





हरतालिका तीज
17 सितंबर रविवार 2023 तृतीया प्रारंभ – 11:15 am से
तृतीया समाप्त – 18 सितंबर सोमवार 2023 12:41pm तक
प्रातःकाल मुहूर्त- 06:07 am से 08:34 am तक
समय काल : 2 घंटे 27 मिनट
हरतालिका तीज व्रत के नियम
- हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।
- हर वर्ष हरतालिका तीज व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए। हरतालिका तीज व्रत एक रखने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है।
- हरतालिका तीज व्रत के दिन रात में सोया नहीं जाता है। रात में भजन-कीर्तन एवं शिवजी और माँ पार्वती का पूजन करना चाहिए ।
- हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, शादी शुदा स्त्रियां करती हैं। धर्मशास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है।
- हरतालिका तीज के दौरान महिलायें पूरे दिन व्रत रखती है, तथा इस दिन निर्जला व्रत रखती है अर्थात् पूरे दिन पानी भी नहीं पीती है।


हरतालिका तीज व्रत कथा
हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष तृतीया के दौरान मनाया जाता है। इस दिन, भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमाओं को रेत से बनाया जाता है, और वैवाहिक आनंद और संतान के लिए पूजा की जाती है। हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व पौराणिक क्था के अनुसार उनके पिता हिमालय ने उनका विवाह भगवान विष्णु से करने प्रस्ताव रखा तब माता ने भगवान विष्णु से विवाह करने से मना कर दिया। क्योंकि माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी। एक देवी पार्वती की सहेली ने उन्हें भगवान शिव से विवाह करने के लिए तपस्या करने के लिए कहा। माता पार्वती ने रेत से एक शिव लिंग बनाया और घोर तपस्या की। तपस्या के दौरान माता ने ना तो कुछ खाया और ना ही पानी पीया। भगवान शिव, देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए तथा देवी पार्वती को दर्शन दियें। तब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह करने का वचन दिया। तब से इस दिन को हरतालिका तीज से रूप में मनाया जाने लगा।
हरितालिका तीज का महत्व
यह त्योहार माता पार्वती और भगवान शिव के प्रेम की कथा को याद करता है और महिलाओं की शक्ति, धर्मिक आदर्शों, और समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रमोट करता है। निम्नलिखित महत्वपूर्ण तथ्य हरितालिका तीज के महत्व को विस्तार से समझाते हैं:
माता पार्वती और भगवान शिव की प्रेम कथा: हरितालिका तीज का महत्व मुख्य रूप से माता पार्वती और भगवान शिव की प्रेम कथा के संदर्भ में है। इसका महत्वपूर्ण हिस्सा तीज व्रत की कथा है, जिसमें माता पार्वती ने अपने प्रेम के लिए व्रत रखा था और भगवान शिव के साथ विवाह किया था। यह कथा प्रेम, समर्पण, और भगवान के प्रति विश्वास का प्रतीक है।
माता पार्वती की पूजा: हरितालिका तीज में माता पार्वती की पूजा की जाती है, जिसमें महिलाएं व्रत रखकर माता पार्वती के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करती हैं। यह उनकी शक्ति और सौन्दर्य की प्रतीक है और माता पार्वती की कृपा को प्राप्त करने का प्रयास होता है।
महिलाओं का त्योहार: हरितालिका तीज विशेष रूप से महिलाओं के बीच लोकप्रिय है, और वे इसे व्रत और पूजा के साथ मनाती हैं। यह महिलाओं की शक्ति और समर्पण को प्रमोट करता है और उन्हें उनके पारिवारिक और समाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका देता है।
धार्मिक और सामाजिक महत्व: हरितालिका तीज हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है, और यह धार्मिक आदर्शों और धार्मिकता की बढ़ती महत्वपूर्णता को दर्शाता है। साथ ही, यह समाज में समर्पण, परिपक्वता, और समाज सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है।
आरोग्य और सौन्दर्य के लिए: हरितालिका तीज के दिन महिलाएं अपने आरोग्य और सौंदर्य का ध्यान रखती हैं। वे खास रूप से नेम पत्ता, श्रृंगार, और विशेष रूप से हरिता पत्ती का उपयोग करती हैं, जो उनकी त्वचा के लिए उपयोगी होता है।
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