपको मंगलवार या शनिवार को सुंदर कांड का पाठ करना चाहिए।

 

कुंभ

कुंभ राशि वालों की कुंडली में शनि देव लग्न और व्यय यानी पहले व बारहवें भाव के स्वामी होते हैं। शनि महाराज आपके पहले भाव में वक्री हो रहे हैं। इस समय अगर आप नौकरी बदलने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको अभी इससे बचना चाहिए। इस समय आपके अपने कलीग्स के साथ मतभेद हो सकते हैं। ऐसे में आपको उनसे उलझने से बचना चाहिए। शनि महाराज के वक्री रहने के दौरान कारोबारी बहुत धीमी गति से आगे बढ़ेंगे।

इस अवधि में आप और आपके बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड एक दूसरे को नहीं समझ पाएंगे जिससे आप दोनों को लग सकता है कि उनकी नजर में आपकी कोई वेल्यू नहीं है। हालांकि, आपकी लव लाइफ में रोमांचक मोड़ आता दिख रहा है। इस समय स्टूडेंट्स रिसर्च पर फोकस करके अपना नाम कमा सकते हैं।

इस समय आपको अपनी सेहत का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए आपको पेट से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। इसके अलावा आप कमजोरी महसूस करेंगे। आपको ज्यादा देर तक बैठने से बचना चाहिए वरना आपके पैरों व कमर में दर्द रह सकता है। इस दौरान आपको विदेश यात्रा या विदेशों से जुड़े कामों में सफलता मिल सकती है। अगर आपका काम विदेश से जुड़ा है तो बेहतरीन रिजल्ट आपका इन्तजार कर रहे हैं।

उपाय-

नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करें।

 

मीन

अब बात करते हैं लास्ट बट नॉट द लीस्ट मीन राशि वालों की। मीन राशि वालों की कुंडली में शनि महाराज ग्यारहवें और बारहवें यानी आय व व्यय भाव के स्वामी हैं। वे आपके व्यय भाव में वक्री होने जा रहे हैं। इस समय आपको करियर में काफी मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन आपकी तारीफ नहीं होगी। बिजनेस में आपको अभी अपनी स्ट्रैटजी बदलने से बचने की सलाह दी जाती है। इस समय आपको बेचैनी रह सकती और आपका मन किसी भी काम में नहीं लगेगा।

इस समय आपको सोच-समझकर खर्चे करने चाहिए। वरना हालात आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया वाले हो सकते हैं। विद्यार्थियों को इस समय किसी रूकावट का सामना करना पड़ सकता है। लव लाइफ की बात करें तो आप रिलेशनशिप से सटिस्फाइड नजर नहीं आएंगे। 

इस समय माता-पिता, बुजुर्ग या घर के वरिष्ठ सदस्यों के साथ भी आपके रिश्ते अच्छे नहीं रहेंगे। उनके साथ वाद-विवाद या गलतफहमी से बचने की कोशिश करें। उनके अनुभव और सलाह को सम्मान दें और उन्हें अपना प्यार और सहयोग दें। आपसी समझ और बातचीत से अपने पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करें। इस समय आपको नसों से जुड़े रोग या रीढ़ की हड्डी से जुड़े रोग परेशान कर सकते हैं।

इस समय अपने दोस्तों या सहयोगियों से अपने राज शेयर न करें। वे आपके सीक्रेट्स को मिस यूज कर सकते हैं। वे आपकी छवि बिगाड़ सकते हैं। अपनी प्राइवेसी बनाए रखें और संवेदनशील मामलों पर चर्चा करते समय सावधान और सतर्क रहें।

उपाय-

आपको रोजाना जल से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। Astro Arun Pandit जी की टीम की ओर से आपको शुभकामनाएं। 

 

ब्रेकअप के लिए कुंडली में जिम्मेदार होते हैं ये ग्रह !

ब्रेकअप के लिए जिम्मेदार ग्रह! क्या आप भी इश्क में बेवफाई या प्यार में बार-बार धोखा मिलने से परेशान हैं? अगर हां! तो यह ब्लॉग आपके लिए ही है। दरअसल, आपकी लाइफ में ग्रह-नक्षत्रों का काफी प्रभाव पड़ता है। एस्ट्रोलॉजी के नजरिए से देखें तो आपकी लव लाइफ ग्रहों, राशियों और नक्षत्रों के नेचर, दृष्टि, स्थिति और योग से काफी हद तक प्रभावित होती है। जन्म कुंडली में कुछ ग्रहों की कमजोर स्थिति के चलते व्यक्ति की मोहब्बत अधूरी रह सकती है। 

