





गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी व्रत हर भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी। इस चतुर्थी को सिद्धि विनायक व्रत के नाम से भी जाना जाता है। देश के कई भागों में इस दिन गणेशजी की प्रतिमा को स्थापित कर भक्तजन गणेश जी की बहुत श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं।
गणेश चतुर्थी तिथि
18 सितंबर सोमवार 2023 चतुर्थी प्रारंभ – 11:20 am से
19 सितंबर मंगलवार 2023 चतुर्थी समाप्त – 01:26 pm तक
गणेश चतुर्थी मुहूर्त्त
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त :11:01am से 1:26 pm तक
18, सितंबर को जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है :12:41 pm से 08:10 pm तक
19, सितंबर को जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है :09:45 pm से 08:42 pm तक
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी यानी भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व होने की वजह यह है कि इसी दिन मंगलमूर्ति, विघ्नहर्ता, गजानन गणेशजी का जन्म दोपहर के समय हुआ था। इसलिए गणेश चतुर्थी को गणेश जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करके कई भक्त 10 दिनों तक इनकी पूजा करते हैं जबकि कुछ भक्त एक दिन, तीन दिन, सात दिन, के लिए भी गणेश प्रतिमा को स्थापित करते हैं।
मान्यता हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी की प्रतिमा को घर में स्थापित कर इनकी श्रद्धा भाव से जो लोग पूजा करते हैं उनके तमाम संकट गणेशजी हर लेते हैं। गणेशजी को इन वस्तुओं का भोग गणेशजी की पूजा में मोदक का भोग लगाना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा मोतीचूर के लड्डू और बेसन के लड्डू भी बप्पा को बेहद प्रिय माने जाते हैं। गणेश उत्सव के पांचवें और छठे दिन खीर का भोग लगाना अच्छा माना जाता है। गणेशजी को मखाने से बनी खीर का भोग लगाया जाता है।


1. भगवान गणेश का महत्व:
गणेश चतुर्थी का महत्व प्राथमिक रूप से भगवान गणेश के महत्व में होता है। भगवान गणेश हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं और उन्हें ‘विघ्नहर्ता’ और ‘सिद्धिदाता’ के नाम से जाना जाता है। वे आपके जीवन में आने वाले सभी विघ्नों को दूर करते हैं और सफलता, सुख, और संपत्ति की वरदान देते हैं।
2. आध्यात्मिक महत्व:
गणेश चतुर्थी धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है। इस त्योहार के माध्यम से, भक्त भगवान गणेश की पूजा और आराधना करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शुद्धि और शांति मिलती है। इसके बाद, वे अपने जीवन में धार्मिकता को बढ़ावा देते हैं और धार्मिक मूल्यों का पालन करते हैं।
3. परंपरागत महत्व:
गणेश चतुर्थी भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसे दिवाली, होली, और दुर्गा पूजा के साथ भारत के मुख्य त्योहारों में से एक माना जाता है। इस उत्सव को परंपरागत रूप से पूरे धूमधाम के साथ मनाया जाता है, और लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति को महत्वपूर्ण रूप से महसूस करते हैं।
5. विविधता का प्रतीक:
गणेश चतुर्थी का महत्व भारत की विविधता का प्रतीक भी है। इस उत्सव को भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, और वहाँ की स्थानीय परंपराओं और आदतों को प्रमोट करता है।
4. सामाजिक महत्व:
गणेश चतुर्थी का महत्व सामाजिक दृष्टिकोण से भी है। इस उत्सव के दौरान, लोग एक साथ आकर्षित होते हैं और समुदाय के सदस्यों के साथ वक्त बिताते हैं। यह उत्सव समाज में एकता और बंधुत्व की भावना को मजबूत करता है और समाज में सद्गुणों को प्रोत्साहित करता है।
6. विघ्नों के नाशक:
गणेश चतुर्थी के द्वारा, लोग अपने जीवन से आने वाले विघ्नों का नाश करते हैं। इस त्योहार के माध्यम से भगवान गणेश के आगमन के साथ ही सभी बुराईयों और दुखों का नाश होता है और सफलता की प्राप्ति होती है।
7. एकता का प्रतीक:
गणेश चतुर्थी के दौरान, लोग एक साथ आकर्षित होते हैं और समाज में एकता का प्रतीक प्रस्तुत करते हैं। इस त्योहार के माध्यम से लोग सामाजिक और सांस्कृतिक मिलन स्थापित करते हैं और आपसी सदयता को प्रमोट करते हैं।
गणेश चतुर्थी पर न करें ये काम
- मान्यता है की इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए वरना कलंक का भागी होना पड़ता है। अगर भूल से चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस दोष के निवारण के लिए-
चन्द्र दर्शन दोष निवारण मंत्र –
सिंहःप्रसेनमवधीत्, सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।
इस मंत्र के जाप और ऊपर बताए गए उपाय से आप चंद्रदर्शन के कलंक से दोषमुक्त हो सकते हैं।
- गणेश चतुर्थी पर अपने घर में भूलकर भी गणपति की आधी-अधूरी बनी या फिर खंडित मूर्ति की स्थापना या पूजा नहीं करना चाहिए।