आइए जानते हैं, प्यार में धोखा मिलने के लिए कौन-कौन से ग्रह जिम्मेदार हैं:-

ब्रेकअप के लिए कुंडली में ग्रहों का आंकलन 

जन्म कुंडली के पंचम और सप्तम भाव यानी प्रेम व जीवनसाथी के भाव का स्वामी ग्रह यानी पंचमेश और सप्तमेश के कमजोर होने पर इश्क के मामले में सफलता नहीं मिलती है। इस स्थिति में आपका प्रेमी आपको धोखा दे सकता है और ऐसा कई बार हो सकता है। पंचमेश और सप्तमेश की स्थिति कमजोर होने पर या उन पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि पड़ने पर भी आपके रिलेशनशिप में झगड़ा बढ़ सकता है और रिश्ते टूट भी सकते हैं। यहां तक कि कई बार पति-पत्नी में तलाक भी हो जाता है।

कैसे करें कुंडली का अध्ययन

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब राहु, मंगल, सूर्य व शनि ग्रह अपनी नीच राशि में होते हैं और पंचम व सप्तम भाव या पंचमेश और सप्तमेश पर दृष्टि डालते हैं तब प्रेमियों के लिए हालात अच्छे नहीं रहते।
  • इसके अलावा चंद्रमा के साथ राहु या केतु की युति के कारण भी लव लाइफ में प्रॉब्लम आती हैं। 
  • चंद्रमा के कमजोर होने से लवर्स के बीच बात-बात पर लड़ाई होने लगती है और नौबत ब्रेकअप तक पहुंच जाती है।

राहु और केतु की महादशा

  • इसके अलावा राहु और केतु की महादशा के समय भी आपका रिलेशनशिप टूट सकता है। 
  • ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु अलगाव कराने वाले ग्रह माने गए हैं। 
  • इन दोनों ही महादशाओं के समय व्यक्ति में धैर्य और सहनशीलता की कमी होती है और उसे रिश्ते में बंधने से डर लगता है। 
  • इन वजहों से लव लाइफ में अस्थिरता बढ़ती है और रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच जाता है।
  • अधिकांश तलाक और ब्रेकअप राहु की महादशा के समय में होते देखे गए हैं। 

पंचमेश और सप्तमेश का प्रेम जीवन से संबंध 

  • अगर कुंडली में पंचमेश और सप्तमेश दोनों छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हों तो भी प्रेम संबंध असफल ही रहता है। 
  • दरअसल, ऐसा होने पर प्रेमी-प्रेमिका के बीच बहसबाजी या वाद-विवाद शुरू हो जाते हैं जिनकी वजह से ब्रेकअप होता है। 
  • वहीं, मंगल ग्रह के दूषित होने पर जातक मनमानी करने लगता है। इसके चलते वह अपने पार्टनर की फीलिंग का भी ख्याल नहीं रखता। इसके चलते रिश्ता खत्म होने की आशंका रहती है।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। Astro Arun Pandit जी की टीम की ओर से आपको शुभकामनाएं। 

राहु गोचर 2024: राहु ने बदली चाल, इन राशियों को अगले 60 दिन रहना होगा सावधान !

राहु गोचर 2024| Rahu Gochar 2024: ज्योतिष में ग्रहों का महत्त्व जगजाहिर है। ज्योतिष में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, देवगुरु बृहस्पति, शुक्र व शनि को प्रत्यक्ष जबकि राहु-केतु छाया या क्षुद्र ग्रह माने गए हैं। राहु व केतु अदृश्य ग्रह हैं लेकिन मनुष्यों पर इनका पूरा प्रभाव पड़ता है।   पुराणों में राहु-केतु का वर्णन तमो ग्रह के रूप में मिलता है। दरअसल, समुद्रमंथन के समय भगवान शिव के उपासक और कई विलक्षण क्षमताओं वाले शक्तिशाली असुर स्वरभानु ने समुद्र मंथन के दौरान अमृतपान कर लिया। इस पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर, धड़ से अलग कर दिया लेकिन अमृतपान से अमरता मिलने के कारण स्वरभानु की मृत्यु नहीं हुई। उसका कटा हुआ शीश राहु और धड़ केतु कहलाया।   

राहु ग्रह की प्रकृति- 

अब बात करते हैं राहु की प्रकृति की। ज्योतिष में राहु को मायावी ग्रह बताया गया है। राहु के प्रभाव से जातक का मन भ्रमित होता है और उनका मन सांसारिकता की ओर मुड़ता है। राहु के प्रभाव से व्यक्ति कभी संतुष्टि महसूस नहीं करता और भौतिक सुविधाओं व लग्जरी लाइफ को पाने की उसकी भूख बढ़ती ही रहती है। राहु व्यक्ति को प्रसिद्धि भी दिलाते हैं।   

राहु गोचर 2024-

ग्रहों के गोचर के नजरिए से देखें तो राहु एक राशि में 18 महीने के लिए गोचर करते हैं। यानि राहु एक राशि में 18 महीने तक रहते हैं। इसके साथ ही राहु व केतु नक्षत्र परिवर्तन भी करते हैं। गौरतलब है कि 30 अक्टूबर से राहु, देवगुरु बृहस्पति की राशि मीन में विरजमान हैं और 18 मई 2025 तक इसी राशि में रहेंगे। वहीं, राहु ने 6 मई को रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण में प्रवेश किया है। वह रेवती नक्षत्र में 8 जुलाई 2024 तक विराजमान रहेंगे।   

ज्योतिष में रेवती नक्षत्र- 

रेवती नक्षत्र की बात करें तो यह आकाशमंडल का अंतिम नक्षत्र है। इस नक्षत्र का स्वामी बुध ग्रह को माना गया है। वहीं, इस नक्षत्र के पहले चरण में देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव रहता है। बृहस्पति के प्रभाव से जातक के जीवन में बुद्धि, विवेक व ज्ञान के साथ ही सुख-सुविधाओं और सौभाग्य की वृद्धि होती है। इसके आलावा इससे व्यक्ति अध्यात्म की और आकर्षित होता और उसका व्‍यक्‍तित्‍व भी निखरता है।   

राहु के रेवती नक्षत्र में गोचर करने के प्रभाव- 

राहु गोचर 2024 को देखें तो, राहु ग्रह के रेवती नक्षत्र में गोचर का मानव जीवन पर व्यापक असर देखने को मिलेगा। राहु ग्रह का यह गोचर कुछ राशियों के जातकों के लिए बेहद अनुकूल रहने वाला है लेकिन कुछ राशियों के जातकों के जीवन में यह समय उथल-पुथल से भरा रहेगा। आइए जानते हैं इस गोचर का किस राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा:-

राहु गोचर 2024 : मेष 

मेष राशि के जातकों की बात करें तो राहु का रेवती नक्षत्र में गोचर लाभकारी साबित होने वाला है। इस समय आपकी इच्छाएं पूरी होंगी और आपका आत्मविश्वास बढ़ा-चढ़ा रहेगा। इससे आप किसी भी परेशानी का सामना आराम से कर पाएंगे। इस समय आप मकान या जमीन खरीद सकते हैं। हालांकि, कुछ जातकों को इस समय सावधान रहना होगा क्योंकि उनकी बदनामी हो सकती है। 

उपाय-

  • मेष राशि के जातकों को इस समय नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। 
 

राहु गोचर 2024 : वृषभ

वृषभ राशि के जातकों की बात करें तो यह समय आपके लिए परेशान करने वाला हो सकता है। इस समय आपकी बदनामी हो सकती है। इस समय आपका यश भी घटता हुआ नज़र आ रहा है। इसके साथ ही आप अवसाद व अनिद्रा का शिकार भी हो सकते हैं। आपको इस समय नपा-तुला बोलने की कोशिश करनी चाहिए। 

उपाय-

  • इस समय आपको सूर्यदेव को नियमित रूप से अर्घ्य देना चाहिए। 
 

राहु गोचर 2024 : मिथुन

अब बात करते हैं मिथुन राशि के जातकों की। आपके लिए यह समय मिश्रित परिणाम देने वाला होगा। इस समय में कुछ जातकों को अपमान का सामना करना पड़ सकता है। कुछ जातकों के लिए यह समय मानसिक अस्थिरता वाला साबित होगा। हालांकि, इस समय में कुछ जातकों को धन-वैभव की प्राप्ति भी होगी।

उपाय-

  • इस समय आपको दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए। 
 

राहु गोचर 2024 : कर्क 

राहु ग्रह के रेवती नक्षत्र में गोचर से कर्क राशि के कुछ जातक मानसिक रूप से परेशान रह सकते हैं। इस दौरान आपको कई मानसिक चुनौतियों से दो चार होना पड़ सकता है। इस समय आपको तनाव घेरे रह सकता है। हालांकि, आप अपने विवेक और बुद्धि से इन परिस्थितियों को ज्यादा बिगड़ने से बचाने में कामयाब रहेंगे। 