- गणेश चतुर्थी की पूजा में भूलकर भी तुलसी दल या केतकी के फूल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- गणपति की पूजा में बासी या मुरझाए हुए फूल भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
- गणेश चतुर्थी के दिन व्रत एवं पूजन करने वाले व्यक्ति को तन-मन से पवित्र रहते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन गणपति की पूजा एवं व्रत रखने वाले व्यक्ति को भूलकर भी शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए
- गणेश चतुर्थी के दिन गणपति को चढ़ाए हुए प्रसाद एवं फलाहार का सेवन करना चाहिए। गणपति की पूजा का पूरा फल पाने के लिए गणेश चतुर्थी पर भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। गणपति की कृपा पाने के लिए व्यक्ति को मन ही मन में गणेश मंत्र का जप करते रहना चाहिए।
गणेश चतुर्थी पर जरूर करें ये काम
- गणेश चतुर्थी के दिन गणपति को अपने घर के ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा में विधि-विधान से बिठाएं और इसी दिशा की ओर मुख करके पूजा भी करें।
- गणपति को लाल रंग बहुत ज्यादा प्रिय है, इसलिए आज गणेश चतुर्थी की पूजा लाल रंग के वस्त्र के पहनकर करें और गणपति की पूजा में लाल रंग के पुष्प, फल, और लाल चंदन का प्रयोग करें
- जीवन में आ रही बाधाओं को दूर और मनचाहा वरदान पाने के लिए गणपति की पूजा में आप दूर्वा जरूर चढ़ाएं यदि आप गणेश चतुर्थी पर अपने घर में गणपति बिठा रहे हैं तो उनकी समय पर पूजा एवं आरती करें।
- इसी प्रकार गणपति को दिन में 3 बार भोग लगाएं।
- गणपति की पूजा का शीघ्र फल पाने के लिए आज उनका प्रिय भोग मोदक और मोतीचूर का लड्डू और केला फल जरूर चढ़ाएं।
गणेश स्थापना विधि
सामग्री (Materials): गणेश मूर्ति (Ganesh Idol)
अच्छमनीय पूजन सामग्री (गंगाजल, गुड़, दूर्वा, इलायची, इलायची की दानी, तुलसी, फूल, गंध, सुपारी, पान, बत्ती, धूप, कलवा, अक्षत, रुपा, आदि)
पूजा थाली (Pooja Plate), गणेश चौरस (Ganesh Chauras),गणेश आरती किताब (Ganesh Aarti Book)
पूजा असन (Pooja Aasan),कपूर और आरती दिया (Camphor and Aarti Diya)
पुष्प (Flowers), फल (Fruits), नैवेद्य (Prasada), वस्त्र (Cloth), धूप (Incense Sticks)
गणेश स्थापना की विधि:
साफ़ सफाई (Cleaning): गणेश स्थापना के लिए सबसे पहले अपने घर का सफ़ाई धोबन, पोंछा, और सभी कमरों में साफ़ पानी से करें। गणेश की मूर्ति के लिए एक साफ़ और शुद्ध स्थान चुनें।
गणेश मूर्ति की स्थापना (Placing Ganesh Idol): अब गणेश मूर्ति को ध्यान से निकालें और उसे गणेश चौरस पर स्थापित करें। मूर्ति को आराधना के लिए जगह पर रखें, जिसमें वह पूज्य और दृढ़ रूप से स्थित हो सके।
पूजा स्थल की सजावट (Decorating the Pooja Area): गणेश स्थापना स्थल को सजाने के लिए वस्त्र, फूल, धूप, दिया, और अन्य पूजा सामग्री से सजाएं।
अच्छमनीय (Purification): पूजा की शुरुआत गणेश और पूजा सामग्री की शुद्धता से होती है। गणेश को गंगाजल और पानी से अच्छमन करें, फिर उसको सुखा लें।
गणेश पूजा की आरंभ (Starting the Puja): गणेश पूजा को आरंभ करने के लिए अच्छमनीय पूजन सामग्री का उपयोग करके गणेश मूर्ति की पूजा करें। इसमें गंगाजल, तुलसी, इलायची, सुगंध, दूर्वा, और फूल शामिल हो सकते हैं।
आरती (Aarti): गणेश की पूजा के बाद, आरती दिया और कपूर के साथ करें। आरती गाते समय, उच्चारण करते समय गणेश जी के सामने ही रहें।
प्रसाद (Prasada): गणेश को प्रसाद के रूप में फल और मिष्ठान्न (सुगंधित लड्डू आदि) दें। इसे गणेश को उपहार के रूप में अर्पित करें।
आरती किताब (Aarti Book): आरती की पाठ के लिए गणेश आरती की किताब का उपयोग करें और उसे ध्यान से पढ़ें।
धूप (Incense): धूप की राख को अपने घर की सुरक्षा और शुभता के लिए गणेश के पास फिरा दें।
आरती दिया (Camphor Aarti): गणेश की आरती के दौरान, कपूर के दिये को आरती दिया के सामने दीपित करें और गणेश जी की आरती करें।
मंत्र जाप (Mantra Chanting): गणेश मंत्रों को जाप करें, जैसे कि “ॐ गं गणपतये नमः” या अन्य गणेश मंत्र।
नैवेद्य (Offering Food): गणेश को फल और मिष्ठान्न के रूप में नैवेद्य के रूप में प्रसाद प्रदान करें।
आरती करना (Final Aarti): आरती के बाद, गणेश की मूर्ति के सामने ही आरती करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
गणेश स्थापना का विसर्जन (Immersion of Ganesh Idol): गणेश चतुर्थी उत्सव के बाद, गणेश मूर्ति का विसर्जन शास्त्रीय रूप से किया जाता है। आप उसे किसी निकट सरोवर या नदी में विसर्जित कर सकते हैं।
यहीं गणेश स्थापना की संपूर्ण विधि है। ध्यान दें कि यह विधि आपके स्थानीय परंपराओं और आदतों के अनुसार थोड़े बदल सकते हैं, लेकिन मूल रूप में यही विधि होती है। ध्यान से पूजा करें और गणेश चतुर्थी के इस अद्वितीय मौके का आनंद लें।
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