उपाय-

  • इस समय आपको ध्यान व योग करना चाहिए। 
 

राहु गोचर 2024 : सिंह

इस समय सिंह राशि के जातकों को कानूनी मामलों का सामना करना पड़ सकता है। इसके चलते आपके कोर्ट-कचहरी के चक्कर लग सकते हैं। इस समय आपको सावधान रहना चाहिए क्योंकि दुश्मन आपका काम बिगाड़ सकते हैं। इस समय आपको स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से भी दो-चार होना पड़ सकता है। 

उपाय-

  • इस समय आप नियमित रूप से भैरव मंदिर जाकर दर्शन करें। 
 

राहु गोचर 2024 : कन्या

कन्या राशि के जातकों को करीब 2 महीने की इस अवधि में सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि यह समय आपको अनिद्रा का शिकार बना सकता है जिससे आपकी सेहत भी बिगड़ सकती है। इस समय आपका स्वभाव भी उग्र हो सकता है जिस पर आपको नियंत्रण रखना चाहिए। इस समय आपकी छवि भी धूमिल हो सकती है। 

उपाय- 

  • इस समय आपको नियमित रूप से शिवजी का जलाभिषेक करना चाहिए। 
 

राहु गोचर 2024 : तुला

अब बात करते हैं तुला राशि के जातकों की। इस कालखंड में तुला राशि के कुछ जातकों को प्रसिद्धि मिलने की उम्मीद है। वहीं, कुछ जातकों को इस समय में सांसारिक सुखों की भी प्राप्ति होगी। हालांकि, कुछ जातक इस समय धर्म से पथभ्रष्ट हो सकते हैं। इस अवधि में कुछ जातकों को ऑपरेशन से भी गुजरना पड़ सकता है। 

उपाय- 

  • इस समय आपको दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। 
 

राहु गोचर 2024 : वृश्चिक 

राहु का यह नक्षत्र गोचर वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मिले-जुले परिणाम लेकर आ रहा है। इसके साथ ही कुछ जातकों को किसी कारणवश कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ सकते हैं। हालांकि, लेखन के क्षेत्र से जुड़े जातकों को सफलता मिलेगी। आप अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स से लोगों को अपना मुरीद बना देंगे। 

उपाय- 

  • इस अवधि में आपको नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। 
 

राहु गोचर 2024 : धनु

धनु राशि के जातकों की बात करें तो राहु ग्रह का रेवती नक्षत्र में गोचर बेहद शुभ होने वाला है। इस दौरान कुछ जातकों के संबंधों में मधुरता आएगी और कुछ जातकों की अपने भाई-बहन से भी मुलाकात हो सकती है। हालांकि इस समय आपको सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि यह समय कुछ जातकों के सम्मान को ठेस पहुंचा सकता है। 

उपाय- 

  • इस समय आपको अपने इष्टदेव व कुलदेवी का दर्शन-पूजन करनी चाहिए। 
 

राहु गोचर 2024 : मकर

मकर राशि के जातकों के लिए यह गोचर मानसिक शांति को भंग करने वाला हो सकता है। आपको इस समय सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि आपके शत्रु आपकी छवि खराब करने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि, इस समय में कुछ जातकों को कम मेहनत में ही आसानी से सफलता मिल जाएगी। इस समय आपको फालतू के कलह से बचना चाहिए। 

उपाय- 

  • मकर राशि के जातकों को शिवजी को दूध से स्नान कराना चाहिए 
 

राहु गोचर 2024 : कुंभ

अब बात करते हैं कुंभ राशि के जातकों की। कुंभ राशि के जातक को इस समय डिप्रेशन से जूझना पड़ सकता है। वे खुद पर काम का दबाव भी महसूस कर सकते हैं। इस समय में कुछ जातकों के कामों में रुकावट आ सकती है या कुछ काम अटक भी सकते हैं। इस समय में आपको मेहनत का फल मिलने में देरी हो सकती है लेकिन आपको धैर्य बनाए रखना होगा क्योंकि सब्र का फल मीठा होता है। 

उपाय- 

  • कुंभ राशि के जातकों को इस अवधि में हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाना चाहिए।  
 

राहु गोचर 2024 : मीन

मीन राशि के जातकों को राहु ग्रह के रेवती नक्षत्र में गोचर करने के मिश्रित परिणाम मिलेंगे। इस समय कुछ जातकों को पुरानी परेशानियों से छुटकारा मिलेगा लेकिन कुछ जातकों को इस समय जेल जाना पड़ सकता है। कुछ जातकों को इस अवधि में कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी काटने पड़ सकते हैं। 

उपाय- 

  • मीन राशि वालों की इस अवधि में काली गाय को चारा खिलाना चाहिए। 
 

हम उम्मीद करते हैं कि आप इस समय खुद की क्षमताओं को निखार पाएंगे और राहु ग्रह की कृपा से सभी भौतिक सुख-सुविधाओं का आनंद उठाएंगे। इसके साथ ही आप राहु की कृपा से इस अवधि में आप अपर धन-दौलत अर्जित करेंगे। 

गुरु चांडाल योग कितना खतरनाक ? जानें क्या है इस दोष से बचने के उपाय !

गुरु चांडाल योग ज्योतिष में एक विवादास्पद अवधारणा है। इसे अक्सर अशुभ माना जाता है। हालांकि, ज्योतिष सिर्फ भविष्यवाणी नहीं है, बल्कि ग्रहों की ऊर्जा को समझने का एक उपकरण भी है। गुरु चांडाल योग की ज्योतिषीय स्थिति को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने पर इसमें निहित कुछ छिपी हुई क्षमताएं उभर कर आती हैं।  आइये सबसे पहले ‘गुरु चांडाल योग’ का मतलब समझते है। यहां “गुरु” का मतलब बृहस्पति ग्रह से है। देव गुरु बृहस्पति ज्ञान एवं बुद्धि के कारक ग्रह है। बृहस्पति को देवताओं का गुरु कहा जाता है। वही “चांडाल”  शब्द का अर्थ है दानव या राक्षस, जबकि “योग” का मतलब होता है, जुड़ना यानि की देवताओं के गुरु बृहस्पति का दानवों के साथ जुड़ना।   

गुरु चांडाल योग का निर्माण 

  • जब कुंडली में गुरु और राहु एक साथ किसी भाव में उपस्थित हो तब चांडाल योग का निर्माण होता है। अपने कई बार सुना होगा कि गुरु और केतु भी मिलकर चांडाल दोष का निर्माण करते  है , लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। गुरु और केतु मिलकर  “गरुड़ध्वज योग” का निर्माण करते है। इस योग की चर्चा फिर कभी करेंगे। 
  • कुंडली में जब भी चांडाल दोष दृष्टि सम्बन्ध से बनता है तो वो उतना प्रभावी नहीं होता है जितना प्रभावी युति सम्बन्ध होने से होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राहु अपनी 5, 7, 9 दृष्टि बृहस्पति के ऊपर डालता है तो यह दृष्टि सम्बन्ध से बनने वाला गुरु चांडाल योग कहलाता है। 
 

गुरु चांडाल योग या दोष

  • सबसे पहले यह जानने की कोशिश करते है कि गुरु राहु की युति “योग” है या “दुर्योग”, क्योंकि जहां गुरु को पॉजिटिव ग्रह बोला जाता है तो राहु को नेगेटिव ग्रह। 
  • गुरु आपको ज्ञान, बुद्धि, विवेक और संतान की प्राप्ति करवाता है। 
  • ज्योतिष में, बृहस्पति को विस्तार, सकारात्मकता, शिक्षा, भाग्य, आशावाद और न्याय के कारक के रूप में देखा जाता है।
  • एक मजबूत गुरु व्यक्ति को धर्मनिष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करता है। 
  • गुरु कुंडली में जहां पर भी बैठेगा उस भाव के फल को कई अधिक गुना बढ़ा देगा और यह काम राहु भी करता है। 
  • राहु आपकी इच्छा है। यह अहंकार, भ्रम, जुनून और असाधारण इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करता है। 
  • ज्योतिष में राहु को अक्सर अपरंपरागत और विद्रोही ऊर्जा से जोड़ा जाता है। 
  • राहु को छाया ग्रह बोला जाता है, क्योंकि राहु जिस भी ग्रह के साथ बैठता है उस ग्रह के सारे गुण अपना लेता है। और उसी ग्रह की तरह परिणाम देता है।  
 

राजयोग

पाराशर ज्योतिष के आधार पर जब भी कोई केंद्र या त्रिकोण का स्वामी केंद्र या त्रिकोण में राहु के साथ स्थित हो तो यह एक राजयोग कहलाता है। क्योंकि राहु उस ग्रह के सारे गुण अपना लेता है।  इस योग का फल जानने के लिए सबसे पहले आपको यह देखना पड़ेगा कि 
  1. यह योग कुंडली के किस भाव में बना हुआ है तथा गुरु किन भावों का स्वामी है। गुरु अगर केंद्र या त्रिकोण का स्वामी होकर केंद्र या त्रिकोण में बैठा हो तो गुरु चांडाल दोष आपके लिए एक राजयोग की तरह होगा। जैसे कि…
  •  गुरु आपके पंचम भाव का स्वामी होकर आपकी लग्न में राहु के साथ बैठ जाता है तो, यह युति आपके ज्ञान में वृद्धि करेगी। आपको कई तरह के विषयों का ज्ञान होगा। 
  •  गुरु आपके नवम भाव का स्वामी होकर राहु के साथ अगर लग्न में बैठेगा तो, आपको धार्मिक बना देगा। आपको तरह-तरह के मंत्र याद होंगे।  
वही गुरु अगर 6 ,8 और 12 का स्वामी है तो तो यह योग आपके लिए दुर्योग साबित होगा। क्योंकि अगर इन तीनों ही भाव की अधिकता की जाए तो आपके जीवन में परेशानियां काफी ज्यादा हद्द तक बढ़ जाएँगी।    2 . दूसरी चीज़ जो आपको विशेष तौर पर ध्यान रखनी होगी कि गुरु और राहु की अंशात्मक दुरी कितनी है। दोनों ही ग्रह के बीच में 8 -10 डिग्री का अंतर होना चाहिए। अगर दोनों ही ग्रह का अंतर 10 डिग्री से कम है तो यह युति ज्यादा प्रभाव देगी। वहीं 10 डिग्री से ज्यादा का अंतर है तो आपको इस योग के फल कम देखने को मिलेंगे।  3 .आपको दोनों ग्रहों में से बलि ग्रह को देखना होगा। दोनों ही ग्रहों में से अगर गुरु बलि है तो गुरु चांडाल योग का प्रभाव सकारात्मक रूप में देखने को मिलेगा। वहीं राहु बलि हुआ तो आपको नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे।   4. आपकी कुंडली में चल रही दशा भी योग के प्रभाव को सक्रिय करती है। राहु या गुरु की महादशा या अंतर्दशा के दौरान गुरु चांडाल योग का प्रभाव अधिक प्रबल हो सकता है। 5. यदि गुरु कुंडली में राहु के नक्षत्र में विराजमान हो और राहु के साथ उपस्थित हो तब इस योग का प्रभाव अधिक देखने को मिलेगा।   

गुरु चांडाल योग के सकारात्मक प्रभाव : 

  • नवाचार और रचनात्मकता: 

गुरु ज्ञान और परंपरा का कारक ग्रह है। वहीं राहु विद्रोही स्वभाव और अपरंपरागत सोच का प्रतिनिधित्व करता है। गुरु चांडाल योग में इन दोनों ग्रहों की युति या दृष्टि एक ऐसी ऊर्जा का निर्माण करती है, जो नई चीजों को सीखने और परंपरागत तरीकों को चुनौती देने की प्रेरणा देती है। यह वैज्ञानिकों, कलाकारों, उद्यमियों और खोजकर्ताओं के लिए विशेष रूप से लाभदायक हो सकता है।
  • सामान्य से हटकर समस्या समाधान: 

राहु जहाँ जहाँ जाता है, वहां सवाल खड़ा करता है और परंपरा को चुनौती देता है। गुरु के मार्गदर्शन में, यह ऊर्जा अनूठे समाधान खोजने और रूढ़ीवादिता को तोड़ने में मदद कर सकती है। जटिल समस्याओं का समाधान निकालने के लिए नए तरीके अपनाने की क्षमता गुरु चांडाल योग का एक सकारात्मक पहलू है।
  • आध्यात्मिक जागृति: 

गुरु आध्यात्मिक ज्ञान और मार्गदर्शन का कारक है। वहीं राहु आध्यात्मिक जिज्ञासा जगाता है। यह योग गहन आत्म विश्लेषण और सच्ची समझ को जगाने में सहायक हो सकता है। परंपरागत धर्म के अलावा आध्यात्मिकता के नए आयामों को खोजने की प्रेरणा मिल सकती है।
  • दृढ़ संकल्प और महत्वाकांक्षा: 

राहु की महत्वाकांक्षा और गुरु का दृढ़ संकल्प मिलकर व्यक्ति को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करने की प्रेरणा दे सकता है। यह जुनून और जल्दी सफलता पाने की इच्छा सकारात्मक हो सकती है, बशर्ते उसे नैतिक दिशा दी जाए।  
  • अदृश्य क्षमताओं का विकास: 

कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि गुरु चांडाल योग जातक में छिपी हुई प्रतिभाओं और अलौकिक क्षमताओं को उभारने में सहायक हो सकता है। यह अंतर्ज्ञान, टेलीपैथी या आभा देखने जैसी शक्तियों को जगा सकता है। हालांकि, इन क्षमताओं को विकसित करने के लिए साधना और सकारात्मक मार्गदर्शन जरूरी होता है।  

गुरु चांडाल योग के नकारात्मक प्रभाव : 

  • ज्ञान का दुरुपयोग:

गुरु ज्ञान और विवेक का कारक ग्रह है। राहु के प्रभाव में आने से व्यक्ति ज्ञान का दुरुपयोग कर सकता है। उदाहरण के लिए, कोई वकील अपनी कानूनी विशेषज्ञता का उपयोग झूठ बोलने या कानून को तोड़ने में कर सकता है। इसी प्रकार, शिक्षक ज्ञान का दुरुपयोग छात्रों को गुमराह करने के लिए कर सकता है।  
  • अधूरी शिक्षा और कौशल का अभाव: 

राहु भ्रम का कारक है। गुरु चांडाल योग के प्रभाव में व्यक्ति को लग सकता है कि वह किसी विषय में जानकार है।  जबकि वास्तव में उसकी समझ अधूरी हो सकती है। यह शिक्षा और कौशल विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।  
  • असंयमित महत्वाकांक्षा और लालच:

राहु महत्वाकांक्षा और जुनून का कारक है। जब भी गुरु राहु के प्रभाव में आता है तो व्यक्ति की  महत्वाकांक्षा अत्यधिक बड़ जाती है। वह व्यक्ति लालच पूर्ण हो सकता है। व्यक्ति जल्दी सफलता पाने के लिए गलत रास्ते अपना सकता है।
  • कानूनी परेशानियां: 

राहु कानून और अधिकार का विरोध करता है। गुरु चांडाल योग के प्रभाव में व्यक्ति कानूनी परेशानियों में फंस सकता है।
  • आत्मसम्मान की कमी और हीन भावना: 

राहु अहंकार और हीन भावना दोनों का कारक हो सकता है। गुरु चांडाल योग के प्रभाव में व्यक्ति अहंकारी बन सकता है या दूसरों से अपनी तुलना करके हीन भावना से ग्रस्त हो सकता है। यह दोनों ही स्थितियां आत्म-सम्मान को कम करती हैं।
  • आध्यात्मिक पथ से भटकना: 

गुरु ज्ञान और आध्यात्मिक विकास का कारक है। राहु के प्रभाव में व्यक्ति आध्यात्मिक पथ से भटक सकता है। वह गलत गुरु या पंथ के चक्कर में फंस सकता है।           

ज्योतिषीय समाधान और आत्मिक सुधार

ज्योतिषीय समाधान-

  • ग्रह मंत्र जप: 

ज्योतिष में, मंत्रों का जाप विशिष्ट ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने और मजबूत करने के लिए किया जाता है। गुरु चांडाल योग के मामले में, निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना लाभकारी माना जाता है:

1. गुरु मंत्र

 “ॐ बृहस्पते नमः” या “ॐ गुरु नमः” 

  नोट: इस मंत्र के नियमित जाप से बृहस्पति ग्रह को मजबूत किया जा सकता है और ज्ञान, विवेक और सकारात्मक निर्णय लेने की क्षमता प्रदान होती है।  

2. विष्णु मंत्र– 

“ॐ विष्णवे नमः” 

नोट: भगवान विष्णु को भी गुरु का कारक माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास में सहायता मिलती है और नकारात्मक प्रवृत्तियों से बचाता है।  

3. शिव मंत्र-

“ॐ नमः शिवाय”

नोट: भगवान शिव को भी गुरु का कारक माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अहंकार और भ्रम से दूर रहने की शक्ति मिलती है।

  • रत्न ज्योतिष: 

रत्न ज्योतिष में, विभिन्न रत्नों को विशिष्ट ग्रहों से संबंधित माना जाता है। गुरु चांडाल योग को संतुलित करने के लिए आप निम्नलिखित रत्नों में से कोई एक धारण कर सकते हैं:  

1. पीला पुखराज-

नोट :यह पुखराज रत्न बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि माना जाता है। इसे सोने या पीतल की अंगूठी में धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और ज्ञान में वृद्धि होती है।  

2. पीला नीलम- 

नोट :यह रत्न भी बृहस्पति ग्रह से संबंधित माना जाता है। पीले नीलम को धारण करने से भाग्य का समर्थन मिलता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।  

3. गोमेद- 

नोट :राहु का कोई सीधा प्रतिनिधि रत्न नहीं है, लेकिन गोमेद रत्न इसकी छाया को संतुलित करने में सहायक माना जाता है। गोमेद को चांदी की अंगूठी में मध्यमा उंगली में धारण करने से अहंकार और भ्रम को कम करने में मदद मिलती है।
  • पूजा-अनुष्ठान: 

ज्योतिषीय अनुष्ठान और पूजा-पाठ करना भी गुरु चांडाल योग के प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं। आप कर सकते हैं:  

1. गुरुवार की पूजा-

नोट –गुरुवार बृहस्पति ग्रह का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु या भगवान दत्तात्रेय की पूजा करना और पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।  

2. शिवलिंग अभिषेक 

नोट :प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जल या दूध से अभिषेक करना और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना राहु के अशुभ प्रभावों को कम करने में सहायक होता है।  

3. हवन- 

नोट :वैदिक ज्योतिष में हवन का विशेष महत्व है। आप गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए पीले पुष्पों और पीली आहुति सामग्री से हवन करवा सकते हैं।
  • नैतिक आचरण: 

गुरु ज्ञान और धर्म का कारक ग्रह है। नैतिक आचरण बनाए रखना और सत्य के मार्ग पर चलना गुरु ग्रह को प्रसन्न करता है। झूठ, धोखा और अनैतिक कार्यों से बचें।
  • ज्ञानार्जन: 

गुरु ज्ञान का कारक ग्रह है। निरंतर ज्ञानार्जन और शिक्षा ग्रहण करना गुरु को मजबूत करता है। नई चीजें सीखने की जिज्ञासा रखें, पुस्तकें पढ़ें और ज्ञानी लोगों का संग करें।
  • धैर्य और संयम: 

धैर्य और संयम रखना गुरु ग्रह के गुण हैं। जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचें। क्रोध, लोभ, ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण रखें।
  • सकारात्मक दृष्टिकोण: 

सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें और आशावादी बने रहें। नकारात्मक विचारों को अपने ऊपर हावी न होने दें। हर परिस्थिति में सकारात्मक पक्ष खोजने का प्रयास करें।
  • सेवा और दान: 

गुरु दान और परोपकार का भी कारक ग्रह है। जरूरतमंदों की सहायता करें और दान का कार्य करें। गुरुवार के दिन पीले रंग की वस्तुओं का दान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • योग और ध्यान: 

योग और ध्यान का अभ्यास न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि ग्रहों के प्रभाव को भी संतुलित करने में सहायक होता है। नियमित रूप से योगाभ्यास करें और ध्यान लगाए।   

इन जानें-मानें लोगों की कुंडली में हैं चांडाल योग

1. राहुल गांधी:

 जन्म तिथि- 18 जून 1970, जन्म समय- 21:52 pm, जन्म स्थान- दिल्ली   राहुल गांधी की मकर लग्न है। इनके द्वितीय भाव में राहु विराजमान है। वही देखें तो द्वितीय भाव के स्वामी शनिदेव महाराज इनके चतुर्थ भाव में नीच राशि में स्थित है। यहां राहु नीच शनि के जैसे परिणाम देगा। राहु अपनी नवम दृष्टि से गुरु को देख रहा है। गुरु दशम भाव में विराजमान है। इसके चलते इनको अपने कार्यक्षेत्र में अत्यधिक मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पा रही है।   

2 . पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जनरल परवेज मुशर्रफ-  

जन्म तिथि- 11 अगस्त 1941, जन्म समय- 05:00 AM, जन्म स्थान- दिल्ली     जनरल मुशर्रफ़ की कर्क लग्न है। इनकी लग्न में ही गुरु चांडाल दोष बना हुआ है। यहां राहु लग्न में बैठकर लग्नेश की तरह व्यवहार करेगा। वही गुरु इनके छठे और नवम भाव के स्वामी है। राहु ने गुरु को महाबली बना दिया है। इनके द्वितीय भाव [धन भाव] के स्वामी सूर्य देव लग्न में स्थित है। ग्रहों की यह स्थिति इनकी कुंडली में महाधनी योग बनती है। लेकिन राहु की महादशा में गुरु ने छठे भाव के परिणाम दिए और इनको कोर्ट कचहरी के चक्कर लगवाए।